रविवार, 8 नवंबर 2020

मेरी छवि

"उम्रदराज़ न बनो" 
उम्र को दराज़ में रख दो
उम्रदराज़ ना बनो
खो जाओ ज़िन्दगी में
मौत का इन्तज़ार न करो..
जिसको आना है आये
जिसको जाना है जाये
ये तो वक़्त की पहचान है
हम तो जीना जानते हैं
ज़िन्दगी से ही मिलते हैं बार बार
उसी को पहचानते हैं....
कभी बचपन को जीती हूँ
कभी जवानी में सपने सँजोती हूँ
बुढापे में भी रहूँगी जवान ही
ऐसा सोचती हूँ
महफिलों का शौक रखती हूँ
दोस्तों से प्यार करती हूँ
जो रिश्ते मुझे समझ सकें
मैं उनसे जुड़ी रहती हूँ
बँधती नहीं किसी से
ना किसी को जुड़ने पर मजबूर करती हूँ
दिल से जोड़ती हूँ हर रिश्ता
और उन रिश्तों से दिल से ही जुड़ी रहना चाहती हूँ...
हँसना मुझे भाता है
पर अपनों के लिये रोने से भी गुरेज नहीं करती
जो दे देता है एक बार दगा
उससे दूर जाने में भी परहेज़ नहीं करती
याद आते हैं वो लोग कभी
तो आँखें भिगो लेती हूँ
पर फिर ज़िन्दगी की हसीन वादियों में खो जाती हूँ
जानती हूँ कि ज़िन्दगी के पास
समय कुछ थोड़ा है
शिकवे शिकायतों में व्यर्थ क्यों गँवाऊँ
क्यों न शिद्दत से ज़िन्दगी जी लूँ इसे
और प्रेम की गंगा हर तरफ बहाऊँ
मैं रहूँ न रहूँ
पर मेरी छवि मेरे बाद भी ज़िन्दा रहेगी
जिसको दिल से जो भी याद करेगा
मैं उसमें अपनी ज़िन्दगी शायद महसूस कर सकूंगी...
😊😊💐💐❤️❤️😊😊

1 टिप्पणी:

thanx for your valuable comments