बुधवार, 26 अक्टूबर 2022

*असली वारीस*

एक इलाके में एक भले आदमी का देवाहसान हो गया था लोग अर्थी ले जाने को तैयार हुये, और जब उठाकर श्मशान ले जाने लगे तो एक आदमी दौड़ता हुआ आगे आया और अर्थी का एक पांव पकड़ लिया और बोला के मरने वाले ने मेरे 15 लाख देने है, पहले मुझे पैसे दो फिर उसको जाने दूंगा। अब तमाम लोग खड़े तमाशा देख रहे है, बेटों ने कहा के मरने वाले ने ,हमें ,तो कोई ऐसी बात नही की, के वह, कर्जदार है, इसलिए हम नही दे सकतें, मृतक के दूसरे भाइयों और रिश्तेदारों ने भी कहा ,के जब बेटे, जिम्मेदार नही, तो हम क्यों दें। अब सारे खड़े थे और उसने अर्थी ,पकड़ी हुई थी, जब काफ़ी देर गुज़र गई तो बात घर की औरतों तक भी पहुंच गई। मरने वाले कि एकलौती बेटी ने जब बात सुनी तो फौरन अपना सारा ज़ेवर उतारा और अपनी सारी नक़द रकम जमा करके उस आदमी के लिए भिजवा दी और कहा के भगवान के लिए ये रकम और ज़ेवर बेच के उसकी रकम रखो और मेरे पिताजी की अंतिम यात्रा को ना रोको। में मरने से पहले सारा कर्ज़ अदा कर दूंगी। और बाकी रकम का जल्दी बंदोबस्त कर दूंगी। अब वह अर्थी पकड़ने वाला शख्स खड़ा हुआ और सारे लोगो से मुखातिब हो कर बोला: असल बात ये है मेने मरने वाले से 15 लाख लेना नही बल्कि उसकाे देना है ,और उसके किसी वारिस को में जानता नही था, तो मैने ये खेल किया। अब मुझे पता चल चुका है के उसकी वारिस एक बेटी है और उसका कोई बेटा या भाई नही है कह कर उसने वो रकम बेटी को दे दी, और अर्थी को कंधा देकर शमशान तक साथ गया! 

मंगलवार, 25 अक्टूबर 2022

म*ाचिस की तीलियाँ*

अलग  अलग रंग**😅😎😀
एक जैसी ही दिखती थी...माचिस की वो तीलियाँ,
कुछ ने दिये जलाये......और कुछ ने घर,
.
कुछ ने महकाई....अगरबत्तियां मंदिरों में,
तो कुछ ने सुलगाये.....सिगरेट के कश,
.
कहीं गरमाया चूल्हा...और बनी रोटियाँ,
तो कहीं फटे बम....और बिखरी बोटियाँ,
.
जली कहीं शादी में.....बन हवनकुंड की अगन,
तो फूँकी गयी....दहेज़ की कमी से कोई सुहागन,
.
काजल कभी....नवजात शिशु का बनाया,
तो शमशान में....किसी चिता को जलाया,

एक सी दिखती थी.....माचिस की वो तीलियाँ पर,
सभी ने अपना....एक अलग ही रंग दिखाया.....!!!

रविवार, 16 अक्टूबर 2022

*अपने हिस्से की ज़िन्दगी*

 ❤️ खुद को भी पहचानो ❤

आज चाय के साथ पकोड़े खाने का मन हुआ, फिर सोचा घर मे किसी को पसंद ही नही पकोड़े खाना तो अपने लिए क्या बनाऊ.... चाय ली और दो बिस्कुट लेकर बैठ गई.... सुबह से शाम तक का सोचने लगी.... घर मे जो भी बनता है बच्चो या फिर पतिदेव की पसंद का बनता है.... अपनी पसंद का कभी नही बनाया.... खाना मै ही परोसती हूँ.... पर सभी को खिलाने के बाद अगर सलाद खत्म हो जाए तो अपने लिए सलाद दोबारा नहीं काटती....सभी की चीजों का  मुझे ही ख्याल रखना है.... पर अपनी ही दवाई भूल जाती हूँ.... रात को सारा काम निपटा कर जैसे ही सोने की तैयारी करो तो आवाज़ आती है एक ग्लास पानी तो दे दो... पर अपने लिए पानी लेने खुद ही उठना पड़ता है..... जब सभी का ख्याल रख सकती हूँ.... तो खुद के लिए कुछ क्यों नही कर सकती....

अब इसका जवाब देना तो हम गृहनियों के लिए मुश्किल हीं होगा। रोज़ सब के लिए फलों का प्लेट सजाते सजाते एक-आध टुकड़ा मुँह में डाल ली तो डाल ली.....खुद की प्लेट भी बनाई होगी, याद हीं नहीं... 

इतनी लीन हुई ये दुनियादारी में, की दुनियाँ ने इनकी रीत हीं बना डाली.......लक्ष्मण रेखा सी खींच डाली.........जकड़ डाला हमने खुद को एक रिवाज में.......इसकी दोषी हम खुद हैं...... 

वर्ना कहाँ लिखा है... किसने कहा है, कि सब की सेहत का खयाल रखो, लेकिन खुद की नहीं?


सजाओ सब की थाली,

वही प्यार वाली।

पर एक और बढ़ा दो,

खुद के नाम की थाली।

काटो तरबूज़, डालो अँगूर,

अपनी प्लेट भी सजाना ज़रूर।

दवाइयाँ देखो है ना सब की,

देखो फिर से एक बार,

अपनी दवाई भूली तो नहीं इस बार।

शाम हुई है,कोई है नहीं पास,

फिर भी बनाओ चाय,

देखो ना, तुम भी हो ख़ास।

कोई कहेगा तब हीं रखोगी,

सेहत है तुम्हारी कई बार कहूँ,

कब अपने हिस्से की ज़िन्दगी चखोगी।

दौड़ते भागते, थोड़ी ठहरा करो,

रखो सब का खयाल तुम...

और अपने ख़ातिर भी खुशियों का पहरा धरो।

शनिवार, 1 अक्टूबर 2022

जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा

 मैं अपनी उम्र,बताना नहीं चाहती हूँ...

जब भी कोई,यह सवाल पूछता है,

मैं सोच में पड़ जाती हूँ...

बात यह नहीं कि,मैं उम्र बताना नहीं चाहती हूँ,

बात तो यह है कि मैं हर उम्र के पड़ाव को,फ़िर से जीना चाहती हूँ,इसलिए ज़वाब नहीं दे पाती हूँ...

मेरे हिसाब से तो,उम्र बस एक संख्या ही है,

जब मैं बच्चों के साथ बैठ,कार्टून फ़िल्म देखती हूँ,उन्हीं का हम उम्र हो जाती हूँ,उन्हीं की तरह ख़ुश होती हूँ,

जब बड़ों के पास बैठ गप्पे सुनती हूँ,उनकी ही तरह सोचने लगती हूँ...

दरअसल मैं एक साथ,हर उम्र को जीना चाहती हूँ...

इसमें गलत ही क्या है ?

क्या कभी किसी ने,सूरज की रोशनी या,चाँद की चाँदनी से उम्र पूछी ? या फ़िर कल कल करती,बहती नदी की धारा से उमर पूछी ?फ़िर मुझसे ही क्यों  ?

बदलते रहना प्रकृति का नियम है,

मैं भी अपने आप को समय के साथ बदल रही हूँ...

