शुक्रवार, 22 अगस्त 2025

*अनपढ़*

  बेटे का जॉइनिंग लेटर आया है और पिता-पुत्र खोल कर पढ़ रहे है मां दौड़ी दौड़ी आती है और बोलती है मुझे भी दिखाइए ..




बेटा तपाक से बोलता है पढ़ पाओगी आप तो अनपढ़ हो!!!!! 


बेटे का यह शब्द पिता को चुभ गया...


सही बोल रहा है बेटा!!!




वह अनपढ़ है।


इसलिए तुम्हारे कॉपी-किताबों में गलतियाँ सुधार नहीं पाती थी, पर रात-रात भर तुम्हें पढ़ते हुए देखती रहती थी।




वह अनपढ़ है।


इसलिए गणित के सवाल तुम्हें नहीं समझा पाई, पर तुम्हारे पास बैठकर दीपक की लौ तेज करती रही ताकि तुम अंधेरे में भी पढ़ सको।




वह अनपढ़ है।


पर नौ महीने तुम्हें अपने पेट में ढोया, जब डॉक्टर ने कहा था कि यह सफर मुश्किल है, तब भी उसने हिम्मत नहीं छोड़ी।




वह अनपढ़ है।


इसलिए बड़े-बड़े सपनों का मतलब नहीं समझती थी, लेकिन चाहती थी कि उसका बेटा आसमान से भी ऊँचा उड़ जाए।




वह अनपढ़ है।


तुम्हारे स्कूल जाने से दो घंटे पहले उठ जाती, टिफिन बनाती, जूते पॉलिश करती, और दरवाजे पर खड़े होकर तुम्हें आशीर्वाद देती—“पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बनना।”




वह अनपढ़ है।


इसलिए तुम्हें कभी होमवर्क में मदद न कर सकी, पर तुम्हारे आँसुओं को पोंछकर यह जरूर कहती—“बेटा, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।”




वह अनपढ़ है।


इसलिए तुम्हारे रिजल्ट कार्ड के नंबर नहीं पढ़ पाती थी, लेकिन तुम्हारे चेहरे की खुशी देखकर समझ जाती थी कि तुम पास हो गए हो।




वह अनपढ़ है।


इसलिए तुम्हारे नाम की स्पेलिंग नहीं जानती थी, पर तुम्हारे नाम से ही उसकी दुनिया रोशन थी।




वह अनपढ़ है।


लेकिन उसका त्याग, उसका संघर्ष, उसका प्यार—दुनिया की किसी किताब से कम नहीं था।




आज तुम पढ़-लिखकर दुनिया जीत रहे हो, लेकिन याद रखना—तुम्हारी पहली गुरु वही थी।


वह अनपढ़ थी… पर उसी ने तुम्हें जीवन का सबसे बड़ा ज्ञान दिया।

अनिता✍🏼










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