उसने पूछा तेरी जाति क्या है?
मैंने भी पूछा : एक मां की या एक महिला की ..?
उसने कहा - चल दोनों की बता ..
और कुटिल मुस्कान बिखेरी ।
मैंने भी पूरे धैर्य से बताया.......
एक महिला जब माँ बनती है तो वो जाति विहीन हो जाती है..
उसने फिर आश्चर्य चकित होकर पूछा - वो कैसे..?
मैंने कहा .....
जब एक मां अपने बच्चे का लालन पालन करती है,
अपने बच्चे की गंदगी साफ करती है ,
तो वो शूद्र हो जाती है..
वो ही बच्चा बड़ा होता है तो मां बाहरी नकारात्मक ताकतों से उसकी रक्षा करती है, तो वो क्षत्रिय हो जाती है..
जब बच्चा और बड़ा होता है, तो मां उसे शिक्षित करती है,
तब वो ब्राह्मण हो जाती है..
और अंत में जब बच्चा और बड़ा होता है तो मां
उसके आय और व्यय में उसका उचित मार्गदर्शन कर
अपना वैश्य धर्म निभाती है ..
तो हुई ना एक महिला या मां जाति विहीन..
मेरा उत्तर सुनकर वो अवाक् रह गया । उसकी आँखों में
मेरे या हम महिलाओं या माँओं के लिए सम्मान व आदर का भाव था और मुझे अपने मां और महिला होनेपर पर गर्व का अनुभव हो रहा था।
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