शनिवार, 19 फ़रवरी 2022

*मर चुकी इंसानियत*

 सर्दियों के मौसम में एक बूढी औरत अपने घर के कोने

में ठंड से तड़फ रही थी।।

जवानी में उसके पति का देहांत हो गया था

घर में एक छोटा बेटा था, उस बेटे के उज्जवल भविष्य के

लिए

उस माँ ने घर-घर जाकर काम किया

काम करते-2 वो बहुत थक जाती थी,

लेकिन फिर भी आराम

नही करती थी वो सोचती थी जिस

दिन बेटा लायक हो जाएगा उस दिन आराम करूंगी।।

देखते-2 समय बीत गया!

माँ बूढी हो गयी और बेटे

को अच्छी नौकरी मिल गयी।

कुछ समय बाद बेटे की शादी कर

दी और एक बच्चा हो गया।

अब बूढी माँ खुश थी कि बेटा लायक

हो गया

लेकिन ये क्या

बेटे व बहू के पास माँ से बात करने तक का वक़्त

नही होता था

बस ये फर्क पड़ा था माँ के जीवन में

पहले वह बाहर के लोगो के बर्तन व कपड़े

धोती थी। अब अपने घर में बहू-बेटे

के...

फिरभी खुश थी क्योंकि औलाद

उसकी थी

सर्दियों के मौसम में एक टूटी चारपाई पर, बिल्कुल

बाहर वाले कमरें में एक फटे से कम्बल में सिमटकर

माँ लेटी थी

और सोच रही थी

आज बेटे को कहूँगी तेरी माँ को बहुत

ठंड लगती है एक नया कम्बल ला दे।।

शाम को बेटा घर आया तो माँ ने बोला...

बेटा मै बहूत बूढी हो गयी हूँ,

शरीर में जान नही है, ठंड सहन

नही होती मुझे नया कम्बल ला दे।

तो बेटा गुस्से में बोला, इस महीने घर के राशन में और

बच्चे के एडमिशन में बहुत खर्चा हो गया!

कुछ पैसे है पर तुम्हारी बहू के लिए शॉल लाना है

वो बाहर जाती है। तुम तो घर में

रहती हो सहन कर सकती हो।।

ये सर्दी निकाल लो, अगले साल ला दुंगा।।

बेटे की बात सुनकर माँ चुपचाप सिमटकर कम्बल में

सो गयी

अगले सुबह देखा तो माँ इस दुनियाँ में

नही रही...

सब रिश्तेदार, पड़ोसी एकत्रित हुए, बेटे ने

माँ की अंतिम यात्रा में कोई

कमी नही छोड़ी थी।

माँ की बहुत

अच्छी अर्थी सजाई थी!

बहुत महंगा शॉल माँ को उढाया था।।

सारी दुनियां अंतिम संस्कार देखकर कह

रही थी।

हमको भी हर जन्म में भगवान

ऐसा ही बेटा मिले!

मगर उन लोगो को क्या पता था कि मरने के बाद

भी एक

माँ तडफ रही थी।।।


सोमवार, 14 फ़रवरी 2022

*🙏 छोड दीजिए। 🙏*

 🙏🏼😊   *बुढ़ापे में इन्हें छोड़  दीजिए*   😊🙏🏼


एक दो बार समझाने से यदि कोई नही समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना,

     🙏🏼   *छोड़ दीजिए*  🙏🏼


बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना,

     🙏🏼 *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼


 गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं जुड़ते तो उन्हें,

     🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼 


 एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना,

     🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼 


अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना,

     🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼 


यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना,

     🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼


हर किसी का पद, कद, 

मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना,

     🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼 


बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना,

     🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼


उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना,

    *🙏 छोड दीजिए। 🙏*



शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

बढ़ती उम्र का आनंद लीजिये🙏

 खुद को बढ़ती उम्र के साथ स्वीकारना एक तनावमुक्त जीवन देता है। 

हर उम्र एक अलग तरह की खूबसूरती लेकर आती है उसका आनंद लीजिये🙏

बाल रंगने है तो रंगिये, 

वज़न कम रखना है तो रखिये, 

मनचाहे कपड़े पहनने है तो पहनिए,

बच्चों की तरह खिलखिलाइये, 

अच्छा सोचिये, 

अच्छा माहौल रखिये, 

शीशे में दिखते हुए अपने अस्तित्व को स्वीकारिये। 

कोई भी क्रीम आपको गोरा नही बनाती, 

कोई शैम्पू बाल झड़ने नही रोकता,

कोई तेल बाल नही उगाता, 

कोई साबुन आपको बच्चों जैसी स्किन नही देता। 

चाहे वो प्रॉक्टर गैम्बल हो या पतंजलि .....सब सामान बेचने के लिए झूठ बोलते हैं। 

ये सब कुदरती होता है। 

उम्र बढ़ने पर त्वचा से लेकर बॉलों तक मे बदलाव आता है। 

पुरानी मशीन को Maintain करके बढ़िया चला तो सकते हैं, पर उसे नई नही कर सकते।

ना किसी टूथपेस्ट में नमक होता है ना किसी मे नीम। 

किसी क्रीम में केसर नही होती, क्योंकि 2 ग्राम केसर भी 500 रुपए से कम की नही होती ! 

कोई बात नही अगर आपकी नाक मोटी है तो,

कोई बात नही आपकी आंखें छोटी हैं तो,

कोई बात नही अगर आप गोरे नही हैं 

या आपके होंठों की shape perfect नही हैं....

