रविवार, 30 अप्रैल 2023

*कोशिश न कर*

तू 

जिंदगी को जी

उसे समझने की 

कोशिश न कर


सुन्दर सपनो के 

ताने बाने बुन

उसमे उलझने की 

कोशिश न कर


चलते वक़्त के साथ 

तू भी चल

उसमे सिमटने की 

कोशिश न कर


अपने हाथो को फैला, 

खुल कर साँस ले

अंदर ही अंदर घुटने की 

कोशिश न कर


मन में चल रहे 

युद्ध को विराम दे

खामख्वाह खुद से 

लड़ने की कोशिश न कर


कुछ बाते 

भगवान् पर छोड़ दे

सब कुछ खुद सुलझाने की 

कोशिश न कर


जो मिल गया 

उसी में खुश रह

जो सकून छीन ले 

वो पाने की कोशिश न कर


रास्ते की सुंदरता का 

लुत्फ़ उठा

मंजिल पर जल्दी 

पहुचने की कोशिश न कर....

शनिवार, 22 अप्रैल 2023

*बेवक़ूफ़ गृहणी*

 वह एक गृहणी थी,वो रोज़ाना की तरह आज फिर इश्वर का नाम लेकर उठी थी । 

किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया। 

फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स्कूल के लिए तैयार हो सकें ।

कुछ ही पलों मे वो अपने सास ससुर को चाय देकर आयी फिर बच्चों का नाश्ता तैयार किया और इस बीच उसने बच्चों को ड्रेस भी पहनाई। 

फिर बच्चों को नाश्ता कराया। 

पति के लिए दोपहर का टिफीन बनाना भी जरूरी था।     

इस बीच स्कूल का रिक्शा आ गया और वो बच्चों को रिक्शा तक छोड़ने चली गई ।

वापस आकर पति का टिफीन बनाया और फिर मेज़ से जूठे बर्तन इकठ्ठा किये ।

इस बीच पतिदेव की आवाज़ आई की मेरे कपङे निकाल दो ।  

उनको ऑफिस जाने लिए कपङे निकाल कर दिए।

अभी पति के लिए उनकी पसंद का नाश्ता तैयार करके टेबिल पर लगाया ही था की छोटी ननद आई और ये कहकर ये कहकर गई की भाभी आज मुझे भी कॉलेज जल्दी जाना, मेरा भी नाश्ता लगा देना। 

तभी देवर की भी आवाज़ आई की भाभी नाश्ता तैयार हो गया क्या?

अभी लीजिये नाश्ता तैयार है।

पति और देवर ने नाश्ता किया और अखबार पढ़कर अपने अपने ऑफिस के लिए निकल चले ।

उसने मेज़ से खाली बर्तन समेटे और सास ससुर के लिए उनका परहेज़ का नाश्ता तैयार करने लगी ।

दोनों को नाश्ता कराने के बाद फिर बर्तन इकट्ठे किये और उनको भी किचिन में लाकर धोने लगी ।

इस बीच सफाई वाली भी आ गयी । 

उसने बर्तन का काम सफाई वाली को सौंप कर खुद बेड की चादरें वगेरा इकट्ठा करने पहुँच गयी और फिर सफाई वाली के साथ मिलकर सफाई में जुट गयी ।

अब तक 11 बज चुके थे, अभी वो पूरी तरह काम समेट भी ना पायी थी की काल बेल बजी । 

दरवाज़ा खोला तो सामने बड़ी ननद और उसके पति व बच्चे सामने खड़े थे । 

उसने ख़ुशी ख़ुशी सभी को आदर के साथ घर में बुलाया और उनसे बाते करते करते उनके आने से हुई ख़ुशी का इज़हार करती रही ।

ननद की फ़रमाईश के मुताबिक़ नाश्ता तैयार करने के बाद अभी वो नन्द के पास बेठी ही थी की सास की आवाज़ आई की बहु खाने का क्या प्रोग्राम हे । 

उसने घडी पर नज़र डाली तो 12 बज रहे थे ।   

उसकी फ़िक्र बढ़ गयी वो जल्दी से फ्रिज की तरफ लपकी और सब्ज़ी निकाली और फिर से दोपहर के खाने की तैयारी में जुट गयी ।   

खाना बनाते बनाते अब दोपहर का दो बज चुके थे ।

बच्चे स्कूल से आने वाले थे, लो बच्चे आ गये ।

उसने जल्दी जल्दी बच्चों की ड्रेस उतारी और उनका मुंह हाथ धुलवाकर उनको खाना खिलाया ।

