शनिवार, 1 अक्टूबर 2022

जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा

 मैं अपनी उम्र,बताना नहीं चाहती हूँ...

जब भी कोई,यह सवाल पूछता है,

मैं सोच में पड़ जाती हूँ...

बात यह नहीं कि,मैं उम्र बताना नहीं चाहती हूँ,

बात तो यह है कि मैं हर उम्र के पड़ाव को,फ़िर से जीना चाहती हूँ,इसलिए ज़वाब नहीं दे पाती हूँ...

मेरे हिसाब से तो,उम्र बस एक संख्या ही है,

जब मैं बच्चों के साथ बैठ,कार्टून फ़िल्म देखती हूँ,उन्हीं का हम उम्र हो जाती हूँ,उन्हीं की तरह ख़ुश होती हूँ,

जब बड़ों के पास बैठ गप्पे सुनती हूँ,उनकी ही तरह सोचने लगती हूँ...

दरअसल मैं एक साथ,हर उम्र को जीना चाहती हूँ...

इसमें गलत ही क्या है ?

क्या कभी किसी ने,सूरज की रोशनी या,चाँद की चाँदनी से उम्र पूछी ? या फ़िर कल कल करती,बहती नदी की धारा से उमर पूछी ?फ़िर मुझसे ही क्यों  ?

बदलते रहना प्रकृति का नियम है,

मैं भी अपने आप को समय के साथ बदल रही हूँ...

क्योंकि किसी ने सच ही कहा है

ये जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा

1 टिप्पणी:

  1. Well said Anitha....sahi kahaa aapne. Bas jindagi ka anubhav letheraho aur apne aapko usme samet the hue lekar chalthi raho.
    Have great way of living.

    जवाब देंहटाएं

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