रमेश बाबु अपनी पत्नी स्वाति साथ बैठे चाय पी रहे थे।
"अनिल ने जो फ्लैट बुक किया था,उसकी चाभी उसे मिल गयी है।कहीं वह अपनी बहू और बच्चों के साथ वहीं न शिफ्ट कर जाये।"....स्वाति ने कहा ।
"अरे नहीं!अनिल ने फ्लैट बुक करते समय ही कहा था,केवल पैसा इन्वेस्ट कर रहा था।मुझे यकीन है, हमलोग को छोड़ कर वह कभी नहीं जायेगा ।".....रमेश बाबु ने मुस्कुराते हुए कहा ।पता नहीं क्यों उनकी आँखों के सामने उनकी माँ गंगा देवी का चेहरा आ गया ।बीस साल पहले उन्होंने अपने माता-पिता का घर यह कहते हुए छोड़ दिया था कि ऑफिस की तरफ से इतना बढ़िया फ्लैट मिल रहा है,अगर अभी शिफ्ट नहीं करेंगे तो फ्लैट हाथ से चला जायेगा ।पत्नी स्वाति का इतना दबाब था कि उन्होंने आपनी माँ का अश्रुपूरित आँखों को भी नजरअंदाज कर दिया ।माँ ने बड़ी धीमी आवाज और बेचारगी भरे स्वर में कहा था,"तुमलोगों के बगैर हमलोग कैसे रह पायेंगे ।बच्चों के बिना घर खाने को दौड़ेगा।"
माँ का उदास और बुझा हुआ चेहरा उनकी आँखों के सामने आ गया ।लेकिन पत्नी की हार्दिक इच्छा और सुखद स्वछन्द जीवन की लालसा ने उन्हें सरकारी आवास में रहने को मजबूर कर दिया ।
वे अभी ये सब सोच ही रहे थे कि तभी अनिल आया और उनकी बगल में बैठ गया ।बोला," पिताजी! एक बात कहनी है ।हमें नये फ्लैट की चाभी मिल गयी है ।हमलोग वहीं शिफ्ट होना चाहते हैं ।वहाँ से मेरा ऑफिस और बच्चों का स्कूल नजदीक है।आपकी बहु, को भी वहीं पास के स्कूल में टीचर की नौकरी लग गयी है ।" हम लोग कल से ,वहाँ रहने जा रहे हैं।कहकर वो बाहर चला गया
रमेश बाबु ने अपनी पत्नी की तरफ देखा ......उसका चेहरा बिलकुल उनकी माँ की तरह दिख रहा था ..... उदास और बुझा हुआ ।
"अनिल ने जो फ्लैट बुक किया था,उसकी चाभी उसे मिल गयी है।कहीं वह अपनी बहू और बच्चों के साथ वहीं न शिफ्ट कर जाये।"....स्वाति ने कहा ।
"अरे नहीं!अनिल ने फ्लैट बुक करते समय ही कहा था,केवल पैसा इन्वेस्ट कर रहा था।मुझे यकीन है, हमलोग को छोड़ कर वह कभी नहीं जायेगा ।".....रमेश बाबु ने मुस्कुराते हुए कहा ।पता नहीं क्यों उनकी आँखों के सामने उनकी माँ गंगा देवी का चेहरा आ गया ।बीस साल पहले उन्होंने अपने माता-पिता का घर यह कहते हुए छोड़ दिया था कि ऑफिस की तरफ से इतना बढ़िया फ्लैट मिल रहा है,अगर अभी शिफ्ट नहीं करेंगे तो फ्लैट हाथ से चला जायेगा ।पत्नी स्वाति का इतना दबाब था कि उन्होंने आपनी माँ का अश्रुपूरित आँखों को भी नजरअंदाज कर दिया ।माँ ने बड़ी धीमी आवाज और बेचारगी भरे स्वर में कहा था,"तुमलोगों के बगैर हमलोग कैसे रह पायेंगे ।बच्चों के बिना घर खाने को दौड़ेगा।"
माँ का उदास और बुझा हुआ चेहरा उनकी आँखों के सामने आ गया ।लेकिन पत्नी की हार्दिक इच्छा और सुखद स्वछन्द जीवन की लालसा ने उन्हें सरकारी आवास में रहने को मजबूर कर दिया ।
वे अभी ये सब सोच ही रहे थे कि तभी अनिल आया और उनकी बगल में बैठ गया ।बोला," पिताजी! एक बात कहनी है ।हमें नये फ्लैट की चाभी मिल गयी है ।हमलोग वहीं शिफ्ट होना चाहते हैं ।वहाँ से मेरा ऑफिस और बच्चों का स्कूल नजदीक है।आपकी बहु, को भी वहीं पास के स्कूल में टीचर की नौकरी लग गयी है ।" हम लोग कल से ,वहाँ रहने जा रहे हैं।कहकर वो बाहर चला गया
रमेश बाबु ने अपनी पत्नी की तरफ देखा ......उसका चेहरा बिलकुल उनकी माँ की तरह दिख रहा था ..... उदास और बुझा हुआ ।
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