इस बीच छोटी नन्द भी कॉलेज से आगयी और देवर भी आ चुके थे । 

उसने सभी के लिए मेज़ पर खाना लगाया और खुद रोटी बनाने में लग गयी ।

खाना खाकर सब लोग फ्री हुवे तो उसने मेज़ से फिर बर्तन जमा करने शुरू करदिये

इस वक़्त तीन बज रहे थे । 

अब उसको खुदको भी भूख का एहसास होने लगा था ।

उसने हॉट पॉट देखा तो उसमे कोई रोटी नहीं बची थी । 

उसने फिर से किचिन की और रुख किया तभी पतिदेव घर में दाखिल होते हुये बोले की आज देर होगयी भूख बहुत लगी हे जल्दी से खाना लगादो ।

उसने जल्दी जल्दी पति के लिए खाना बनाया और मेज़ पर खाना लगा कर पति को किचिन से गर्म रोटी बनाकर ला ला कर देने लगी ।

अब तक चार बज चुके थे ।

अभी वो खाना खिला ही रही थी की पतिदेव ने कहा की आजाओ तुमभी खालो । 

उसने हैरत से पति की तरफ देखा तो उसे ख्याल आया की आज मैंने सुबह से कुछ खाया ही नहीं ।

इस ख्याल के आते ही वो पति के साथ खाना खाने बैठ गयी । 

अभी पहला निवाला उसने मुंह में डाला ही था की आँख से आंसू निकल आये  

पति देव ने उसके आंसू देखे तो फ़ौरन पूछा की तुम क्यों रो रही हो ।

वो खामोश रही और सोचने लगी की इन्हें कैसे बताऊँ की ससुराल में कितनी मेहनत के बाद ये रोटी का निवाला नसीब होता हे और लोग इसे मुफ़्त की रोटी कहते हैं ।

पति के बार बार पूछने पर उसने सिर्फ इतना कहा की कुछ नहीं बस ऐसे ही आंसू आगये ।   

पति मुस्कुराये और बोले कि तुम औरते भी बड़ी "बेवक़ूफ़" होती हो, बिना वजह रोना शुरू करदेती हो। समझ गई वो की एक बेवक़ूफ़ गृहणी हूं मैं तो


गुरुवार, 20 अप्रैल 2023

*अनूठा जश्न *



इंसान का शरीर नश्वर है, परंतु अपने  विचार और कर्म कभी मरते नही हैं, ये प्रेरणा बनकर लाखों लोगो के उत्साह की ज्योति बन जाते है. वास्तव में  मृत्यु के दिन ,जो मृत्यु होती है वो भावमृत्यु  होती ही जो जीवन का सबसे खूबसूरत सत्य है.मैं जानती हूं , परिवर्तन प्रकृति का नियम है. उम्र बढ़ने के साथ-साथ विचारों में  स्वाभाविक तौर से बदलाव आता ही है. मैं भी यह एक *पुण्यकार्य*  मेरी आत्मा की शांति के‌ लिऐ  करवाना चाहती हूं ,जब मैं इस दुनिया से चली जाऊं, तब मेरे मृत शरीर का  *देह दान* किया जाए,क्योंकि व्यर्थ इसे जलाकर भस्म करने से अच्छा है की कोई इस मृत शरीर से पढ़ लिख कर  डॉक्टर बनकर ,किसी और की ,जान को बचाए ,और  मुझे  जब खूब ,खुशी होगी की मेरे सारे ,चाहने वाले,मेरे मृत शरीर को ,नाचते,गाते ,बारात की तरह,अस्पताल तक ले जाएं, घर आकर 11 घी के दिए भी जलाए, खूब मिठाईयां और पकवान  बनाएं ,एक जश्न जैसा माहौल बनाया जाए, और  मेरे , उठावने वाले, तीसरे दिन, मेरे सारे,हर तरह के शोक, खत्म किए जाएं ,इस रोज भी पूरे घर में, खुशियों जैसा, माहौल बनाकर रखें, कोई भी मेरे लिए दुखी नहीं होवे, क्योंकि मैं इस सबके साथ बहुत रही हूं ,मेरा सभी से लगाव,जो,ही,वो, मरने के बाद भी, बना रहेगा, मैं सबको नजदीक महसूस करती रहूंगी, उठावने वाले दिन के बाद ही, सारे कार्यक्रम को  पूर्ण रूप से विराम दे दिया जाए,और सब अपनी अपनी जिंदगी जैसे जी रहे थे वैसे ही जीना शुरु कर देवें, मैं चाहती हूं कि  जैसे जब परिवार में कोई जन्म लेता है तो बड़ी  ख़ुशी होती है. उत्सव मनाया जाता है. वैसा ही मेरी मृत्यु को भी एक जश्न का रूप दिया जाए शरीर तो नश्वर है एक दिन इसे सबकों छोड़कर जाना है,तो क्यों इस दिन को दुखी होकर रोया धोया जाए,जश्न के रूप में,मेरे इन दिनों को भी इस तरह  यादगार बनाया जाए 🙏🌹


