बुधवार, 26 अक्टूबर 2022
*असली वारीस*
मंगलवार, 25 अक्टूबर 2022
म*ाचिस की तीलियाँ*
रविवार, 16 अक्टूबर 2022
*अपने हिस्से की ज़िन्दगी*
❤️ खुद को भी पहचानो ❤
आज चाय के साथ पकोड़े खाने का मन हुआ, फिर सोचा घर मे किसी को पसंद ही नही पकोड़े खाना तो अपने लिए क्या बनाऊ.... चाय ली और दो बिस्कुट लेकर बैठ गई.... सुबह से शाम तक का सोचने लगी.... घर मे जो भी बनता है बच्चो या फिर पतिदेव की पसंद का बनता है.... अपनी पसंद का कभी नही बनाया.... खाना मै ही परोसती हूँ.... पर सभी को खिलाने के बाद अगर सलाद खत्म हो जाए तो अपने लिए सलाद दोबारा नहीं काटती....सभी की चीजों का मुझे ही ख्याल रखना है.... पर अपनी ही दवाई भूल जाती हूँ.... रात को सारा काम निपटा कर जैसे ही सोने की तैयारी करो तो आवाज़ आती है एक ग्लास पानी तो दे दो... पर अपने लिए पानी लेने खुद ही उठना पड़ता है..... जब सभी का ख्याल रख सकती हूँ.... तो खुद के लिए कुछ क्यों नही कर सकती....
अब इसका जवाब देना तो हम गृहनियों के लिए मुश्किल हीं होगा। रोज़ सब के लिए फलों का प्लेट सजाते सजाते एक-आध टुकड़ा मुँह में डाल ली तो डाल ली.....खुद की प्लेट भी बनाई होगी, याद हीं नहीं...
इतनी लीन हुई ये दुनियादारी में, की दुनियाँ ने इनकी रीत हीं बना डाली.......लक्ष्मण रेखा सी खींच डाली.........जकड़ डाला हमने खुद को एक रिवाज में.......इसकी दोषी हम खुद हैं......
वर्ना कहाँ लिखा है... किसने कहा है, कि सब की सेहत का खयाल रखो, लेकिन खुद की नहीं?
सजाओ सब की थाली,
वही प्यार वाली।
पर एक और बढ़ा दो,
खुद के नाम की थाली।
काटो तरबूज़, डालो अँगूर,
अपनी प्लेट भी सजाना ज़रूर।
दवाइयाँ देखो है ना सब की,
देखो फिर से एक बार,
अपनी दवाई भूली तो नहीं इस बार।
शाम हुई है,कोई है नहीं पास,
फिर भी बनाओ चाय,
देखो ना, तुम भी हो ख़ास।
कोई कहेगा तब हीं रखोगी,
सेहत है तुम्हारी कई बार कहूँ,
कब अपने हिस्से की ज़िन्दगी चखोगी।
दौड़ते भागते, थोड़ी ठहरा करो,
रखो सब का खयाल तुम...
और अपने ख़ातिर भी खुशियों का पहरा धरो।
शनिवार, 1 अक्टूबर 2022
जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा
मैं अपनी उम्र,बताना नहीं चाहती हूँ...
जब भी कोई,यह सवाल पूछता है,
मैं सोच में पड़ जाती हूँ...
बात यह नहीं कि,मैं उम्र बताना नहीं चाहती हूँ,
बात तो यह है कि मैं हर उम्र के पड़ाव को,फ़िर से जीना चाहती हूँ,इसलिए ज़वाब नहीं दे पाती हूँ...
मेरे हिसाब से तो,उम्र बस एक संख्या ही है,
जब मैं बच्चों के साथ बैठ,कार्टून फ़िल्म देखती हूँ,उन्हीं का हम उम्र हो जाती हूँ,उन्हीं की तरह ख़ुश होती हूँ,
जब बड़ों के पास बैठ गप्पे सुनती हूँ,उनकी ही तरह सोचने लगती हूँ...
दरअसल मैं एक साथ,हर उम्र को जीना चाहती हूँ...
इसमें गलत ही क्या है ?
क्या कभी किसी ने,सूरज की रोशनी या,चाँद की चाँदनी से उम्र पूछी ? या फ़िर कल कल करती,बहती नदी की धारा से उमर पूछी ?फ़िर मुझसे ही क्यों ?
बदलते रहना प्रकृति का नियम है,
मैं भी अपने आप को समय के साथ बदल रही हूँ...
