शनिवार, 16 नवंबर 2019

*आज औऱ कल*

आज बच्चों को शोर मचाने दो
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
ख़ामोश ज़िंदगी बिताएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे*

गेंदों से तोड़ने दो शीशें
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
दिल तोड़ेंगे या ख़ुद टूट जाएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे*

बोलने दो बेहिसाब इन्हें
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
इनके भी होंठ सिल जाएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे* 

दोस्तों संग छुट्टियों मनाने दो
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
दोस्ती-छुट्टी को तरस जाएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे* 

भरने दो इन्हें सपनों की उड़ान
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
पर इनके भी कट जाएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे* 

बनाने दो इन्हें काग़ज़ की कश्ती
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
ऑफ़िस के काग़ज़ों में खो जाएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे* 

खाने दो जो दिल चाहे इनका
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
हर दाने की कैलोरी गिनाएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे*

रहने दो आज मासूम इन्हें
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
ये भी “समझदार” हो जाएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे*

1 टिप्पणी:

  1. वाह मामीजी 👌👌 आपमे ये हुनर भी है ये तो पहली बार देखा 👏👏

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thanx for your valuable comments