सोमवार, 17 मार्च 2025

*बूढ़े पति-पत्नी *

बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम" शायद यही कहा बड़ी बहू ने। सुनते ही सासू मां ठिठक गई। और पलट कर बोली

" कुछ कहा तुमने बड़ी बहू"

" नहीं नहीं, मैंने तो कुछ भी नहीं कहा मम्मी जी"

" हां हां सच में" छोटी बहू ने झिझकते हुए कहा।

" अच्छा है कि तुमने कुछ नहीं कहा। अगर कहा होता तो शायद जवाब भी मिल जाता"

बड़ी बहू नज़रें नीची कर खड़ी हो गई और सासू मां उसे घूरती हुई वहां से निकल गई। सासू मां के जाते ही बड़ी बहू ने बड़बड़ाना शुरू कर दिया,

" क्या गलत कहती हूं मैं? मुझे तो रोक लेंगी, पर बाहर और भी तो लोग हैं, जो बातें करते हैं। उनका क्या? उनकी जबान पकड़ो तो माने "

" सही कहा भाभी, क्या जरूरत है मम्मी जी को पार्लर जाने की? इस उम्र में यह सब शोभा देता है क्या?"

" अरे बुढ़ापे में सठिया गई है। कौन समझाएं इन्हें? जब कोई बाहर वाला मजाक उड़ाएगा, तब समझ में आएगा। फिर रोती हुई आएगी घर पर"


" हां हमें क्या? इन्हें खुद का मजाक उड़ाने की लगी है तो शौक से उड़ाए। हम तो खुश है अपनी जिंदगी में"

" वैसे भी किसे फर्क पड़ता है? पापा जी तो कुछ कहते नहीं। और इस उमर में कौन सा पापा जी निहार रहे हैं उन्हें, जो इतना सज धज कर तैयार हो रही है"

" यह तो है भाभी। दीया बुझने से पहले फड़फड़ाता है ना, वही हालत इंसान की बुढ़ापे में हो जाती है"

छोटी बहू ने भी बड़ी बहू की हां में हां मिलाई। और दोनों जोर जोर से हंसने लगी।


दरअसल बात यह थी कि मधु जी के पति सोमेश जी का आज सत्तरवाँ जन्मदिन था, जिसे वे धूमधाम से ना मनाकर सिर्फ अपनी पत्नी के साथ मनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने एक रेस्टोरेंट में टेबल भी बुक कर ली थी। उसके बाद मूवी देखने का प्रोग्राम था।


मतलब यह कह सकते हैं कि आज का पूरा दिन मधु जी और सोमेश जी साथ बिताना चाहते थे। और मधु जी इस दिन को यादगार बनाना चाहती थी इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों ना पार्लर जाकर थोड़ा लाइट मेकअप ही करवा लूँ। सोमेश जी को अच्छा लगेगा।

बस यही सोचकर वे पार्लर निकल गई और यही बात दोनों बहुओं को खटक रही थी कि देखो तो मम्मी जी और पापा जी बुढ़ापे में कैसे-कैसे गुल खिला रहे हैं।


खैर दोपहर के 1:00 बज रहे थे। सोमेश जी अपने कमरे से तैयार होकर बाहर निकले तो एक पल के लिए बेटे बहू पोते पोती उन्हें देखते ही रह गए। हमेशा कुर्ता पजामा पहने रहने वाले पापा जी आज सूट टाई में तैयार होकर जँच रहे थे। पापा जी बार-बार घड़ी की तरफ देख रहे थे फिर उन्होंने अपने बड़े बेटे से पूछा,


"अरे बेटा तुम्हारी मम्मी आ गई क्या?"