क्योंकि किसी ने सच ही कहा है
ये जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा
स्त्री की जगह
उसके मांग में सिंदूर आते ही लड़की से वोऔरत बन जाती है।
जब वो शादी के तुरंत बाद दीदी से आंटी बन जाती है जबकि उसका पति दो बच्चों के बाद भी भैया ही बना रहता है।
जब शादी की अगली सुबह बेटे को आराम करने दिया जाता है और उसे रसोई में प्रवेश मिल जाता है। सबकी पसंद का खाना बना के खिलाओ ,अपनी पसंद का कोई पूछेने वाला नही
जब उसकी हर ग़लती भी उसकी और उसके पति की हर ग़लती भी उसी की ग़लती कहलाती है।
जब उसका शादी से बाहर का आकर्षण उसको धोखे बाज़ बना देता है और उसके पति का आकर्षण उसके प्यार की कमी कहलाता है।
जब मायके आने के लिए किसी की इजाजत जरूरी हो जाती है।
जब मायके की यादों की उदासी को उसके काम ना करने का बहाना करार दिया जाता है।
जब जरूरत पड़ने पर ना वो पति से पैसे मांग पाती है और ना ही पिता से।
जब उसकी माँ उसे समझौता करने को कहती रहती है। और अपनी सफल शादी की दुहाई देती रहती है
जब ऑफिस से थक कर आने के बाद कोई पानी तक नहीं पूछता है।
जब रात को पति के बाद सोती है और सुबह पति से पहले उठती है।
जब अपने सपने/ख्वाहिशें भूल जाती है और कोई पुरानी सहेली उसको याद दिलाती है।
शादी सभी के लिए उतनी मीठी नहीं होती जितनी नज़र आती है। महिलाओं के लिए आज भी जीवन मुश्किल है।
वो जो महिला को आप रोज़ देखते है और उससे उसकी आँखों के नीचे काले घेरे होने का कारण पूछते है, मत पूछिए। वो कभी नहीं बताएगी। और अगर बताती भी है तो आप कभी नहीं समझेंगे।
अरे भई! जिसे उसकी माँ ने नहीं समझा, आप क्या खाक समझेंगे?
और भी जाने क्या-क्या बकवास दलीलों के रूप में सुनने को मिलती है।
महिलाओं के शांत चेहरों और फूल से हँसी के पीछे कौन-कौन से तूफ़ान गुज़र रहे होते है, आप कभी नहीं समझोगे। स्त्री को समझने के लिए सात जन्म कम पड़ जायेंगे
शनिवार, 24 सितंबर 2022
*जीवन का सच*
मिडिल क्लास पति बीवी से प्यार ज़ाहिर करने के लिए उसे ऐनिवर्सरी पर ताजमहल या नैनीताल नहीं ले जा पा रहा था. वो रात में घर में जब सब सो जाते हैं तब ऑफ़िस वाले बैग में से चाँदी की एक जोड़ी पायल और लाल काँच की चूड़ियाँ धीरे से निकाल कर बीवी को पहनाता है और..
उसके माथे पर पसीने से फैल चुके सिंदूर को उँगलियों से पोछते हुए ख़ुद से वादा करता है कि अगली गर्मी से पहले वो कूलर ख़रीद लाएगा. और शर्ट की जेब टटोल कर #500 रूपये हाथ में देते हुए कहता है, घर जाना तो अम्मा और भाभी के लिए कुछ ख़रीद लेना. क्या पता तब हाथ में पैसे रहे न रहे..🍁 🙂
हर कोई चाहता है प्यार में ताजमहल बनाना परंतु जीवन का सच है दो टाइम की रोटी का जुगाड़ लगाना🙏🏼
जिंदगी तब बहुत आसान हो जाती है,
जब साथी परखने वाला नहीं....!
बल्कि समझने वाला साथ हो...!!
🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰
बुधवार, 14 सितंबर 2022
*मनमौजी बनिये *
रविवार, 28 अगस्त 2022
*छोटी सी दुआ*
शुक्रवार, 12 अगस्त 2022
सारे लड़कों को समर्पित💐
*🌹बेवजह कुण्डी* *खटखटाया करो* 🌹
मंगलवार, 2 अगस्त 2022
🌷 माँ का कटोरदान 🌿
रविवार, 24 जुलाई 2022
लौट के आजा मेरे मीत
बुधवार, 20 जुलाई 2022
ख़्वाब
रविवार, 17 जुलाई 2022
*हुनर अपनाअपना*
शनिवार, 16 जुलाई 2022
What is BF?
