मम्मी , आप भी ना ....ये पराठे और आलू की सब्जी मुझे साथ मे रखना बंद कीजिए ..पता ही है ना आपको,मुझे अपनी यात्रा फ्लाइट में करनी है और बैग में ये सब लेकर चलना .नही ले जाऊंगी,मेरा.मतलब तेल वेगेरा निकल जाता है ,और आजकल ऑनलाइन हर जगह तुरंत खाना मिल जाएगा। झल्लाहट के साथ ज्योति ने मम्मी से कहा।
किशोर लड़की की बातें मां को अच्छी नहीं लगी... वो कहने लगी , क्या फ्लाइट में पिज़्ज़ा बर्गर , रोल जैसे फास्ट फूड , दुगने तिगने दामों में खरीद कर खाना ही प्रतिष्ठा के प्रतीक हैं ?? वो नही मानी,
मां के खूब कहने पर ज्योति ने हारकर उनका ये खाने का पैकेट अपने हैंड बैग में रख लिया,सोच रही थी ये ऐसे नही मानेगी ,बाहर जा कर डस्ट बीन में फेक दूंगी,मम्मी के भाषण जेसी बातें सुनती रही,वो कहे जा रही थीं के .. ऐसे सब्जी पराठा हमें बैलगाड़ी , घोड़ा गाड़ी या रिक्शा बस या ट्रेन में ही खाना चाहिए । मुंह हमारा , स्वाद हमारा , पेट हमारा , फायदा - नुकसान हमारा फिर हम सिर्फ केवल आधुनिकता और प्रतिष्ठा कायम रखने के लिए घर के खाने को दरकिनार कर उसकी उपेक्षा कैसे कर सकती हो?
खैर ! एयरपोर्ट को निकली ही थी के , रास्ते में उसके फोन पर मैसेज आया के उसकी फ्लाइट अभी चार घंटा लेट जायेगी, रास्ते में थी ज्योती, जल्दी के चक्कर में उसने नाश्ता भी ठीक से नही किया था,अब वह वोही सब्जी पराठा निकलकर खाने लगी ,और अपने द्वारा किए बर्ताव के कारण उसे पछतावा भी हो रहा था अपने द्वारा किए व्यवहार के लिए पश्चाताप साफ दिखाई दे रहा था ,उसने तुरंत अपनी मम्मी को फोन लगाया तब जाकर उसे सकून मिला !
" आधुनिकता और पारंपरिकता का सही तरीके से तालमेल ही श्रेष्ठता की ओर ले जाते हैं "
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