(स्वरचित)

अनीता सुखवाल

उदयपुर

19 अप्रैल 2023

 


रविवार, 16 अप्रैल 2023

*मन का चिंतन*

 एक लड़की अपनी माँ के पास आकर अपनी परेशानियों का बखान कर रही थी बोली मां देखो ना 

आजकल मैं,हर काम में फेल होने लगी हूं,,मेरा प्यारी सहेली से झगड़ा हो गया ,और तो और आज मनपसंद ड्रेस प्रैस कर रही थी तो वो भी जल गई ,बताते हुए वो रो पड़ी और रोते हुए बोली, मम्मी ,देखो ना ,मेरी जिन्दगी के साथ सब कुछ उलटा - पुल्टा ही क्यों हो रहा है l माँ ने मुस्कराते हुए कहा,

यह उदासी और रोना छोड़ो, चल मेरे साथ रसोई में ,आज"तुम्हारा मनपसंद केक बनाकर खिलाती हूँ" l

लड़की का रोना बंद हो गया और हंसते हुये बोली,"केक तो मेरी मनपसंद मिठाई है" फिर वो दोनो रसोई की तरफ जाने लगे, कितनी देर में बनेगा,बेटी ने चहकते हुए पूछा ,

माँ ने सबसे पहले मैदे का डिब्बा उठाया और प्यार से कहा, ले पहले मैदा खा ले ,लड़की मुंह बनाते हुए बोली, इसे कोई खाता है भला?

माँ ने फिर मुस्कराते हुये कहा, "तो ले सौ ग्राम चीनी ही खा ले" ,एसेंस और मिल्कमेड का डिब्बा दिखाया और कहा लो इसका भी स्वाद चख तो ले,

लड़की हंसते हुए बोली "माँ" आज तुम्हें क्या हो गया है?जो मुझे इस तरह की चीजें खाने को दे रही हो ?

माँ ने बड़े प्यार और शांति से जवाब दिया, "बेटी"केक इन सभी बेस्वादी चीजों से ही बनता है और ये सभी

मिलकर ही तो केक को स्वादिष्ट बनाती हैं .मैं तुम्हें सिखाना चाह रही थी कि"जिंदगी का केक"

भी इसी प्रकार की बेस्वाद घटनाओं को मिलाकर बनाया जाता है ,हर काम में अगर फेल हो रही हो तो इसे चुनौती समझो मेहनत करने मेंजुट जाओ ,सहेली से झगड़ा हो गया है तो अपना व्यवहार इतना मीठा बनाओ  ताकिफिर कभी किसी से झगड़ा न हो ,यदि मानसिक तनाव के कारण "ड्रेस" जल गईतो आगे से सदा ध्यान रखो कि मन की स्थिति हर परिस्थिति में अच्छी रखना चाहिए ,बिगड़े मन से काम भी तो बिगड़ेंगे ,कार्यों को कुशलता से करने के लिए मन के चिंतन को कुशल बनाना अनिवार्य है ,बेटी को मां की बातों से बहुत सकून मिला,वह प्यार से मां के गले लग गई |