क्योंकि किसी ने सच ही कहा है

ये जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा

स्त्री की जगह

 उसके मांग में सिंदूर आते ही लड़की से वोऔरत बन जाती है।

जब वो शादी के तुरंत बाद दीदी से आंटी बन जाती है जबकि उसका पति दो बच्चों के बाद भी भैया ही बना रहता है।

जब शादी की अगली सुबह बेटे को आराम करने दिया जाता है और उसे रसोई में प्रवेश मिल जाता है। सबकी पसंद का खाना बना के खिलाओ ,अपनी पसंद का कोई पूछेने वाला नही

जब उसकी हर ग़लती भी उसकी और उसके पति की हर ग़लती भी उसी की ग़लती कहलाती है।

जब उसका शादी से बाहर का आकर्षण उसको धोखे बाज़ बना देता है और उसके पति का आकर्षण उसके प्यार की कमी कहलाता है।

जब मायके आने के लिए किसी की इजाजत जरूरी हो जाती है।

जब मायके की यादों की उदासी को उसके काम ना करने का बहाना करार दिया जाता है।

जब जरूरत पड़ने पर ना वो पति से पैसे मांग पाती है और ना ही पिता से।

जब उसकी माँ उसे समझौता करने को कहती रहती है। और अपनी सफल शादी की दुहाई देती रहती है

जब ऑफिस से थक कर आने के बाद कोई पानी तक नहीं पूछता है।

जब रात को पति के बाद सोती है और सुबह पति से पहले उठती है।

जब अपने सपने/ख्वाहिशें भूल जाती है और कोई पुरानी सहेली उसको याद दिलाती है।

शादी सभी के लिए उतनी मीठी नहीं होती जितनी नज़र आती है। महिलाओं के लिए आज भी जीवन मुश्किल है।

वो जो महिला को आप रोज़ देखते है और उससे उसकी आँखों के नीचे काले घेरे होने का कारण पूछते है, मत पूछिए। वो कभी नहीं बताएगी। और अगर बताती भी है तो आप कभी नहीं समझेंगे।

अरे भई! जिसे उसकी माँ ने नहीं समझा, आप क्या खाक समझेंगे?

और भी जाने क्या-क्या बकवास दलीलों के रूप में सुनने को मिलती है।

महिलाओं के शांत चेहरों और फूल से हँसी के पीछे कौन-कौन से तूफ़ान गुज़र रहे होते है, आप कभी नहीं समझोगे। स्त्री को समझने के लिए सात जन्म कम पड़ जायेंगे 


शनिवार, 24 सितंबर 2022

*जीवन का सच*

 मिडिल क्लास पति बीवी से प्यार ज़ाहिर करने के लिए उसे ऐनिवर्सरी पर ताजमहल या नैनीताल नहीं ले जा पा रहा था. वो रात में घर में जब सब सो जाते हैं तब ऑफ़िस वाले बैग में से चाँदी की एक जोड़ी पायल और लाल काँच की चूड़ियाँ धीरे से निकाल कर बीवी को पहनाता है और.. 

उसके माथे पर पसीने से फैल चुके सिंदूर को उँगलियों से पोछते हुए ख़ुद से वादा करता है कि अगली गर्मी से पहले वो कूलर ख़रीद लाएगा. और शर्ट की जेब टटोल कर #500 रूपये  हाथ में देते हुए कहता है, घर जाना तो अम्मा और भाभी के लिए कुछ ख़रीद लेना. क्या पता तब हाथ में पैसे रहे न रहे..🍁 🙂

हर कोई चाहता है प्यार में ताजमहल बनाना परंतु जीवन का सच है दो टाइम की रोटी का जुगाड़ लगाना🙏🏼

जिंदगी तब बहुत आसान हो जाती है,          

जब साथी परखने वाला नहीं....!

बल्कि समझने वाला  साथ हो...!!

🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰

बुधवार, 14 सितंबर 2022

*मनमौजी बनिये *

*बीमारियां कैसे आती हैं?*
शरीर हमें बताता है !
अपने आंसुओं को भींच लेने  से !
कड़वी बातों को चुपचाप निगल जाने से !
अपनी जुबान को बंद रखने से !
अपने दिल के दरवाज़े पर सांकल लगाने से!
लेकिन शरीर तो बोलता है ,
ओह, शरीर जरूर बोलता है ...
टेबल की सतह को थपथपा कर 
उंगलियों की कोरो से बोलता है ,
बिस्तर पर बेचैन पैरों की हरकत से बोलता है ,
गले में रूंध गई आवाज से बोलता है,
दिमाग़ पर माइग्रेन के हमले से बोलता है ,
आंतों में भर गई हवा से बोलता है ,
पेट में भर गई आग से बोलता है ,
माथे पर तनी हुई लकीरों और सलवटों से बोलता है,
अनिद्रा और अतिनिद्रा से बोलता है,
अपनी आवाज पर लगाम लगा सकते हो तुम,
 पर भीतर एक संवाद शुरू हो जाता है,
हम बीमार इसलिए होते हैं।
क्योंकि हम न पचने वाले रेशों को,
दिल में समेट कर रख लेते हैं।
दर्द हमेशा हमेशा हमारे साथ रहने के लिए नहीं आया है,
वह तो सिर्फ़ एक अर्ध विराम है,पूर्ण विराम नहीं !
बोलना हमारी आत्मा को सुकून पहुंचाता है
इसलिए

* लिखो* 
कुछ भी लिखो ।
एक खत लिखो 
डायरी लिखो
अपनी कथा लिखो 
अपनी व्यथा लिखो 
एक कविता लिखो 
एक किताब लिखो 
एक *गीत* गाओ 
दूसरों को गाने के लिए तैयार करो
*नृत्य*
अपने पैरों को तैयार करो 
और नृत्य की मुद्रा में आ जाओ
  *कलाकार*
एक कलाकार बन जाओ
एक कैनवास पर मनचाहे रंग उतार दो 
*मिलो*
दोस्तों से मिलो - फोन पर ही सही 
*दौड़ो*घूमो 
पार्क में दौड़ लगाओ घूमने जाओ 🏃‍♂️
*बात*
अपने लोगों से बात करो 
पेड़-पौधों से बात करो..
गली के कुत्ते से बतियाओ
गाय को रोटी खिलाओ 
कुछ नहीं तो आसमान की ओर देखकर जोर से चिल्लाओ 
बस चुप मत रहो
तुमने जो झेला 
अगर उसे निगल लिया 
तो डूबने के अलावा कोई चारा नहीं तुम्हारे पास
आखिर तुम्हारा दिल एक गोदाम,
एक कबाड़खाना तो नहीं है न,दोस्त !
और शरीर यह जानता है
इसीलिए बोलता है !! 

*मनमौजी बनिये 🤪😋😆*
*हंसिए और हंसाइए....
*स्वस्थ रहिए और मस्त रहिए* 🕺

रविवार, 28 अगस्त 2022

*छोटी सी दुआ*

किसी ने मुझसे पूछा...
*दुनिया में सबसे मुश्किल काम क्या है??*
"बड़ा कठिन सवाल है"..
मैने मुस्करा कर कहा!
फिर कुछ सोचकर मैंने जबाब दिया....
"मेरी नजर में दुनिया का 
सबसे मुश्किल काम है.... 
*अपनी आंखों के सामने अपने माँ बाप को बूढ़ा होते हुए देखना..!!*
ये वो समय होता है जब हम कुदरत के इस लिखे को टाल नहीं पाते..!!
माँ-बाप के वो खूबसूरत से चेहरे जब झुर्रीयो से भर जाते हैं तो....
दिल भर  आता है..!!
उंगली पकड़कर चलाने वालें जब खुद चलने के काबिल नहीं रहते तो....
दिल भर आता है..!!
सहारा देने वालें जब खुद सहारे की तलाश में घूमते हैं तो....
दिल भर आता है..!!
रास्ता दिखाने वालों को जब अपने ही रास्ते वीरान नजर आते हैं तो....
दिल भर आता है..!!
हंसकर बोलने वालें जब खामोश रहने लगते हैं तो....
दिल भर  आता है..!!
अपने बच्चो की नजर उतारने वालो की जब नजरे धुंधला जाती हैं तो....
दिल भर आता है..!!
अगर ईश्वर मुझे कुछ मांगने के लिए कहें तो मैं ये मांगू.....
हे ईश्वर ....
किसी के भी माँ-बाप को कमजोर..
बीमार ना करना....
उनकी जितनी भी जिंदगी है ,
वो सेहतमंद रहें.!! 
कोई भी औलाद अपने माँ-बाप को बेसहारा ना छोड़े.!!

शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

सारे लड़कों को समर्पित💐

लड़के ! हमेशा खड़े रहे.
खड़े रहना उनकी  मजबूरी नहीं रही बस !
उन्हें कहा गया हर बार,
चलो तुम तो लड़के हो 
खड़े हो जाओ.

छोटी-छोटी बातों पर वे खड़े रहे कक्षा के बाहर.. स्कूल विदाई पर जब ली गई ग्रुप फोटो,लड़कियाँ हमेशा आगे बैठीं,और लड़के बगल में हाथ दिए पीछे खड़े रहे.
वे तस्वीरों में आज तक खड़े हैं..

कॉलेज के बाहर खड़े होकर, 
करते रहे किसी लड़की का इंतज़ार,

या किसी घर के बाहर घंटों खड़े रहे, एक झलक,एक हाँ के लिए. अपने आपको 
आधा छोड़ वे आज भी 
वहीं रह गए हैं...

बहन-बेटी की शादी में 
खड़े रहे, मंडप के बाहर
बारात का स्वागत करने के लिए.
खड़े रहे रात भर 
हलवाई के पास,कभी भाजी में कोई कमी ना रहे.खड़े रहे खाने की स्टाल के साथ,
कोई स्वाद कहीं खत्म न हो जाए.
खड़े रहे विदाई तक 
दरवाजे के सहारे और टैंट के 
अंतिम पाईप के उखड़ जाने तक.

बेटियाँ-बहनें जब तक वापिस लौटेंगी
 वे खड़े ही मिलेंगे...

वे खड़े रहे पत्नी को सीट पर 
बैठाकर,बस या ट्रेन की खिड़की थाम कर,
वे खड़े रहे 
बहन के साथ घर के काम में,
कोई भारी सामान थामकर.

माँ के ऑपरेशन के समय ओ. टी.के बाहर घंटों. वे खड़े रहे 
पिता की मौत पर अंतिम लकड़ी के जल जाने तक. 
वे खड़े रहे ,
अस्थियाँ बहाते हुए गंगा के बर्फ से पानी में.

लड़कों ! रीढ़ तो तुम्हारी पीठ में भी है,
क्या यह अकड़ती नहीं ?

बेटी पर तो बहुत लिखा जाता है,

आज बेटों पर लिखने का मन किया ।❤️

*🌹बेवजह कुण्डी* *खटखटाया करो* 🌹

🌻🌹🍁🌷🌺🌸💐🌼🥀🌻🌹🍁
*आसपास के लोगों से मिलते रहा करो,*
*उनकी थोड़ी खैर खबर भी रखा करो,*
*जाने कौन कितने अवसाद में जी रहा है,*
*पता नहीं कौन बस पलों को गिन रहा है,* 

*कभी निकलो अपने घरोदों से,*
*औरों के आशियानें में भी जाया करो,*
*कभी कभी अपने पड़ोसियों की कुण्डी,*
*तुम बेवजह ही खटखटाया करो,*

*कभी यों ही किसी के कंधे पे हाथ रख,*
*साथ होने का अहसास दिलाया करो,*
*कभी बिन मतलब लोगों से बतियाया करो,*
*बिना जज किये बस सुनते जाया करो,*

*बहुत कुछ टूटे मिलेंगे, कुछ रूठे दिखेंगे,*
*जिन्दगी से मायूस भी मिलेंगे,*
*बस कुछ प्यारी सी उम्मीदें,* 
*कभी उनके दिलों में जगाया करो,*

*ऐसा न हो फिर वक्त ही न मिले,*
*और मुट्ठी की रेत की तरंह लोग फिसलते रहे,*

*तूँ बेवक्त ही सही...*
*लोगों को गले तो लगाया करो ।*


🌻🌹🍁🌷🌺🌸💐🌼🥀🌻🌹🍁
🙏🙏🙏🙏🙏🙏

मंगलवार, 2 अगस्त 2022

🌷 माँ का कटोरदान 🌿

जब हम छोटे थे तब मम्मी रोटियां एक स्टील के कटोरदान में रखा करती थी.
रोटी रखने से पहले कटोरदान में एक कपड़ा बिछाती वो कपड़ा भी उनकी पुरानी सूती साड़ी से फाड़ा हुआ होता था।वो कपड़ा गर्म रोटियों की भाप से गिरने वाले पानी को सोख लेता था, जैसे मम्मी की साड़ी का पल्लू सोख लेता था हमारे माथे पे आया पसीना कभी धूप में छाँव बन जाता, कभी ठण्ड में कानों को गर्माहट दे जाता।
कभी कपड़ा न होता तो अख़बार भी बिछा लेती थी मम्मी
.....लेकिन कुछ बिछातीं ज़रूर थी.समय बीतता गया और हम बड़े हुए.
एक बार दीपावली पर हम मम्मी के साथ बाजार गए 
तो बर्तनो की दूकान पर देखा केसरोल .....चमचमाते लाल रंग, का बाहर से प्लास्टिक और अंदर से स्टील का था. दुकानदार ने कहा ये लेटेस्ट है  इसमें रोटियां गर्म रहती है.
हम तो मम्मी के पीछे ही पड़ गए अब तो इसी में रोटियां रक्खी जाएँगी, मम्मी की कहाँ चलती थी हमारी ज़िद के आगे 
अब रोटियाँ कैसेरोल में रक्खी जाने लगी.
कटोरदान में अब पापड़ रखने लगी थी मम्मी
अगले महीने, मम्मी की एक सहेली ने ,पापड़ मंगवा के दिए पर, वो तो बहुत बड़े थे, तो कटोरदान में फिट ही नहीं हो पाये इसलिए उन्हें एक दूसरे बड़े डब्बे में रखा गया....
और अब कटोरदान में मम्मी ने परथन (सूखा आटा जिसे लगाकर रोटियाँ बेली जाती है) रख लिया।जैसे जैसे समय बीतता गया कटोरदान की भूमिका भी बदलती गई पर वो मायूस न हुआ जैसा था वैसा ही रहा बस ढलता गया नयी भूमिकाओं में।
कुछ और समय बीता....
मेरी शादी हो गयी और मैं एक नए शहर में आ गयी।मम्मी ने मुझे बहुत सुन्दर कीमती और नयी चीज़ें दी अपनी गृहस्ती को सजाने के लिए.....
पर मुझे हमेशा कुछ कमी लगती
एक बार जब गर्मी की छुटियों में मम्मी से मिलने गई तो मम्मी ने मुझे एक कैसेरोल का सेट दिया.
मैने कहा मुझे ये नहीं वो कटोरदान चाहिए 
मम्मी हंस दी बोली .... उसका क्या करेगी? ये ले जा लेटेस्ट है
मैंने कहा हाँ ठीक है पर वो भी ।
मम्मी मुस्कुरा दी और परथन निकालकर कटोरदान धोने लगी , उसे अपनी साड़ी के पल्लू से सुखाया और उसमे पापड़ का एक पैकेट रख कर मेरे बैग में में रख दिए ।
अब खुश मम्मी बोली, ......मैने कहा हाँ 
मै उस कटोरदान को बहुत काम में लेती हूं सच कहू तो अकेलापन कुछ कम हुआ
कभी बेसन के लाडू भर के रखती हूं ,कभी मठरी
कभी उसमें ढोकला बनाती हूँ 
कभी सूजी का हलवा जमाती हूँ
कभी कभी पापड़ भी रखती हू I नित नयी भूमिका मैं ढल जाता है मम्मी का ये कटोरदान 
यहाँ आने बाद मुझे मम्मी की बहुत याद आती थी ,पर मैं कहती नहीं थी के मम्मी को दुःख होगा 
कभी कभी सोचती हू क्या इस कटोरदान को भी मम्मी की याद आती होगी 
ये भी तो मेरी तरह मम्मी के हाथों के स्पर्श को तरसता होगा आखिर इसने भी तो अपनी लगभग आधी ज़िन्दगी उनके साथ बिताई है ।
बस हम दोनों ऐसे ही अक्सर मम्मी को याद कर लेते हैं
एक दूसरे को ' छू ' कर मम्मी का प्यार महसूस कर लेते है। 
बस ऐसे ही एकदूसरे को सहारा दे देते हैं .....
मैं और मम्मी का कटोरदान। 
सच माँ की कमी कोई पूरा नहीं कर सकता इसलिये आज माँ है तो पल भर भी गंवाये बिना उनके साथ जिन्दगी जी लो.....
🙏🙏🌷🌿
आशीर्वाद बना रहे माँ 😍 💗 💓 💛 ♥️

