बुधवार, 24 नवंबर 2021

मेरे अनकहे एहसास

 गुजार दिए जिनके साथ,कई साल यूँ ही 

बस बैठे बैठे दिल में, एक सवाल आया l 


जिनके लिए, समर्पित किया अपना जीवन 

क्या कभी उसे भी,समर्पण का ख्याल आया l 


जिनकी हर जरुरत को, बिन कहे पूरा करते हैं 

क्या आज तक वो, मेरी पसंद को समझ पाया l 


हमेशा अनछुआ ही रहा दिल का एक कोना 

क्या ताउम्र, वह मेरे उस कोने को छूँ पाया l 


मन में भरे हुए हैं, कई अनकहे एहसास मेरे 

क्या कभी वो उन अनकहे लफ़्ज़ों को सुन पाया l 


✍️ अनिता

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

thanx for your valuable comments