" नहीं पापा बस आने में ही होगी "

थोड़ी देर बाद डोर बेल बजी। बड़ी बहू ने जाकर दरवाजा खोला तो मम्मी जी को देखकर एकटक निहारती ही रह गई। हरी बंधेज की साड़ी, उस पर मैचिंग ब्लाउज, साथ ही बालों का सुंदर सा जुड़ा बना रखा था और हल्का सा मेकअप। आज वाकई मम्मी जी कहर ढा रही थी।

सोमेश जी तो मधु जी को निहारते ही रह गए। इतने में दोनों बेटे एक साथ ही बोल पड़े,

" वाह! क्या बात है मम्मी, आज तो बहुत सुंदर लग रही हो"

दोनों बेटों की बात सुनकर मधु जी मुस्कुरा दी। इतने में सोमेश जी बोले,

" तो मधु जी, तैयार है आप साथ चलने के लिए"

" जी जरूर"

कहकर दोनों पति पत्नी वहां से निकल गए। उनके जाते ही दोनों बहुओं ने फिर से बड़बड़ाना शुरू कर दिया,


" यह क्या शोभा देता है मम्मी जी और पापा जी को? इस उमर में एक दूसरे का हाथ पकड़े घूमने जा रहे हैं। और तुम दोनों भाई कुछ कहते भी नहीं"

"और देखा नहीं, कैसे तैयार होकर जा रहे हैं। इनके पोते पोतियो की शादी की उम्र होने को आई और इन्हें देखो, कल को यह सब सिखाएंगे अपनी पोता बहुओं को। कम से कम पूछ तो लेना चाहिए था हमसे"

" क्यों इसमें गलत क्या है? मम्मी और पापा दोनों पति-पत्नी है। एक दूसरे के साथ समय बिताना उनका हक है। इसके लिए भला किसी की इजाजत की क्या जरूरत है"

" और रही बात उम्र की, तो उम्र का क्या है? वह तो सिर्फ एक अंक है। उम्र के साथ क्या भावनाएं बदल जाती है। तुम लोगों के हिसाब से तो कल को हम लोग पति पत्नी ही नहीं रहेंगे। और हमारे बेटे बहू डिसाइड करेंगे कि हमें क्या करना है और क्या नहीं"

दोनों भाईयों ने एक साथ सुर मिलाकर कहा। जब बात खुद पर आई तो दोनों बहूए एक बार सोचने को मजबूर हो गई कि गलत तो कुछ भी नहीं है। आखिर पति पत्नी का रिश्ता तो उम्र के साथ प्रगाढ़ होता है, तो उसे उम्र के बंधन में बांधने की क्या जरूरत है।



शनिवार, 15 मार्च 2025

*बेशकीमती दौलत..*

 अजी सुनते हो.....आज एक बात पूछू आपसे....

एक 80 वर्षीय की बुजुर्ग पत्नी ने अपने 84 वर्षीय

पति से कहा.... 


बुजुर्ग पति छडी का सहारा लिए अपनी बुजुर्ग पत्नी के करीब आए और बोले.... कहो.... 


बुजुर्ग पत्नी भावुक होकर बोली....आपको याद है आपने हमारी शादी से पहले अपनी माताजी को छुपकर एक खत लिखा था जिसमे आपने अपने गुस्से को व्यक्त करते हुए लिखा था की आप मुझसे शादी नहीं करना चाहते

कयोकि आपको मेरा चेहरा पसंद नहीं था..... 


बुजुर्ग पति ने हैरान होकर पूछा ....वो खत....वो तुम्हें कहा मिला..... वो तो बहुत पुरानी बात है.... 


बुजुर्ग पत्नी आँखों में आंसू भरकर बोली.... कल आपके बक्से से मुझे ये पुराना खत मिला...मुझे नहीं पता था की

ये शादी आपकी मर्जी के खिलाफ हुई थी वरना में खुद ही मना कर देती.... 


बुजुर्ग पति ने अपना सर अपनी पत्नी की बांहों में रखा और कहा....अरे पगली .....उस वक्त मैं सिर्फ 12 साल का था और मुझे लगा तू मेरे से शादी करके जब आएगी तो मेरे कमरे में मेरे साथ मेरा बिस्तर और तकिये पे

सोएगी .....मेरे सारे खिलोनो के साथ खेलेगी और मेरी गुल्लक से पैसे चुरा लेगी ..... 


लेकिन उस वक्त मैं ये कहा जानता था की तू मेरी जिन्दगी में आकर मेरी जिन्दगी को एक कमरे से बाहर एक घर तक ले जायेगी.....

ये कहा जानता था की मुझे कपड़ो के बने खिलोनो से

कही ज्यादा खुबसूरत और प्यारे खिलोने ( हमारे बच्चे )

तुम मुझे दोगी ..... 