रविवार, 24 जुलाई 2022

लौट के आजा मेरे मीत

  जानती हूं, कल से मुझ ही को याद कर रहे हो, करो भी क्यों न, आज, मुझे तुमसे दूर हुए पूरा एक साल जो हो गया, आज पूजा पाठ हो रहा है घर में, ब्राम्हण भोज भी होगा, आज तो दिन भर व्यस्त रहोगे, जब फुरसत मिले तो मुझे याद करना, मैं भागी भागी, चली आऊंगी, तुम्हारे  पास,साथ के लिए जीते जी तरसी हूं, तो मरने के बाद, ये मौका, कैसे छोड़ दूंगी।

    ताना नहीं मार रही हूं, शिकायत कर रही हूं, जब तक साथ थी, अपनी व्यस्तता के चलते, न मुझ पर ध्यान दे पाए, न कभी मेरे मन की सुन पाए, घर के बड़े होने के कारण, सारी जिम्मेदारियां उठाने में लगे रहे, और मैं तुम्हारा, इंतजार ही करती रही।

    याद आ रहा है, जब ब्याह के आई थी, छोटी उमर के थे हम, अंदर से तुम कवि हृदय, पर ऊपर से सदैव, कठोर बने रहे, अकेले में हम, जी भर के बातें करते, पर जैसे ही घर वालों के सामने आते, कभी मुझे, नजर उठा कर भी न देखते, जानती हूं, जानती हूं, बड़ों का लिहाज था। पर सच कहूं, मुझे तुम्हारा, वही रुप पसंद था जो मेरे सामने, रहता, एक पागल प्रेमी का।

    बच्चों के जन्म के बाद, मैं भी तो उनकी परवरिश में उलझकर, रह सी गई थी, घर की बड़ी बहू, होने के कारण जिम्मेदारियां भी, निभानी थीं........... बच्चे बड़े होते गए, खर्च बढ़ते गए, और तुम, हमेशा जोड़ तोड़ और गुणा भाग, में ही लगे रहे, ऑफिस की जिम्मेदारियां, कभी घर की परेशानियां, जीवन सरपट, भागा जा रहा था, और हमें भी साथ दौड़ाए जा रहा था।

बच्चे बड़े हो गए, शुक्र है, दोनों बेटे, पढ़ लिखकर लायक बन गए, अब सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी उनके लिए बहुएं, ढूंढना, पर ये सौभाग्य, बड़े पुत्र ने हमें न दिया, एक दिन अपनी सहपाठी को, हमारे समक्ष खड़ा कर दिया, मम्मी पापा, ये है आपकी होने वाली बहू, तुम, हमेशा नियमों और कायदों से चलने वाले, क्या तुम्हें, बेटे का ये रवैया, पसंद आता, क्रोध में आता हुआ देख, मैंने झट तुम्हारा हाथ उठाकर, बहू के सिर पर रख दिया, और आशीर्वाद दे दिया........ तुम खा जाने वाली नजरों से देखते रहे मुझे, बच्चों के जाने के बाद, मैंने तुम्हें समझाने कि, कितनी कोशिश की, पर तुम कई दिनों तक नाराज़, रहे मुझसे।

   जानती थी, ये नाराजगी, मुझसे नहीं, बेटे से थी, पर नए जमाने के चलन को देखते हुऐ, तमाशा करने के बजाय, उनके निर्णय को स्वीकृति देने केअलावा, मुझे कुछ सूझा नहीं।

    छोटा बेटा, आपका लाड़ला रहा हमेशा, उसने तो साफ कह दिया, जहां पापा कहेंगे, मैं तो आंख मूंद के शादी कर लूंगा, उस दिन, तुम्हारे चेहरे पर, अलग सा सुकून देखा मैने........ तुम्हें अपनी चलाने की आदत भी तो रही है न हमेशा, नाराज क्यों होते हो, मैं तो दिल्लगी कर रही थी।

    खूब देख भाल के,  तुम्हारे अभिन्न मित्र की ही बेटी को, छोटी बहू के रुप में पसंद किया, खूब धूमधाम से, हमने अपनी, आखिरी ज़िम्मेदारी निभा दी।

    दोनों बच्चे, अपनी नौकरियों में व्यस्त हो गए, कभी कभार, हम भी उनके पास, चले जाते, पर रिटायरमेंट के बाद, तुम्हें अपना घर ही अच्छा लगता, यार दोस्त ज्यादा बनाना, पसंद था नहीं तुम्हें, अंदर ही रखते थे सारी बातें, खुश हो या दुखी, शक्ल देखकर ही अंदाजा, लगा पाती थी मैं।

    आजकल थोड़ी थकावट होने लगीहै, डॉक्टर को दिखाया है पर, कमजोरी और थकान, बढ़ने लगी है, उमर बढ़ने लगी है, और तुम्हारी चिन्ता भी, तुम इतने संकोची हो कि, मेरे न रहने पर, बहुओं से, अपने मन का कुछ खाने को भी न कह पाओगे, खाने पीने के इतने शौकीन हो, कैसे अपना मन मार पाओगे........ आजकल ज्यादा समझाइश देने लगीं हूं, और बच्चों के साथ रहने पर जोर देने लगी हूं, पर तुम टस से मस नहीं होते, ठेल ठेलकर, मुझे सुबह, घुमाने ले जाने लगे हो, खुली हवा में, पर मुझे तो तुम्हारे अकेलेपन की चिन्ता खा रही है, ज्यादा सोचती हूं न, तुमसे डांट भी तो खाती हूं।

आजकल मेरी चिन्ता, बहुत करने लगे हो, खो देने का, डर सताने लगा है न, कितनी तेज गति से दौड़ी जा रही है जिंदगी, चाहकर भी नहीं रोक पा रहे हैं हम।

    पहले भी समझाती थी, आज भी कह रही हूं, बहुओं को बेटी समझना, उनसे अपने मन की बात कह देना, संकोच न करना, खाने में मनमानी न करना, दादागिरी दिखाकर, अब आंखे क्या दिखा रहे हो, अब मैं डरने वाली नहीं हूं।

    हमारे साथ की, वो आखिरी रात,मैं तुमको देखकर सोई, कभी न जागने के लिए, अरे मैं तो और भी कुछ कहना चाहती थी, सुनना चाहती थी, पर ईश्वर ने मौका ही न दिया, शायद इतना ही साथ था हमारा, पर दुखी न होना, मैं तुम्हारा पीछा छोड़ने वाली नहीं, मरकर भी नहीं........