सोमवार, 10 अप्रैल 2023

*मन की गाँठ*

 एक बुर्जुग व्यक्ति अपने जीवन से बहुत निराश हो गया था। उसे ऐसा लगता था कि वह इतनी बड़ी इस दुनियाँ में बिलकुल अकेला हैं। न तो कोई उसे चाहता हैं और न ही प्यार करता हैं। वह किसी का प्यार पाने के काबिल भी नहीं हैं। यही सोच-सोचकर वह हमेशा दुखी रहा करता था। बसंत के मौसम में सुंगंधित फूलों से सारा वातावरण सुंदर व सुंगंधित हो रहा था, परंतु वह व्यक्ति ज्यादातर अपने घर में बंद ही रहता था। एक दिन पड़ोस में रहने वाली लड़की अचानक उसके घर का द्वार खोलकर अंदर आई। उस व्यक्ति को गुमसुम देखकर उसने पूछा- आप इतने उदास क्यों हैं ? वह व्यक्ति बोला- मुझे कोई प्यार नहीं करता। कोई मेरी परवाह नहीं करता। मैं बिलकुल अकेला हूँ। लड़की ने कहा- यह तो बहुत दुख की बात हैं कि कोई आपको प्यार नहीं करता, कोई आपकी परवाह नहीं करता। किन्तु यह तो बताइए कि आप कितने लोगोंb से प्यार और उनकी परवाह करते हैं। उस व्यक्ति के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था। तब लड़की बोली -आप बाहर आइए और देखिए कि आपके द्वार पर ही कितना प्यार हैं। आप प्यार चाहते हैं, तो इन फूलों से लीजिए। ये आपको अटूट स्नेह करेंगे। बस बदले में आप भी थोड़ा सा इनका खयाल रखना,इन्हे थोड़ा सा प्यार देना। लड़की की बातें सुनकर उस व्यक्ति के मन की गाँठे खुल गई। उसे अपनी गलती का व सांसरिक नियम का अहसास हो गया। उसे पता चल गया कि बिना कुछ भी दिए, पाने की अपेक्षा रखना मूर्खता हैं।

 हम लोगों की भी यही आदत हैं हम चाहते हैं कि सब हमें महत्व दे, सम्मान दे, प्रेम करें परंतु स्वयं न तो किसी को महत्व देना चाहते हैं, न सम्मान देना और न प्रेम करना। मित्रों, अधिकाधिक मेल-जोल और सारगर्भित संवाद प्रसन्नता को बढ़ावा देते हैं आसपास का वातावरण मजबूत बनाते हैं, जबकि इनका अभाव एकाकीपन व निराशा को जन्म देता हैं।

शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

*जी लो अपनी जिंदगी*

 *जी लो अपनी जिंदगी*


ओरतों के लिए 

पचास का आंकड़ा मतलब  *हाफ सेंचुरी*  बड़ा जादुई होता है,इस वक्त 

एक अलग ख़ूबसूरती होती है इसकी,

तजुर्बे की लकीरें माथे पे होती है,

पर गाल अब भी गुलाबी होते हैं,इनके,

बच्चों से बेफ़िक्री का आलम जरूर होता है,पर फिक्र हर रोज करी जाती है,

खुद के लिए जीने का मन करता है

रंग भरने लगते है इसके अपने सपनों में,

रंगते हुए अपने बालों को, जिंदगी एक अलग  तरह, गुनगुनाती हुई सी  लगती है,, आईना भी अब इसको देखकर  मुस्कुराने लगता है,हाफ सेंचुरी आते आते

 नीला,पीला,चटकीला सब पहनने का मन करता है

 जिम में पसीना बहाते,पसंद का खा आते हैं, जिम जो किया है, ऐसा मन करता है,

 साड़ी, मिनी,गाऊन सब अपने ऊपर पहन कर इठलाने  का  मन करता है,

ये उम्र बहुत कुछ कहती है,

कभी कान में इयरफोन लगाकर गाना गाने को इच्छा होती है,तो कभी किसी ,म्यूजिक पार्टी में हल्का सा ठुमका  लगाने को मन करता है,कभी बच्चो के साथ मस्ती करते हुए बचपन में खो जाने का मन करता है, सुनना कभी तुम भी इन्हें,ध्यान से,

कहते हुए ही सुनोगे,मरने से पहले जी लेना चाहिए,जी लेने दो जिंदगी अब,

मौका मिला है जब इसे न खो  देना चाहिए,न , वैसे सच ये है की

ये दीपक की वो *लौ* की तरह होती है

जो बुझने से पहले पूरा ज़ोर लगा देना चाहती  है

पूरी ताकत से  अपना ज़ोर केवल  खुद पर  आजमाना  चाहती है,

और फ़िर ख़ुशी, ख़ुशी अपनी बची हुई जिंदगी को भरपूर  मस्ती में जीना चाहती है


स्वरचित ✍️

अनिता सुखवाल