ये कहा जानता था की मेरी चिल्लर से भरी गुल्लक के

मुकाबले तू मुझे प्यार की बेशकीमती दौलत

देगी.... 


अब बोल और भी कुछ पूछना बाकी है..... 


बुजुर्ग पत्नी ने तसल्ली के साथ कहा....

भगवान् का शुक्र है..... में तो समझ रही थी तुम्हे उस

पड़ोस वाली से प्रेम था.... 


बुजुर्ग पति ने हंसते हुए कहा....अजी रहने दो ....कहा वो... और कहा मेरी ये राजकुमारी...... 


दोनों बुजुर्गों ने भीगी हुई पलकें लिए एकदूसरे को देखा..... और फिर एकदूसरे से लिपट गए....

प्यार के आखिरी सफर की मंजिल अब कुछ ही दूर जो

बची थी .....

दोस्तो ......ये रिश्ता पति पत्नी का यही आखिरी वक्त तक साथ रहता है ये वो रिश्ता है जो हमारे जन्म से नहीं जुडता मगर बन जाता है जन्म जन्मांतर का .....

आप सभी पति पत्नियों का ये खूबसूरत नौकझौक एक महत्वपूर्ण संदेश देती है एकदूसरे का ख्याल रखिए सम्मान कीजिए और सदैव साथ रहिए .....

"उम्र भर का पसीना उसकी गोद मे सुख जायेगा, "हमसफर" क्या चीज है ये बुढ़ापे मे समझ आयेगा


 

*दर्द*

 हाउस वाइफ का दुःख


हाउस वाइफ ही जाने


आज ससुर तो कल


सास बीमार


ससुर को डाक्टर के


पास ले जाना है


सास को बैद जी को


दिखाना है


मंदिर से लेकर


अस्पताल तक साथ


निभाना है


पति का सिर दुःख रहा


सिर पर बाम लगाना है


बेटा खांस रहा है


शरीर गर्म हो रहा है


उसे हल्दी मिला दूध


पिलाना है


चिडचिडा हो रहा है


इसलिए पास भी


बैठना है


स्कूल जाकर छुट्टी के लिए


कहना है


गैस ख़त्म हो गयी


कब आयेगी पता नहीं


तब तक पड़ोसी से


मांग कर काम चलाना है


काम वाली बाई आज


आयी नहीं


पर खाना तो बनाना है


बर्तनों को साफ़ करना है


मुंबई से नंदोई आये हैं


दो चार दिन उनका


सत्कार करना है


साथ में शहर दर्शन भी


कराना है


कमी रह जायेगी तो


महीनों सुनना पडेगा


छोटी बहन का फ़ोन आया


ससुराल में विवाह है


शौपिंग के लिए


बाज़ार साथ जाना है


दफ्तर से पती का फ़ोन

आया है


रात को अफसर का खाना है


बढ़िया से बढ़िया


इंतजाम करना है


इज्ज़त का झंडा ऊंचा

रखना है


जेठ जी का फ़ोन आया


कल सवेरे की गाडी से आयेंगे


पतिदेव तो दफ्तर जायेंगे


इसलिए स्टेशन से लाना है


आज करवा चौथ का व्रत है


भूखे पेट भजन नहीं होता


हाउस वाइफ को घर तो

चलाना है


खुद का बदन दुखे या पेट


खाना तो बनाना है


छोटी छोटी बात का भी

ख्याल रखना है


माँ,बहु,भाभी,पत्नी का

धर्म भी निभाना है

सब को खुश जो रखना है


मन करता थोड़ा अपने

मन का कर ले


इतने में कोई घंटी बजाता है


दरवाज़ा खोला तो सामने

पड़ोसी खडा है


पत्नी की तबियत ठीक नहीं

अस्पताल साथ जाना है


इतना कुछ करती है


फिर भी


ज़िंदगी भर सुनना

पड़ता है


दिन भर करती

क्या हो


तुम्हें कितना आराम है


काम के लिए तुम्हें


दफ्तर नहीं जाना पड़ता


कैसे समझाए किसी को?