बुधवार, 13 जुलाई 2022
😃काश! 😞
सोमवार, 11 जुलाई 2022
*अंजाना रिश्ता*
शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022
मेरी कलम
मेरी कलम से मेरा है नाता पुराना
बचपन से अब तक है अपना याराना
जब जब हम साथ हैं होते
एहसास शब्दों में पिरों से जाते
मन के ख्यालों में एक लहर सी उठती
वो विचार कलम के जरिए पन्नों में उतरती
हर बार नए विचार हैं उभरतें
कलम के संग मिलकर हैं पूरें होते
कभी अलग रूप कभी अलग किरदार
तेरे कारण कविता लिखती जोरदार
तुम मेरी भावनाएं मेरी ख्यालात लिखती
मेरे अनछुए सब जज्बात लिखती
जिन विचारों में मैं खोई सी रहती
उनको तुम यथार्थ रूप देती
दुनिया कहां समझ है पाती
सजिवता का तुम एहसास कराती
खुद का परिचय कहां है देती
ये तो हमारा ही परिचय करवाती
हर गम को है लिख देती
खुशी बयां है कर देती
सब के विचारों को झकझोरती
समाज में बदलाव है लाती
जो हम जुबां से कह ना पाते
वह कलम सब कुछ है कह देती
युग परिवर्तक हो जाती तेरी छवि
सृजन में तुम हो जाती मेरी कवि
माना तुम हो निर्जीव सी
पर कांति लाती हो सजीव सी
अपनी धुन में जब चलती हो
बहुतों के मन को खलती हो
सबको अधिकार दिलाती हो
सबका भविष्य उज्जवल बनाती हो
तुम जन-जन की हो आवाज
मेरे मन का बन जाती साज
आज भी तुम बहुत ही याद आती हो
कागज पर ना सही ख्यालों में तो आती हो
(अंजना सिंग जी की लिखी हुई है)
शनिवार, 19 फ़रवरी 2022
*मर चुकी इंसानियत*
सर्दियों के मौसम में एक बूढी औरत अपने घर के कोने
में ठंड से तड़फ रही थी।।
जवानी में उसके पति का देहांत हो गया था
घर में एक छोटा बेटा था, उस बेटे के उज्जवल भविष्य के
लिए
उस माँ ने घर-घर जाकर काम किया
काम करते-2 वो बहुत थक जाती थी,
लेकिन फिर भी आराम
नही करती थी वो सोचती थी जिस
दिन बेटा लायक हो जाएगा उस दिन आराम करूंगी।।
देखते-2 समय बीत गया!
माँ बूढी हो गयी और बेटे
को अच्छी नौकरी मिल गयी।
कुछ समय बाद बेटे की शादी कर
दी और एक बच्चा हो गया।
अब बूढी माँ खुश थी कि बेटा लायक
हो गया
लेकिन ये क्या
बेटे व बहू के पास माँ से बात करने तक का वक़्त
नही होता था
बस ये फर्क पड़ा था माँ के जीवन में
पहले वह बाहर के लोगो के बर्तन व कपड़े
धोती थी। अब अपने घर में बहू-बेटे
के...
फिरभी खुश थी क्योंकि औलाद
उसकी थी
सर्दियों के मौसम में एक टूटी चारपाई पर, बिल्कुल
बाहर वाले कमरें में एक फटे से कम्बल में सिमटकर
माँ लेटी थी
और सोच रही थी
आज बेटे को कहूँगी तेरी माँ को बहुत
ठंड लगती है एक नया कम्बल ला दे।।
शाम को बेटा घर आया तो माँ ने बोला...
बेटा मै बहूत बूढी हो गयी हूँ,
शरीर में जान नही है, ठंड सहन
नही होती मुझे नया कम्बल ला दे।
तो बेटा गुस्से में बोला, इस महीने घर के राशन में और
बच्चे के एडमिशन में बहुत खर्चा हो गया!
कुछ पैसे है पर तुम्हारी बहू के लिए शॉल लाना है
वो बाहर जाती है। तुम तो घर में
रहती हो सहन कर सकती हो।।
ये सर्दी निकाल लो, अगले साल ला दुंगा।।
बेटे की बात सुनकर माँ चुपचाप सिमटकर कम्बल में
सो गयी
अगले सुबह देखा तो माँ इस दुनियाँ में
नही रही...
सब रिश्तेदार, पड़ोसी एकत्रित हुए, बेटे ने
माँ की अंतिम यात्रा में कोई
कमी नही छोड़ी थी।
माँ की बहुत
अच्छी अर्थी सजाई थी!