अब मेरे जाने का वक्त हो गया, अपना ध्यान रखना, मैं यहीं हूं, हमेशा तुम्हारे पास, बिलकुल नजदीक,................

प्रीति सक्सेना
इन्दौर द्वारा रचित ह्रदय स्पर्शी कथा

बुधवार, 20 जुलाई 2022

ख़्वाब

                 
कितने 
ख़ूबसूरत होते हैं ना,
और थोड़े 
सर-फिरे भी.

ये चलना नहीं चाहते 
बस उड़ना चाहते हैं.. 

भरना चाहते हैं 
एक ऐसी उड़ान !
जहाँ ज़मीन की 
हक़ीक़त हो, 
और आसमाँ के 
पार की कल्पना भी. 
जहाँ वक़्त सा 
ठहरना हो 
और ख़ुश्बू सा 
बिखरना भी. 

ये सजना चाहते हैं 
सँवरना चाहते हैं.
ख़ुद में भरते हैं रंग !
ले कर 
तितलियों से उधार. 
चमक उठते हैं 
ख़ुद को 
चाँदनी से सँवार.

टाँकते हैं कुछ 
उजले सितारे भी, 
फिर ताकते हैं 
आएँगे दिन हमारे भी. 

देखते हैं हर नज़र में 
हज़ारों सवाल, 
कहते हैं ख़ुद से 
न डर तू सँभाल. 

दिन में सजते हैं शौक़ से 
ख़्वाहिश के बाज़ारों में, 
रातों में बहते हैं ख़ौफ़ से 
अश्कों के धारों में.

बहुत ख़ुश-नसीब 
होती है वो आँखें !
जिन में ख़्वाब रहते हैं.
हैं मुकम्मल 
वो अश्क भी, 
जिन में ख़्वाब 
बहते हैं.

 

रविवार, 17 जुलाई 2022

*हुनर अपनाअपना*

एक बडी कंपनी के गेट के सामने एक प्रसिद्ध समोसे की दुकान थी, लंच टाइम मे अक्सर कंपनी के कर्मचारी वहाँ आकर समोसे खाया करते थे।
एक दिन कंपनी के एक मैनेजर समोसे खाते खाते समोसेवाले से मजाक के मूड मे आ गये।
मैनेजर साहब ने समोसेवाले से कहा, "यार गोपाल, तुम्हारी दुकान तुमने बहुत अच्छे से maintain की है, लेकीन क्या तुम्हे नही लगता के तुम अपना समय और टैलेंट समोसे बेचकर बर्बाद कर रहे हो.? सोचो अगर तुम मेरी तरह इस कंपनी मे काम कर रहे होते तो आज कहा होते.. हो सकता है शायद तुम भी आज मैंनेजर होते मेरी तरह.."
इस बात पर समोसेवाले गोपाल ने बडा सोचा, और बोला, " सर ये मेरा काम अापके काम से कही बेहतर है, 10 साल पहले जब मै टोकरी मे समोसे बेचता था तभी आपकी जाॅब लगी थी, तब मै महीना हजार रुपये कमाता था और आपकी पगार थी 10 हजार।
इन 10 सालो मे हम दोनो ने खूब मेहनत की..
आप सुपरवाइजर से मॅनेजर बन गये.
और मै टोकरी से इस प्रसिद्ध दुकान तक पहुँच गया.
आज आप महीना 50000/- कमाते है
और मै महीना 200000/-
लेकिन इस बात के लिए मै मेरे काम को आपके काम से बेहतर नही कह रहा हूँ।
ये तो मै बच्चों के कारण कह रहा हूँ।
जरा सोचिए सर मैने तो बहुत कम कमाई पर धंधा शुरू किया था, मगर मेरे बेटे को यह सब नही झेलना पडेगा।
मेरी दुकान मेरे बेटे को मिलेगी, मैने जिंदगी मे जो मेहनत की है, वो उसका लाभ मेरे बच्चे उठाएंगे। जबकी आपकी जिंदगी भर की मेहनत का लाभ आपके मालिक के बच्चे उठाएंगे।
अब आपके बेटे को आप डाइरेक्टली अपनी पोस्ट पर तो नही बिठा सकते ना.. उसे भी आपकी ही तरह जीरो से शुरूआत करनी पडेगी.. और अपने कार्यकाल के अंत मे वही पहुच जाएगा जहाँ अभी आप हो।
जबकी मेरा बेटा बिजनेस को यहा से और आगे ले जाएगा..
और अपने कार्यकाल मे हम सबसे बहुत आगे निकल जाएगा..
अब आप ही बताइये किसका समय और टैलेंट बर्बाद हो रहा है ?"
मैनेजर साहब ने समोसेवाले को 2 समोसे के 20 रुपये दिये और बिना कुछ बोले वहाँ से खिसक लिये.......!!!🙏🙏🌹

शनिवार, 16 जुलाई 2022

What is BF?

एक नन्हें लड़के ने, नन्ही लड़की से कहा!
- I'm your BF! मैं तुम्हारा BF हूँ
-लड़की ने पूछा 
- - What is BF?
लड़का हंसा और बोला...
- यानी Best Friend.😊 बेहद अच्छा दोस्त।

कुछ समय बीता, एक प्यारे नवजवान ने सुंदर लड़की से कहा:
- I am your BF!
-लड़की शर्माती सी उसके कंधे पर झुकी और आहिस्ता से पूछा:
- - What is BF?
लड़का बोला:
- यानी पुरुष मित्र Boy Friend!😊

कुछ वर्ष बीते उन्होंने ने शादी कर ली, उनको प्यारे प्यारे बच्चे हुए, पति मुस्कराया और अपनी पत्नी से बोला:
- I am your BF!
- पत्नी मुस्कराकर पति से बोली:
- - What is BF? अब  BF यानी क्या
पति पुनः मुस्कराया और बच्चों के और निहारकर बोल पड़ा:
- आपके बच्चों का पिता Baby's father!😊

समय गुज़रे दोनों बुड्ढे हो गए, वो साथ बैठे, डूबते सूरज की और देख रहे थे, आंगन में , और बुज़र्ग ने फिर दोहराया:
- मेरे प्रिय I am your BF!
- बुज़र्ग महला हंस पड़ी, अपने ज़ूररियों वाले चहरे के साथ:
- - What is BF? अब BF यानी क्या?
बुड्ढा ख़ुशी से हँसा और रहस्यमयी आवाज़ में बोल पड़ा:
- Be Forever!😊 सदा एक दूजे के लिये।

जब बुज़र्ग गुज़र रहा था तब भी बोला:
- I am your BF.
- बुढ़िया गम से भरी बोली:
- - What is BF ??
आंखें बंद करते बुज़र्ग बोला :
- यानी Bye Forever!😊 अलविदा सदा के लिए

कुछ दिनों में बुज़र्ग महिला भी रुखसत हो गई,
दफन होते उसने पास की कब्र से एक पहचानी सदा सुनाई दी:

- Besides Forever तुम्हारे पास हूँ सदा के लिये।।
❤️❤️❤️

बुधवार, 13 जुलाई 2022

😃काश! 😞


व्यतीत करना चाहती हूँ ...
सिर्फ एक दिन...
खुद के लिये...
जिसमें न जिम्मेदारियों का दायित्व हो
न कर्त्तव्यों का परायण
न कार्य क्षेत्र का अवलोकन हो
न मजबूरियोँ का समायन
बस मैं ,
मेरे पल ..
मेरी चाहतें और 
मेरा संबल
एक कप काफी से
हो मेरे दिन की शुरुआत
भीगकर अतीत के लम्हों में
खोजू अपने जज्बात
भूल गई जो जिंदगी जीना
उसे फिर से याद करु..
सबकी खातिर छोङ चुकी जो
उन ख्वाईशों की बात करु..
उलझी रहू बस स्वयं में ही
न कोई हो आस पास...
जी लू जी भर उन लम्हों को
जो मेरे हो सिर्फ खास..
मस्त मगन होकर में नाचूँ
अल्हङपन सी मस्ती में
जैसे चिङिया चहक रही हो
खुले आसमान सी बस्ती में..
मन का पहनू,
मन का खाऊं
न हो और किसी का ख्याल...
भूल गई हू जो जीना मैं
फिर से न हो मलाल..
शाम पङे सखियों से गपशप
और पानीपूरी खाऊं
डाक्टर के सारे निर्देशों को
बस एक दिन भूल जाऊँ..
मस्त हवा संग बाते करु
खुली सङक पर यूंही चलू..
बेफिक्री की राह पकङकर
अपनी बातों की धौंस धरु..
रात नशीली मेरे आंगन
इठलाती सी आये
लेकर अपनी आगोश में
चांद पूनम का दिखलायें...
सोऊं जब सपने में मुझे
वो राजकुमार आये
परियों की दुनियां से होकर
जो मेरे रंग में रंग जाये..
एकसाथ में बचपन ,
यौवन
फिर से जीना चाहती हूं..
काश! मिले वो लम्हेँ मुझको
 एक दिन अगर जो पाती हू...

सोमवार, 11 जुलाई 2022

*अंजाना रिश्ता*


*मैं बिस्तर पर से उठा, अचानक छाती में दर्द होने लगा मुझे हार्ट की तकलीफ तो नहीं है? ऐसे विचारों के साथ मैं आगे वाली बैठक के कमरे में गया मैंने देखा कि मेरा पूरा परिवार मोबाइल में व्यस्त था
*मैंने पत्नी को देखकर कहा- "मेरी छाती में आज रोज से कुछ ज़्यादा दर्द हो रहा है, डाॅक्टर को दिखा कर आता हूँ* 
*हाँ मगर सँभलकर जाना, काम हो तो फोन करना"   मोबाइल में देखते-देखते ही पत्नी बोलीं*
*मैं एक्टिवा की चाबी लेकर पार्किंग में पहुँचा, पसीना मुझे बहुत आ रहा था, ऐक्टिवा स्टार्ट नहीं हो रही थी*
*ऐसे वक्त्त हमारे घर का काम करने वाला ध्रुव साईकिल लेकर आया, साईकिल को ताला लगाते ही, उसने मुझे सामने खड़ा देखा*
*क्यों सा'ब ऐक्टिवा चालू नहीं हो रही है?*
*मैंने कहा- "नहीं..!!*
*आपकी तबीयत ठीक नहीं लगती सा'ब,*
*इतना पसीना क्यों आ रहा है?* *सा'ब इस हालत में स्कूटी को किक नहीं मारते,* *मैं किक मार कर चालू कर देता हूँ ध्रुव ने एक ही किक मारकर ऐक्टिवा चालू कर दिया, साथ ही पूछा-* 
*साब अकेले जा रहे हो?*
*मैंने कहा- "हाँ*
*उसने कहा- ऐसी हालत में अकेले नहीं जाते,* 
*चलिए मेरे पीछे बैठ जाइये मैंने कहा- तुम्हें एक्टिवा चलानी आती है?*
*सा'ब गाड़ी का भी लाइसेंस है, चिंता  छोड़कर बैठ जाओ पास ही एक अस्पताल में हम पहुँचे ध्रुव दौड़कर अंदर गया और व्हील चेयर लेकर बाहर आया*
*"सा'ब अब चलना नहीं, इस कुर्सी पर बैठ जाओ"*
*ध्रुव के मोबाइल पर लगातार घंटियां बजती रहीं, मैं समझ गया था। फ्लैट में से सबके फोन आते होंगे कि अब तक क्यों नहीं आया? ध्रुव ने आखिर थक कर किसी को कह दिया कि* *#आज_नहीं_आ_सकता*
*ध्रुव डाॅक्टर के जैसे ही व्यवहार कर रहा था, उसे बगैर बताये ही मालूम हो गया था कि सा'ब को हार्ट की तकलीफ है* *लिफ्ट में से व्हील चेयर ICU की तरफ लेकर गया*
*डाॅक्टरों की टीम तो तैयार ही थी, मेरी तकलीफ सुनकर। सब टेस्ट शीघ्र ही किये*
*डाॅक्टर ने कहा- "आप समय पर पहुँच गये हो, इसमें भी आपने व्हील चेयर का उपयोग किया, वह आपके लिए बहुत फायदेमन्द रहा"*
*अब किसी की राह देखना आपके लिए बहुत ही हानिकारक है इसलिए बिना देर किए हमें हार्ट का ऑपरेशन करके आपके ब्लोकेज जल्द ही दूर करने होंगे इस फार्म पर आप के स्वजन के हस्ताक्षर की ज़रूरत है डाॅक्टर ने ध्रुव की ओर देखा* 
*मैंने कहा- "बेटे, दस्तखत करने आते हैं?"*
*उसने कहा-* 
*"सा'ब इतनी बड़ी जिम्मेदारी मुझ पर न डालो"* 
*"बेटे तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं है तुम्हारे साथ भले ही लहू का सम्बन्ध नहीं है,* *फिर भी बगैर कहे तुमने अपनी जिम्मेदारी पूरी की वह जिम्मेदारी हकीकत में मेरे परिवार की थी एक और जिम्मेदारी पूरी कर दो बेटा* *मैं नीचे सही करके लिख दूँगा कि मुझे कुछ भी होगा तो जिम्मेदारी मेरी है ध्रुव ने सिर्फ मेरे कहने पर ही हस्ताक्षर  किये हैं", बस अब... ."#और_हाँ_घर_फोन_लगा_कर_खबर_कर_दो"* 
*बस, उसी समय मेरे सामने मेरी पत्नी का फोन ध्रुव के मोबाइल पर आया। वह शांति से फोन सुनने लगा*
*थोड़ी देर के बाद ध्रुव बोला-* *"मैडम, आपको पगार काटने का हो तो काटना, निकालने का हो तो निकाल देना मगर अभी अस्पताल में ऑपरेशन शुरु होने के पहले पहुँच जाओ हाँ मैडम, मैं सा'ब को अस्पताल लेकर आया हूँ,* *डाक्टर ने ऑपरेशन की तैयारी कर ली है और राह देखने की कोई जरूरत नहीं है"*
*मैंने कहा- "बेटा घर से फोन था?"*
*"हाँ सा'ब"* 
*मैंने मन में पत्नी के बारे में सोचा, तुम किसकी पगार काटने की बात कर रही हो और किसको निकालने की बात कर रही हो?* *आँखों में आँसू के साथ ध्रुव के कन्धे पर हाथ रखकर मैं बोला- "बेटा चिंता नहीं करते"*
*"मैं एक संस्था में सेवायें देता हूँ, वे बुज़ुर्ग लोगों को सहारा देते हैं, वहां तुम जैसे ही व्यक्तियों की ज़रूरत है"*
*"तुम्हारा काम बरतन कपड़े धोने का नहीं है, तुम्हारा काम तो समाज सेवा का है, बेटा पगार मिलेगा*
*#इसलिए_चिंता_बिल्कुल_भी_मत_करना"*ऑपरेशन के बाद मैं होश में आया, मेरे सामने मेरा पूरा परिवार नतमस्तक खड़ा था। मैं आँखों में आँसू लिये बोला- "ध्रुव कहाँ है?"*
*पत्नी बोली- "वो अभी ही छुट्टी लेकर गाँव चला गया कह रहा था कि उसके पिताजी हार्ट अटैक से गुज़र गये है,* 
*15 दिन के बाद फिर आयेगा"*
*अब मुझे समझ में आया कि उसको मेरे अन्दर उसका बाप दिख रहा होगा*
*हे प्रभु, मुझे बचाकर आपने उसके बाप को उठा लिया?*
*पूरा परिवार हाथ जोड़कर, मूक, नतमस्तक माफी माँग रहा था*
*एक मोबाइल की लत (व्यसन) एक व्यक्ति को अपने दिल से कितना दूर लेकर जाती है, वह परिवार देख रहा था* 
 *यही नहीं मोबाइल आज घर-घर कलह का कारण भी बन गया है बहू छोटी-छोटी बातें तत्काल अपने माँ-बाप को बताती है और माँ की सलाह पर ससुराल पक्ष के लोगों से व्यवहार करती है, जिसके परिणाम स्वरूप  वह बीस-बीस साल में भी ससुराल पक्ष के लोगों से अपनत्व नहीं जोड़ पाती.* *डाॅक्टर ने आकर कहा- "सबसे पहले यह बताइये ध्रुव भाई आप के क्या लगते हैं?"*
*मैंने कहा- "डाॅक्टर साहब,  कुछ सम्बन्धों के नाम या गहराई तक न जायें तो ही बेहतर होगा, उससे सम्बन्ध की गरिमा बनी रहेगी, बस मैं इतना ही कहूँगा कि वो आपात स्थिति में मेरे लिए फरिश्ता बन कर आया था"*
*पिन्टू बोला- "हमको माफ़ कर दो पापा, जो फर्ज़ हमारा था, वह ध्रुव ने पूरा किया, यह हमारे लिए शर्मनाक है। अब से ऐसी भूल भविष्य में कभी भी नहीं होगी पापा"*
*"बेटा,#जवाबदारी_और_नसीहत (सलाह) लोगों को देने के लिये ही होती है*
*जब लेने की घड़ी आये, तब लोग  बग़लें झाँकते हैं या ऊपर नीचे हो जाते हैं*
*अब रही मोबाइल की बात...*
*बेटे, एक निर्जीव खिलौने ने जीवित खिलौने को गुलाम बनाकर रख दिया है अब समय आ गया है कि उसका मर्यादित उपयोग करना है*
*नहीं तो....*
*#परिवार_समाज_और_राष्ट्र को उसके गम्भीर परिणाम भुगतने पडेंगे और उसकी कीमत चुकाने के लिये तैयार रहना पड़ेगा"*
*अतः बेटे और बेटियों को बड़ा #अधिकारी या #व्यापारी बनाने की जगह एक #अच्छा_इन्सान बनायें*
         