निरंतर खटते खटते उम्र

गुजर जाती है


हर दिन दूसरों के लिए

जीती है


फिर भी ज़िन्दगी भर


केवल हाउस वाइफ 

कहलाती है..


सोमवार, 10 मार्च 2025

*बढ़ती उम्र*

 खुद को बढ़ती उम्र के साथ स्वीकारना एक तनावमुक्त जीवन देता है।

हर उम्र एक अलग तरह की खूबसूरती लेकर आती है उसका आनंद लीजिये

बाल रंगने हैं तो रंगिये, 

वज़न कम रखना है तो रखिये, 

मनचाहे कपड़े पहनने हैं तो पहनिए,

बच्चों की तरह खिलखिलाइये, 

अच्छा सोचिये, 

अच्छा माहौल रखिये, 

शीशे में दिखते हुए अपने अस्तित्व को स्वीकारिये। 


कोई भी क्रीम आपको गोरा नही बनाती, 

कोई शैम्पू बाल झड़ने नही रोकता,

कोई तेल बाल नही उगाता, 

कोई साबुन आपको बच्चों जैसी स्किन नही देता। 

चाहे वो PNG हो या पतंजलि.....सब सामान बेचने के लिए झूठ बोलते हैं। 


ये सब कुदरती होता है। 

उम्र बढ़ने पर त्वचा से लेकर बॉलों तक मे बदलाव आता है। 

पुरानी मशीन को Maintain करके बढ़िया चला तो सकते हैं, पर उसे नई नही कर सकते।


ना किसी टूथपेस्ट में नमक होता है ना किसी मे नीम। 

किसी क्रीम में केसर नही होती, क्योंकि 2 ग्राम केसर भी 500 रुपए से कम की नही होती ! 


कोई बात नही अगर आपकी नाक मोटी है तो,

कोई बात नही आपकी आंखें छोटी हैं तो,

कोई बात नही अगर आप गोरे नही हैं 

या आपके होंठों की shape perfect नही हैं, 


फिर भी हम सुंदर हैं, 

अपनी सुंदरता को पहचानिए।


दूसरों से कमेंट या वाह वाही लूटने के लिए सुंदर दिखने से ज्यादा ज़रूरी है, अपनी सुंदरता को महसूस करना।


हर बच्चा सुंदर इसलिये दिखता है कि वो छल कपट से परे मासूम होता है और बडे होने पर जब हम छल व कपट से जीवन जीने लगते हैं तो वो मासूमियत खो देते हैं 

और उस सुंदरता को पैसे खर्च करके खरीदने का प्रयास करते हैं।


मन की खूबसूरती पर ध्यान दो।


पेट निकल गया तो कोई बात नही उसके लिए शर्माना ज़रूरी नही।

आपका शरीर आपकी उम्र के साथ बदलता है तो वज़न भी उसी हिसाब से घटता बढ़ता है उसे समझिये।


सारा इंटरनेट और सोशल मीडिया तरह तरह के उपदेशों से भरा रहता है,

यह खाओ, वो मत खाओ 

ठंडा खाओ, गर्म पीओ, 

कपाल भाती करो,  

सवेरे नीम्बू पीओ,

रात को दूध पीओ

ज़ोर से सांस लो,लंबी सांस लो 

दाहिने से सोइये ,

बाहिने से उठिए,

हरी सब्जी खाओ, 

दाल में प्रोटीन है,

दाल से क्रिएटिनिन बढ़ जायेगा।


अगर पूरे एक दिन सारे उपदेशों को पढ़ने लगें तो पता चलेगा 

ये ज़िन्दगी बेकार है ना कुछ खाने को बचेगा ना कुछ जीने को !!

आप डिप्रेस्ड हो जायेंगे।


ये सारा ऑर्गेनिक, एलोवेरा, करेला, मेथी, पतंजलि में फंसकर दिमाग का दही हो जाता है। 

स्वस्थ होना तो दूर स्ट्रेस हो जाता है।


अरे! अपन मरने के लिये जन्म लेते हैं,

कभी ना कभी तो मरना है अभी तक बाज़ार में अमृत बिकना शुरू नही हुआ।


हर चीज़ सही मात्रा में खाइये, 

हर वो चीज़ थोड़ी थोड़ी जो आपको अच्छी लगती है। 


भोजन का संबंध मन से होता है

और मन अच्छे भोजन से ही खुश रहता है..