बहुत महंगा शॉल माँ को उढाया था।।
सारी दुनियां अंतिम संस्कार देखकर कह
रही थी।
हमको भी हर जन्म में भगवान
ऐसा ही बेटा मिले!
मगर उन लोगो को क्या पता था कि मरने के बाद
भी एक
माँ तडफ रही थी।।।
सोमवार, 14 फ़रवरी 2022
*🙏 छोड दीजिए। 🙏*
🙏🏼😊 *बुढ़ापे में इन्हें छोड़ दीजिए* 😊🙏🏼
एक दो बार समझाने से यदि कोई नही समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना,
🙏🏼 *छोड़ दीजिए* 🙏🏼
बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना,
🙏🏼 *छोड़ दीजिए।* 🙏🏼
गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं जुड़ते तो उन्हें,
🙏🏼 *छोड़ दीजिए।* 🙏🏼
एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना,
🙏🏼 *छोड़ दीजिए।* 🙏🏼
अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना,
🙏🏼 *छोड़ दीजिए।* 🙏🏼
यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना,
🙏🏼 *छोड़ दीजिए।* 🙏🏼
हर किसी का पद, कद,
मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना,
🙏🏼 *छोड़ दीजिए।* 🙏🏼
बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना,
🙏🏼 *छोड़ दीजिए।* 🙏🏼
उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना,
*🙏 छोड दीजिए। 🙏*
शनिवार, 12 फ़रवरी 2022
बढ़ती उम्र का आनंद लीजिये🙏
खुद को बढ़ती उम्र के साथ स्वीकारना एक तनावमुक्त जीवन देता है।
हर उम्र एक अलग तरह की खूबसूरती लेकर आती है उसका आनंद लीजिये🙏
बाल रंगने है तो रंगिये,
वज़न कम रखना है तो रखिये,
मनचाहे कपड़े पहनने है तो पहनिए,
बच्चों की तरह खिलखिलाइये,
अच्छा सोचिये,
अच्छा माहौल रखिये,
शीशे में दिखते हुए अपने अस्तित्व को स्वीकारिये।
कोई भी क्रीम आपको गोरा नही बनाती,
कोई शैम्पू बाल झड़ने नही रोकता,
कोई तेल बाल नही उगाता,
कोई साबुन आपको बच्चों जैसी स्किन नही देता।
चाहे वो प्रॉक्टर गैम्बल हो या पतंजलि .....सब सामान बेचने के लिए झूठ बोलते हैं।
ये सब कुदरती होता है।
उम्र बढ़ने पर त्वचा से लेकर बॉलों तक मे बदलाव आता है।
पुरानी मशीन को Maintain करके बढ़िया चला तो सकते हैं, पर उसे नई नही कर सकते।
ना किसी टूथपेस्ट में नमक होता है ना किसी मे नीम।
किसी क्रीम में केसर नही होती, क्योंकि 2 ग्राम केसर भी 500 रुपए से कम की नही होती !
कोई बात नही अगर आपकी नाक मोटी है तो,
कोई बात नही आपकी आंखें छोटी हैं तो,
कोई बात नही अगर आप गोरे नही हैं
या आपके होंठों की shape perfect नही हैं....
फिर भी हम सुंदर हैं,
अपनी सुंदरता को पहचानिए।
दूसरों से कमेंट या वाह वाही लूटने के लिए सुंदर दिखने से ज्यादा ज़रूरी है, अपनी सुंदरता को महसूस करना।
हर बच्चा सुंदर इसलिये दिखता है कि वो छल कपट से परे मासूम होता है और बडे होने पर जब हम छल व कपट से जीवन जीने लगते है तो वो मासूमियत खो देते हैं
...और उस सुंदरता को पैसे खर्च करके खरीदने का प्रयास करते हैं।
मन की खूबसूरती पर ध्यान दो।
पेट निकल गया तो कोई बात नही उसके लिए शर्माना ज़रूरी नही।
आपका शरीर आपकी उम्र के साथ बदलता है तो वज़न भी उसी हिसाब से घटता बढ़ता है उसे समझिये।
सारा इंटरनेट और सोशल मीडिया तरह तरह के उपदेशों से भरा रहता है,
यह खाओ, वो मत खाओ
ठंडा खाओ, गर्म पीओ,
कपाल भाती करो,
सवेरे नीम्बू पीओ,
रात को दूध पीओ
ज़ोर से सांस लो, लंबी सांस लो
दाहिने से सोइये ,
बाहिने से उठिए,
हरी सब्जी खाओ,
दाल में प्रोटीन है,
दाल से क्रिएटिनिन बढ़ जायेगा।
अगर पूरे एक दिन सारे उपदेशों को पढ़ने लगें तो पता चलेगा
ये ज़िन्दगी बेकार है ना कुछ खाने को बचेगा ना कुछ जीने को !!