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022

मेरी कलम

 मेरी कलम से मेरा है नाता पुराना 

बचपन से अब तक है अपना याराना 

जब जब हम साथ हैं होते

एहसास शब्दों में पिरों से जाते

मन के ख्यालों में एक लहर सी उठती

वो विचार कलम के जरिए पन्नों में उतरती

हर बार  नए विचार हैं उभरतें

कलम के संग  मिलकर हैं पूरें होते

कभी अलग रूप कभी अलग किरदार

 तेरे कारण कविता लिखती जोरदार

तुम मेरी भावनाएं मेरी ख्यालात लिखती

मेरे अनछुए  सब जज्बात लिखती

जिन विचारों में मैं खोई सी रहती

उनको तुम यथार्थ रूप देती

दुनिया कहां समझ है पाती

सजिवता का तुम एहसास कराती

खुद का परिचय कहां है देती

ये तो हमारा ही परिचय करवाती

हर गम को है लिख देती 

खुशी बयां है कर देती 

सब के विचारों को झकझोरती

‌ समाज में बदलाव है लाती 

जो हम जुबां से कह ना पाते

वह कलम सब कुछ है कह देती 

युग परिवर्तक हो जाती तेरी छवि

 सृजन में तुम हो जाती मेरी कवि

माना तुम हो निर्जीव सी

 पर कांति लाती हो सजीव सी

अपनी धुन में जब चलती हो

बहुतों के मन को खलती हो

सबको अधिकार दिलाती हो 

सबका भविष्य उज्जवल बनाती हो

तुम जन-जन की हो आवाज 

मेरे मन का बन जाती साज

आज भी तुम बहुत ही याद आती हो

कागज पर ना सही ख्यालों में तो आती हो


(अंजना सिंग जी की लिखी हुई है) 

शनिवार, 19 फ़रवरी 2022

*मर चुकी इंसानियत*

 सर्दियों के मौसम में एक बूढी औरत अपने घर के कोने

में ठंड से तड़फ रही थी।।

जवानी में उसके पति का देहांत हो गया था

घर में एक छोटा बेटा था, उस बेटे के उज्जवल भविष्य के

लिए

उस माँ ने घर-घर जाकर काम किया

काम करते-2 वो बहुत थक जाती थी,

लेकिन फिर भी आराम

नही करती थी वो सोचती थी जिस

दिन बेटा लायक हो जाएगा उस दिन आराम करूंगी।।

देखते-2 समय बीत गया!

माँ बूढी हो गयी और बेटे

को अच्छी नौकरी मिल गयी।

कुछ समय बाद बेटे की शादी कर

दी और एक बच्चा हो गया।

अब बूढी माँ खुश थी कि बेटा लायक

हो गया

लेकिन ये क्या

बेटे व बहू के पास माँ से बात करने तक का वक़्त

नही होता था

बस ये फर्क पड़ा था माँ के जीवन में

पहले वह बाहर के लोगो के बर्तन व कपड़े

धोती थी। अब अपने घर में बहू-बेटे

के...

फिरभी खुश थी क्योंकि औलाद

उसकी थी

सर्दियों के मौसम में एक टूटी चारपाई पर, बिल्कुल

बाहर वाले कमरें में एक फटे से कम्बल में सिमटकर

माँ लेटी थी

और सोच रही थी

आज बेटे को कहूँगी तेरी माँ को बहुत

ठंड लगती है एक नया कम्बल ला दे।।

शाम को बेटा घर आया तो माँ ने बोला...

बेटा मै बहूत बूढी हो गयी हूँ,

शरीर में जान नही है, ठंड सहन

नही होती मुझे नया कम्बल ला दे।

तो बेटा गुस्से में बोला, इस महीने घर के राशन में और

बच्चे के एडमिशन में बहुत खर्चा हो गया!

कुछ पैसे है पर तुम्हारी बहू के लिए शॉल लाना है

वो बाहर जाती है। तुम तो घर में

रहती हो सहन कर सकती हो।।

ये सर्दी निकाल लो, अगले साल ला दुंगा।।

बेटे की बात सुनकर माँ चुपचाप सिमटकर कम्बल में

सो गयी

अगले सुबह देखा तो माँ इस दुनियाँ में

नही रही...

सब रिश्तेदार, पड़ोसी एकत्रित हुए, बेटे ने

माँ की अंतिम यात्रा में कोई

कमी नही छोड़ी थी।

माँ की बहुत

अच्छी अर्थी सजाई थी!

बहुत महंगा शॉल माँ को उढाया था।।

सारी दुनियां अंतिम संस्कार देखकर कह

रही थी।

हमको भी हर जन्म में भगवान

ऐसा ही बेटा मिले!

