शनिवार, 21 अक्टूबर 2023

* बुढ़ापा और वरिष्ठता*

 वरिष्ठता और बुढ़ापा में क्या कोई अंतर है ?

आइए इसको ऐसे समझते है.................

इंसान को उम्र बढ़ने पर ‘वरिष्ठ’ बनना चहिए , ‘बूढ़ा’ नहीं|

बुढ़ापा अन्य लोगों का आधार ढूंढता  है और वरिष्ठता, वरिष्ठता तो लोगों को आधार देती है ।

बुढ़ापा छुपाने का सबका मन करता है, 

और वरिष्ठता को उजागर करने का मन करता है ।

बुढ़ापा अहंकारी होता है,

वरिष्ठता अनुभव संपन्न, विनम्र और संयम शील होती है ।

बुढ़ापा नई पीढ़ी के विचारों से छेड़छाड़ करता है,

और वरिष्ठता युवा पीढ़ी को, बदलते समय के अनुसार जीने की छूट देती है ।

बुढ़ापा "हमारे ज़माने में ऐसा था" की रट लगाता रहता है,

और वरिष्ठता बदलते समय से अपना नाता जोड़ लेती है, उसे अपना ने की कोशिश करती है। 

बुढ़ापा नई पीढ़ी पर अपनी राय लादता है, थोपता है,

और वरिष्ठता तरुण पीढ़ी की राय को समझने का प्रयास करती है।

बुढ़ापा जीवन की शाम में अपना अंत ढूंढ़ता है मगर वरिष्ठता,

वह तो जीवन की शाम में भी एक नए सवेरे का इंतजार करती है, युवाओं की स्फूर्ति से प्रेरित होती है ।

संक्षेप में ...

वरिष्ठता और बुढ़ापे के बीच के अंतर को समझकर, जीवन का आनंद पूर्ण रूप से लेने में सक्षम बनना चाहिए ।



1 टिप्पणी:

thanx for your valuable comments