फिर भी हम सुंदर हैं, 

अपनी सुंदरता को पहचानिए।

दूसरों से कमेंट या वाह वाही लूटने के लिए सुंदर दिखने से ज्यादा ज़रूरी है, अपनी सुंदरता को महसूस करना।

हर बच्चा सुंदर इसलिये दिखता है कि वो छल कपट से परे मासूम होता है और बडे होने पर जब हम छल व कपट से जीवन जीने लगते है तो वो मासूमियत खो देते हैं 

...और उस सुंदरता को पैसे खर्च करके खरीदने का प्रयास करते हैं।

मन की खूबसूरती पर ध्यान दो।

पेट निकल गया तो कोई बात नही उसके लिए शर्माना ज़रूरी नही।

आपका शरीर आपकी उम्र के साथ बदलता है तो वज़न भी उसी हिसाब से घटता बढ़ता है उसे समझिये।

सारा इंटरनेट और सोशल मीडिया तरह तरह के उपदेशों से भरा रहता है,

यह खाओ, वो मत खाओ 

ठंडा खाओ, गर्म पीओ, 

कपाल भाती करो,  

सवेरे नीम्बू पीओ,

रात को दूध पीओ

ज़ोर से सांस लो, लंबी सांस लो 

दाहिने से सोइये ,

बाहिने से उठिए,

हरी सब्जी खाओ, 

दाल में प्रोटीन है,

दाल से क्रिएटिनिन बढ़ जायेगा।

अगर पूरे एक दिन सारे उपदेशों को पढ़ने लगें तो पता चलेगा 

ये ज़िन्दगी बेकार है ना कुछ खाने को बचेगा ना कुछ जीने को !!

आप डिप्रेस्ड हो जायेंगे।

ये सारा ऑर्गेनिक, एलोवेरा, करेला, मेथी, पतंजलि में फंसकर दिमाग का दही हो जाता है। 

स्वस्थ होना तो दूर स्ट्रेस हो जाता है।

अरे! अपन मरने के लिये जन्म लेते हैं,

कभी ना कभी तो मरना है अभी तक बाज़ार में अमृत बिकना शुरू नही हुआ।

हर चीज़ सही मात्रा में खाइये, 

हर वो चीज़ थोड़ी थोड़ी जो आपको अच्छी लगती है। 

*भोजन का संबंध मन से होता है* 

*और मन अच्छे भोजन से ही खुश रहता है।*

*मन को मारकर खुश नही रहा जा सकता।*

थोड़ा बहुत शारीरिक कार्य करते रहिए,

टहलने जाइये, 

लाइट कसरत करिये,

व्यस्त रहिये,  

खुश रहिये,

शरीर से ज्यादा मन को सुंदर रखिये

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

*खुद को समर्पित* ☺️💐

आज चाय के साथ पकोड़े खाने का मन हुआ, फिर सोचा घर मे किसी को पसंद ही नही पकोड़े खाना, तो अपने लिए क्या बनाऊ.... चाय ली और दो बिस्कुट लेकर बैठ गई.... सुबह से शाम तक का सोचने लगी.... घर मे जो भी बनता है बच्चो या फिर पतिदेव की पसंद का बनता है.... अपनी पसंद का कभी नही बनाया.... खाना मै ही परोसती हूँ.... पर सभी को खिलाने के बाद में खाती हूं, अगर कभी सलाद खत्म हो जाए तो अपने लिए सलाद दोबारा नहीं काटती....सभी की चीजों का  मुझे ही ख्याल रखना होता है.... पर अपनी ही दवाई भूल जाती हूँ.... रात को सारा काम निपटा कर जैसे ही सोने की तैयारी करो तो आवाज़ आती है एक ग्लास पानी तो दे दो... पर अपने लिए पानी लेने खुद ही उठना पड़ता है..... जब सभी का ख्याल रख सकती हूँ.... तो खुद के लिए कुछ क्यों नही कर सकती....

 रोज़ सब के लिए फलों का प्लेट सजाते सजाते एक-आध टुकड़ा मुँह में डाल ली तो डाल ली.....खुद की प्लेट भी बनाई होगी, याद हीं नहीं... 

इतनी लीन हुई ये दुनियादारी में, की दुनियाँ ने इसको सबने टेक इट ग्रांटेड ले लिया....काम से सबने जेसे लक्षण रेखा सी खीच ली.......जकड़ डाला मेने खुद को एक रिवाज में.......इसकी दोषी में खुद ही हूं..... 

वर्ना कहाँ लिखा है... किसने कहा है, कि सब की सेहत का खयाल रखो, लेकिन खुद की नहीं?

*कुछ शब्द अपने लिए*

सजाओ सब की थाली,

वही प्यार वाली।

पर एक और बढ़ा दो,

खुद के नाम की थाली।

काटो तरबूज़, डालो अँगूर,

अपनी प्लेट भी सजाना ज़रूर।

दवाइयाँ देखो है ना सब की,

देखो फिर से एक बार,

अपनी दवाई भूली तो नहीं इस बार।

शाम हुई है,कोई है नहीं पास,

फिर भी बनाओ चाय,

देखो ना, तुम भी हो अपने आप में ख़ास ही हो

कोई कहेगा तब हीं रखोगी,क्या अपना ख्याल

सेहत है तुम्हारी कई बार कहूँ,

कब अपने हिस्से की ज़िन्दगी चखोगी।

दौड़ते भागते, थोड़ी ठहरा करो,

रखो सब का खयाल तुम...

और अपने ख़ातिर भी खुशियों का पहरा धरो।😊😊

सोचा  कभी अपने लिए भी लिखें भीकरो अब अपने भी शौक पूरे,

खुद को भी अपने लिए वक्त दो,

अपना खयाल रखोगी तभी तो

अपनों से जुड़े लोगों का भी रख पाओगी

सोचो सबके लिए पर अपना भी 

@ *मी टाइम *का ख्याल करो


*खुद को समर्पित* ☺️☺️😊😊👍👍👌💐💐💐