मगर उन लोगो को क्या पता था कि मरने के बाद

भी एक

माँ तडफ रही थी।।।


सोमवार, 14 फ़रवरी 2022

*🙏 छोड दीजिए। 🙏*

 🙏🏼😊   *बुढ़ापे में इन्हें छोड़  दीजिए*   😊🙏🏼


एक दो बार समझाने से यदि कोई नही समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना,

     🙏🏼   *छोड़ दीजिए*  🙏🏼


बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना,

     🙏🏼 *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼


 गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं जुड़ते तो उन्हें,

     🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼 


 एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना,

     🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼 


अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना,

     🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼 


यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना,

     🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼


हर किसी का पद, कद, 

मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना,

     🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼 


बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना,

     🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼


उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना,

    *🙏 छोड दीजिए। 🙏*



शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

बढ़ती उम्र का आनंद लीजिये🙏

 खुद को बढ़ती उम्र के साथ स्वीकारना एक तनावमुक्त जीवन देता है। 

हर उम्र एक अलग तरह की खूबसूरती लेकर आती है उसका आनंद लीजिये🙏

बाल रंगने है तो रंगिये, 

वज़न कम रखना है तो रखिये, 

मनचाहे कपड़े पहनने है तो पहनिए,

बच्चों की तरह खिलखिलाइये, 

अच्छा सोचिये, 

अच्छा माहौल रखिये, 

शीशे में दिखते हुए अपने अस्तित्व को स्वीकारिये। 

कोई भी क्रीम आपको गोरा नही बनाती, 

कोई शैम्पू बाल झड़ने नही रोकता,

कोई तेल बाल नही उगाता, 

कोई साबुन आपको बच्चों जैसी स्किन नही देता। 

चाहे वो प्रॉक्टर गैम्बल हो या पतंजलि .....सब सामान बेचने के लिए झूठ बोलते हैं। 

ये सब कुदरती होता है। 

उम्र बढ़ने पर त्वचा से लेकर बॉलों तक मे बदलाव आता है। 

पुरानी मशीन को Maintain करके बढ़िया चला तो सकते हैं, पर उसे नई नही कर सकते।

ना किसी टूथपेस्ट में नमक होता है ना किसी मे नीम। 

किसी क्रीम में केसर नही होती, क्योंकि 2 ग्राम केसर भी 500 रुपए से कम की नही होती ! 

कोई बात नही अगर आपकी नाक मोटी है तो,

कोई बात नही आपकी आंखें छोटी हैं तो,

कोई बात नही अगर आप गोरे नही हैं 

या आपके होंठों की shape perfect नही हैं....

फिर भी हम सुंदर हैं, 

अपनी सुंदरता को पहचानिए।

दूसरों से कमेंट या वाह वाही लूटने के लिए सुंदर दिखने से ज्यादा ज़रूरी है, अपनी सुंदरता को महसूस करना।

हर बच्चा सुंदर इसलिये दिखता है कि वो छल कपट से परे मासूम होता है और बडे होने पर जब हम छल व कपट से जीवन जीने लगते है तो वो मासूमियत खो देते हैं 

...और उस सुंदरता को पैसे खर्च करके खरीदने का प्रयास करते हैं।

मन की खूबसूरती पर ध्यान दो।

पेट निकल गया तो कोई बात नही उसके लिए शर्माना ज़रूरी नही।

आपका शरीर आपकी उम्र के साथ बदलता है तो वज़न भी उसी हिसाब से घटता बढ़ता है उसे समझिये।

सारा इंटरनेट और सोशल मीडिया तरह तरह के उपदेशों से भरा रहता है,

यह खाओ, वो मत खाओ 

ठंडा खाओ, गर्म पीओ, 

कपाल भाती करो,  

सवेरे नीम्बू पीओ,

रात को दूध पीओ

ज़ोर से सांस लो, लंबी सांस लो 

दाहिने से सोइये ,

बाहिने से उठिए,

हरी सब्जी खाओ, 

दाल में प्रोटीन है,

दाल से क्रिएटिनिन बढ़ जायेगा।

अगर पूरे एक दिन सारे उपदेशों को पढ़ने लगें तो पता चलेगा 

ये ज़िन्दगी बेकार है ना कुछ खाने को बचेगा ना कुछ जीने को !!

आप डिप्रेस्ड हो जायेंगे।

ये सारा ऑर्गेनिक, एलोवेरा, करेला, मेथी, पतंजलि में फंसकर दिमाग का दही हो जाता है। 

स्वस्थ होना तो दूर स्ट्रेस हो जाता है।

अरे! अपन मरने के लिये जन्म लेते हैं,

कभी ना कभी तो मरना है अभी तक बाज़ार में अमृत बिकना शुरू नही हुआ।

हर चीज़ सही मात्रा में खाइये, 

हर वो चीज़ थोड़ी थोड़ी जो आपको अच्छी लगती है। 

*भोजन का संबंध मन से होता है* 

*और मन अच्छे भोजन से ही खुश रहता है।*

*मन को मारकर खुश नही रहा जा सकता।*

थोड़ा बहुत शारीरिक कार्य करते रहिए,

टहलने जाइये, 

लाइट कसरत करिये,

व्यस्त रहिये,  

खुश रहिये,

शरीर से ज्यादा मन को सुंदर रखिये

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

*खुद को समर्पित* ☺️💐

आज चाय के साथ पकोड़े खाने का मन हुआ, फिर सोचा घर मे किसी को पसंद ही नही पकोड़े खाना, तो अपने लिए क्या बनाऊ.... चाय ली और दो बिस्कुट लेकर बैठ गई.... सुबह से शाम तक का सोचने लगी.... घर मे जो भी बनता है बच्चो या फिर पतिदेव की पसंद का बनता है.... अपनी पसंद का कभी नही बनाया.... खाना मै ही परोसती हूँ.... पर सभी को खिलाने के बाद में खाती हूं, अगर कभी सलाद खत्म हो जाए तो अपने लिए सलाद दोबारा नहीं काटती....सभी की चीजों का  मुझे ही ख्याल रखना होता है.... पर अपनी ही दवाई भूल जाती हूँ.... रात को सारा काम निपटा कर जैसे ही सोने की तैयारी करो तो आवाज़ आती है एक ग्लास पानी तो दे दो... पर अपने लिए पानी लेने खुद ही उठना पड़ता है..... जब सभी का ख्याल रख सकती हूँ.... तो खुद के लिए कुछ क्यों नही कर सकती....

 रोज़ सब के लिए फलों का प्लेट सजाते सजाते एक-आध टुकड़ा मुँह में डाल ली तो डाल ली.....खुद की प्लेट भी बनाई होगी, याद हीं नहीं... 

इतनी लीन हुई ये दुनियादारी में, की दुनियाँ ने इसको सबने टेक इट ग्रांटेड ले लिया....काम से सबने जेसे लक्षण रेखा सी खीच ली.......जकड़ डाला मेने खुद को एक रिवाज में.......इसकी दोषी में खुद ही हूं..... 

वर्ना कहाँ लिखा है... किसने कहा है, कि सब की सेहत का खयाल रखो, लेकिन खुद की नहीं?

*कुछ शब्द अपने लिए*

सजाओ सब की थाली,

वही प्यार वाली।

पर एक और बढ़ा दो,

खुद के नाम की थाली।

काटो तरबूज़, डालो अँगूर,

अपनी प्लेट भी सजाना ज़रूर।

दवाइयाँ देखो है ना सब की,

देखो फिर से एक बार,

अपनी दवाई भूली तो नहीं इस बार।

शाम हुई है,कोई है नहीं पास,

फिर भी बनाओ चाय,

देखो ना, तुम भी हो अपने आप में ख़ास ही हो

कोई कहेगा तब हीं रखोगी,क्या अपना ख्याल

सेहत है तुम्हारी कई बार कहूँ,

कब अपने हिस्से की ज़िन्दगी चखोगी।

दौड़ते भागते, थोड़ी ठहरा करो,

रखो सब का खयाल तुम...

और अपने ख़ातिर भी खुशियों का पहरा धरो।😊😊

सोचा  कभी अपने लिए भी लिखें भीकरो अब अपने भी शौक पूरे,

खुद को भी अपने लिए वक्त दो,

अपना खयाल रखोगी तभी तो

अपनों से जुड़े लोगों का भी रख पाओगी

सोचो सबके लिए पर अपना भी 

@ *मी टाइम *का ख्याल करो


*खुद को समर्पित* ☺️☺️😊😊👍👍👌💐💐💐