शनिवार, 15 मार्च 2025

*दर्द*

 हाउस वाइफ का दुःख


हाउस वाइफ ही जाने


आज ससुर तो कल


सास बीमार


ससुर को डाक्टर के


पास ले जाना है


सास को बैद जी को


दिखाना है


मंदिर से लेकर


अस्पताल तक साथ


निभाना है


पति का सिर दुःख रहा


सिर पर बाम लगाना है


बेटा खांस रहा है


शरीर गर्म हो रहा है


उसे हल्दी मिला दूध


पिलाना है


चिडचिडा हो रहा है


इसलिए पास भी


बैठना है


स्कूल जाकर छुट्टी के लिए


कहना है


गैस ख़त्म हो गयी


कब आयेगी पता नहीं


तब तक पड़ोसी से


मांग कर काम चलाना है


काम वाली बाई आज


आयी नहीं


पर खाना तो बनाना है


बर्तनों को साफ़ करना है


मुंबई से नंदोई आये हैं


दो चार दिन उनका


सत्कार करना है


साथ में शहर दर्शन भी


कराना है


कमी रह जायेगी तो


महीनों सुनना पडेगा


छोटी बहन का फ़ोन आया


ससुराल में विवाह है


शौपिंग के लिए


बाज़ार साथ जाना है


दफ्तर से पती का फ़ोन

आया है


रात को अफसर का खाना है


बढ़िया से बढ़िया


इंतजाम करना है


इज्ज़त का झंडा ऊंचा

रखना है


जेठ जी का फ़ोन आया


कल सवेरे की गाडी से आयेंगे


पतिदेव तो दफ्तर जायेंगे


इसलिए स्टेशन से लाना है


आज करवा चौथ का व्रत है


भूखे पेट भजन नहीं होता


हाउस वाइफ को घर तो

चलाना है


खुद का बदन दुखे या पेट


खाना तो बनाना है


छोटी छोटी बात का भी

ख्याल रखना है


माँ,बहु,भाभी,पत्नी का

धर्म भी निभाना है

सब को खुश जो रखना है


मन करता थोड़ा अपने

मन का कर ले


इतने में कोई घंटी बजाता है


दरवाज़ा खोला तो सामने

पड़ोसी खडा है


पत्नी की तबियत ठीक नहीं

अस्पताल साथ जाना है


इतना कुछ करती है


फिर भी


ज़िंदगी भर सुनना

पड़ता है


दिन भर करती

क्या हो


तुम्हें कितना आराम है


काम के लिए तुम्हें


दफ्तर नहीं जाना पड़ता


कैसे समझाए किसी को?


निरंतर खटते खटते उम्र

गुजर जाती है


हर दिन दूसरों के लिए

जीती है


फिर भी ज़िन्दगी भर


केवल हाउस वाइफ 

कहलाती है..


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