गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

*महिलाओं को समर्पित*

🥰तुम!!! खुद को कम मत आँको,

खुद पर गर्व करो।

🥰क्योंकि तुम हो तो

थाली में गर्म रोटी है। 

🥰ममता की ठंडक है,

प्यार की ऊष्मा है। 

🥰तुमसे, घर में संझा बाती है

घर घर है। 

🥰घर लौटने की इच्छा है... 

🥰क्या बना है रसोई में

आज झांककर देखने की चाहत है। 

🥰तुमसे, पूजा की थाली है,

रिश्तों के अनुबंध हैं

पड़ोसी से संबंध हैं।

🥰घर की घड़ी तुम हो,

सोना जागना खाना सब तुमसे है।

🥰त्योहार होंगे तुम बिन?? 

तुम्हीं हो दीवाली का दीपक,

होली के सारे रंग,

विजय की लक्ष्मी,

रक्षा का सूत्र! हो तुम।

🥰इंतजार में घर का खुला दरवाजा हो,

रोशनी की खिडक़ी हो

ममता का आकाश तुम ही हो। 

 🥰समंदर हो तुम प्यार का,

तुम क्या हो... 

खुद को जानो!

🥰उन्हें बताओ जो तुम्हें जानते नहीं, 

कहते हैं.. 

तुम करती क्या हो??!!!

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