एक व्यापारी था, उसकी चार पत्नियाँ थी . वह
अपनी चौथी पत्नी से बहुत प्रेम करता, उसकी हर
जरूरत
को पूरा करता था और हर काम में उसकी मदद
करता था .
वह अपनी तीसरी पत्नी से भी बहुत प्यार
करता था . और
वह अपनी दूसरी पत्नी की भी हर मांग
को पूरी करता था और उसकी दूसरी पत्नी भी उसके
काम
और कारोबार में उसकी मदद करती थी . वह
अपनी पहली पत्नी से बिल्कुल भी प्रेम
नहीं करता था .
परन्तु उसकी पहली पत्नी उससे बहुत प्रेम
करती थी . एक
दिन व्यापारी बीमार हो गया और वह मरणासन्न
में
पड़ा था . उसने चारों पत्नियों को बुलाया . उसने
अपनी चौथी पत्नी से पूछा –‘क्या तुम मेरी मदद
करोगी और मेरे शरीर को मुक्ति दोगी ?’’तो वह
बोली –
नहीं . मैं दूसरी शादी कर लूँगी, परन्तु
तुम्हारी मदद
नहीं करुँगी . वह बहुत नाराज हो जाता है और
इसी प्रकार अपनी तीनों पत्नियों से
पूछता है .
तीसरी पत्नी भी उसकी मदद करने से इंकार कर
देती है .
दूसरी पत्नी भी यही कहकर वहां से
चली जाती है . फिर
वह व्यापारी अपनी पहली पत्नी से पूछने के
योग्य
नहीं रहता वहीं अपने और वहीं अपने कमरे में
लेट जाता है .
कुछ देर बाद उसकी पत्नी वहां आती है और
कहती है –“मैं
तुम्हारी सहायता करूंगी .’’ ऐसा कहकर
वो भी वहां से
चली जाती है . वास्तव में हम्हारे जीवन में
चार
पत्नियों है–चौथी पत्नी है
हमारा शरीर ,क्योंकि जब
हम मर जाते हैं तो हमारा शरीर मिट्टी बन
जाता है .
तीसरी पत्नी है हमारा धन ,शोहरत वो भी हमारे
पास
से चला जाता है जब हम मर जाते है तो वह भी हमसे
छीन
जाती है . दूसरी पत्नी है
हमारी रिश्तेदारी ,घर के लोग ,हमारे
मित्र ,जो हमारा अंतिम संस्कार करने के लिए
हमारा साथ शमशान घाट तक जाते हैं परन्तु
वहां से वापस
आ जाते हैं . पहली पत्नी हमारी आत्मा है
जो हमारे साथ
सदा रहती है . हमारी सदा मदद करती है . परन्तु
हम
कभी भी उसकी मदद नहीं करते . कभी भी उससे
प्रेम
नहीं करते हैं .इसलिए मैं
यही कहना चाहूंगी की बाकी तीन
पत्नियों तो सिर्फ
एक खेल के रूप में है परन्तु
पहली पत्नी हमारी आत्मा है ,
जो सदा हमारे साथ रहती . इसलिए हमें सदा उससे
प्रेम
करना चहिये |
अपनी चौथी पत्नी से बहुत प्रेम करता, उसकी हर
जरूरत
को पूरा करता था और हर काम में उसकी मदद
करता था .
वह अपनी तीसरी पत्नी से भी बहुत प्यार
करता था . और
वह अपनी दूसरी पत्नी की भी हर मांग
को पूरी करता था और उसकी दूसरी पत्नी भी उसके
काम
और कारोबार में उसकी मदद करती थी . वह
अपनी पहली पत्नी से बिल्कुल भी प्रेम
नहीं करता था .
परन्तु उसकी पहली पत्नी उससे बहुत प्रेम
करती थी . एक
दिन व्यापारी बीमार हो गया और वह मरणासन्न
में
पड़ा था . उसने चारों पत्नियों को बुलाया . उसने
अपनी चौथी पत्नी से पूछा –‘क्या तुम मेरी मदद
करोगी और मेरे शरीर को मुक्ति दोगी ?’’तो वह
बोली –
नहीं . मैं दूसरी शादी कर लूँगी, परन्तु
तुम्हारी मदद
नहीं करुँगी . वह बहुत नाराज हो जाता है और
इसी प्रकार अपनी तीनों पत्नियों से
पूछता है .
तीसरी पत्नी भी उसकी मदद करने से इंकार कर
देती है .
दूसरी पत्नी भी यही कहकर वहां से
चली जाती है . फिर
वह व्यापारी अपनी पहली पत्नी से पूछने के
योग्य
नहीं रहता वहीं अपने और वहीं अपने कमरे में
लेट जाता है .
कुछ देर बाद उसकी पत्नी वहां आती है और
कहती है –“मैं
तुम्हारी सहायता करूंगी .’’ ऐसा कहकर
वो भी वहां से
चली जाती है . वास्तव में हम्हारे जीवन में
चार
पत्नियों है–चौथी पत्नी है
हमारा शरीर ,क्योंकि जब
हम मर जाते हैं तो हमारा शरीर मिट्टी बन
जाता है .
तीसरी पत्नी है हमारा धन ,शोहरत वो भी हमारे
पास
से चला जाता है जब हम मर जाते है तो वह भी हमसे
छीन
जाती है . दूसरी पत्नी है
हमारी रिश्तेदारी ,घर के लोग ,हमारे
मित्र ,जो हमारा अंतिम संस्कार करने के लिए
हमारा साथ शमशान घाट तक जाते हैं परन्तु
वहां से वापस
आ जाते हैं . पहली पत्नी हमारी आत्मा है
जो हमारे साथ
सदा रहती है . हमारी सदा मदद करती है . परन्तु
हम
कभी भी उसकी मदद नहीं करते . कभी भी उससे
प्रेम
नहीं करते हैं .इसलिए मैं
यही कहना चाहूंगी की बाकी तीन
पत्नियों तो सिर्फ
एक खेल के रूप में है परन्तु
पहली पत्नी हमारी आत्मा है ,
जो सदा हमारे साथ रहती . इसलिए हमें सदा उससे
प्रेम
करना चहिये |
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