मन को मारकर खुश नही रहा जा सकता।

थोड़ा बहुत शारीरिक कार्य करते रहिए,

टहलने जाइये, 

लाइट कसरत करिये,

व्यस्त रहिये,  

खुश रहिये,

शरीर से ज्यादा मन को सुंदर रखिये.. 💞



शनिवार, 8 मार्च 2025

*हर पल खुशी का पल*😍

 भले ही पार कर गयी 66 को मैं

चेहरे पर नूर है 

हल्का सा गुरुर है

नही करती अब परवाह मैं

किसी के भी तानों की, उल्हानो की

वो दिन अब लद गये

जब आँखों के कोने पानी था

छुप कर् के मैं रोती थी

होठों पर ले नकली मुस्कान

अब रहती हूँ मस्त अपने में

निहारती हूँ खुद को ,

 सँवारती हूँ खुद को  आईने में , 

भजन भी मैं गाती हूँ, तो गजल भी मै गाती हूँ, 

गाने हमेशा गाना पसंद करती हूं

नाच नही आता पर कोशिश करती हूं

जरूरत नही मुझे रिझाने की अब,

 सजना को भी नजर  आता है मेरा ये बदला रुप, 

उनकी आँखों में  अपना अक्स, 

मेरे बिन कहे पढ़ लेते वो मेरी जुबाँ

काम वो करती हूँ मैं ,जो मुझे भाता है, 

कलम भी चलाती हूँ ,तो कड़छी भी चलाती हूँ, 

पार्लर भी जाती हूँ तो मंदिर भी जाती हूँ, 

बगियाँ मे देख तितली बच्चो सी मचल जाती हूँ

मोबाइल पर नया देखा  तो तुरंत सीखना चाहती हूँ, 

बाहर के सारे नज़ारों को समेट कर रख लेती हूं

सब कुछ होते भी कमी महसूस करती हूँ

अपने दिल के टुकड़ों को, बच्चों को, पर

बात उनसे करके कुछ पल , हो लेती हूँ खुश मैं

देख कर खुश उनको भूल जाती हूँ अपने गम, 

66 के पार करके मैं जीवन की नयी पारी खेल रही हूँ

जीवन के एक एक पल को  में जी रही हूँ

जो नही कर पायी अभी तक

वो सब  ,अब ,करने की कोशिश भी कर रही हूँ

*66 को पार करने का गम नही कर रही मैं 

नये अध्याय को ,स्वीकारना ,

अब आदत बना रही हूं में

जानती हूँ जनम मरण परण अपने हाथों मे नही है

इसलिए हर पल को खुशी से बिताना चाह रही हूँ




गुरुवार, 6 मार्च 2025

* बाद में *

 टहनियों पर लगे पीले पत्ते मत तोड़ो तुम 

चन्द रोज़ में खुद बा खुद झड़ जाएंगे,,

बैठा करो कुछ देर तो घर के बुजुर्गों के पास, 

एक दिन खुद ही ये आपके पास से चले जाएंगे,,

खर्चनें दो उन्हें बेहिसाब हर चीज़ तुम यारों, 

एक दिन सबकुछ तुम्हारे लिए छोड़ जाएंगे, 

मत टोको उनको बार-बार उन्हें बात दोहराने पर, 

एकदिन खुद हमेशा के लिए ख़ामोश हो जाएंगे,,

इनका आशीर्वाद ले लिया करो सर पर हाथ रखकर, 

वर्ना फिर ये तस्वीरों मे ही नज़र आएंगे, 

दो वक्त की रोटी तो समय पर दे दिया करो, 

इज्ज़त और प्यार मोहब्बत के साथ,,

वर्ना फिर श्राद्ध मे भी देखना खाने नही आएंगे,,

आँखे इन्तज़ार करेंगी इन बूढ़ी आत्माओं का 

पर ये कहीं नज़र नहीं आएंगे,,

एक दिन कीमत खुद जान जाओगे उनकी 

 जब उनकी उम्र पर तुम आओगे ,,, 🙏🌺🙏