आप डिप्रेस्ड हो जायेंगे।
ये सारा ऑर्गेनिक, एलोवेरा, करेला, मेथी, पतंजलि में फंसकर दिमाग का दही हो जाता है।
स्वस्थ होना तो दूर स्ट्रेस हो जाता है।
अरे! अपन मरने के लिये जन्म लेते हैं,
कभी ना कभी तो मरना है अभी तक बाज़ार में अमृत बिकना शुरू नही हुआ।
हर चीज़ सही मात्रा में खाइये,
हर वो चीज़ थोड़ी थोड़ी जो आपको अच्छी लगती है।
*भोजन का संबंध मन से होता है*
*और मन अच्छे भोजन से ही खुश रहता है।*
*मन को मारकर खुश नही रहा जा सकता।*
थोड़ा बहुत शारीरिक कार्य करते रहिए,
टहलने जाइये,
लाइट कसरत करिये,
व्यस्त रहिये,
खुश रहिये,
शरीर से ज्यादा मन को सुंदर रखिये
मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022
*खुद को समर्पित* ☺️💐
आज चाय के साथ पकोड़े खाने का मन हुआ, फिर सोचा घर मे किसी को पसंद ही नही पकोड़े खाना, तो अपने लिए क्या बनाऊ.... चाय ली और दो बिस्कुट लेकर बैठ गई.... सुबह से शाम तक का सोचने लगी.... घर मे जो भी बनता है बच्चो या फिर पतिदेव की पसंद का बनता है.... अपनी पसंद का कभी नही बनाया.... खाना मै ही परोसती हूँ.... पर सभी को खिलाने के बाद में खाती हूं, अगर कभी सलाद खत्म हो जाए तो अपने लिए सलाद दोबारा नहीं काटती....सभी की चीजों का मुझे ही ख्याल रखना होता है.... पर अपनी ही दवाई भूल जाती हूँ.... रात को सारा काम निपटा कर जैसे ही सोने की तैयारी करो तो आवाज़ आती है एक ग्लास पानी तो दे दो... पर अपने लिए पानी लेने खुद ही उठना पड़ता है..... जब सभी का ख्याल रख सकती हूँ.... तो खुद के लिए कुछ क्यों नही कर सकती....
रोज़ सब के लिए फलों का प्लेट सजाते सजाते एक-आध टुकड़ा मुँह में डाल ली तो डाल ली.....खुद की प्लेट भी बनाई होगी, याद हीं नहीं...
इतनी लीन हुई ये दुनियादारी में, की दुनियाँ ने इसको सबने टेक इट ग्रांटेड ले लिया....काम से सबने जेसे लक्षण रेखा सी खीच ली.......जकड़ डाला मेने खुद को एक रिवाज में.......इसकी दोषी में खुद ही हूं.....
वर्ना कहाँ लिखा है... किसने कहा है, कि सब की सेहत का खयाल रखो, लेकिन खुद की नहीं?
*कुछ शब्द अपने लिए*
सजाओ सब की थाली,
वही प्यार वाली।
पर एक और बढ़ा दो,
खुद के नाम की थाली।
काटो तरबूज़, डालो अँगूर,
अपनी प्लेट भी सजाना ज़रूर।
दवाइयाँ देखो है ना सब की,
देखो फिर से एक बार,
अपनी दवाई भूली तो नहीं इस बार।
शाम हुई है,कोई है नहीं पास,
फिर भी बनाओ चाय,
देखो ना, तुम भी हो अपने आप में ख़ास ही हो
कोई कहेगा तब हीं रखोगी,क्या अपना ख्याल
सेहत है तुम्हारी कई बार कहूँ,
कब अपने हिस्से की ज़िन्दगी चखोगी।
दौड़ते भागते, थोड़ी ठहरा करो,
रखो सब का खयाल तुम...
और अपने ख़ातिर भी खुशियों का पहरा धरो।😊😊
सोचा कभी अपने लिए भी लिखें भीकरो अब अपने भी शौक पूरे,
खुद को भी अपने लिए वक्त दो,
अपना खयाल रखोगी तभी तो
अपनों से जुड़े लोगों का भी रख पाओगी
सोचो सबके लिए पर अपना भी
@ *मी टाइम *का ख्याल करो
*खुद को समर्पित* ☺️☺️😊😊👍👍👌💐💐💐