ANITA SUKHWAL "GRACE"

रविवार, 4 मई 2025

*accept & enjoy*

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सुबह से लेकर शाम तक, शाम से लेके रात तक, रात से फिर सुबह तक........ *सच में ऐसा लगता है, किचन और खाना के अलावा ज़िन्दगी में कुछ और है ही नही*...
शनिवार, 3 मई 2025

*प्रतिक्रिया*

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 मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि... मुझे हर उस बात पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए जो मुझे चिंतित करती है।  मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि... जिन्...
सोमवार, 21 अप्रैल 2025

*औरत का दर्द*

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 शादी के 40 साल बाद आज उन्होंने बातो बातों में किसी बात से नाराज़ होकर सब के सामने कहा की, " तूने आज तक किया ही क्या है ? सिर्फ घर पे ...
मंगलवार, 15 अप्रैल 2025

*खूबसूरत*

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 एक बहुत ही सुंदर कविता जो कह दिया वह *शब्द* थे ; जो नहीं कह सके वो *अनुभूति* थी ।। और, जो कहना है मगर ; कह नहीं सकते, वो *मर्यादा* है ।। *ज...
बुधवार, 9 अप्रैल 2025

स्त्री मन

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 अब मैं वो नहीं रही जो पहले हुआ करती थी। मैंने बहुत कुछ सीखा है, बढी हूं, और समय और अनुभव के द्वारा जिन बदलाओं का मैं हिस्सा बनी हूं, वही मे...

वो तमाम पल

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 कभी फुर्सत में लिखूंगी वो तमाम खूबसूरत पल… जो मैंने सोचे ज़रूर थे मगर उन्हें जी नहीं पाई। वो खिलखिलाती सुबहें जो खिड़कियों से झाँकती रहीं म...

*मेरे दो अनमोल रतन*

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 *मेरे दो अनमोल रतन* *धीरे धीरे मेरे बेटे मेरी माँ बनते जा रहे हैं* *अब तक मैंने देखभाल की ,सम्भाला उनको*   *अब वे बड़े प्यार से मुझे सम्भाल...
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Anita Sukhwal
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