मंगलवार, 23 जनवरी 2018

उलझनें

उलझनें है बहुत उलझनें है बहुत
             सुलझा लिया करती हूँ
फोटो खिंचवाते वक्त मैं अक्सर
            मुस्कुरा दिया करती हूँ.....!

क्यों नुमाइश करूं मैं अपने
            माथे पर शिकन की
मैं अक्सर मुस्कुरा के
           इन्हें मिटा दिया करती हूँ

क्योंकि

जब लड़ना है खुद को खुद ही से......!
तो हार और जीत में कोई फर्क नहीं रखती हूं.....!

हारूँ या जीतूं कोई रंज नहीं है
         कभी खुद को जिता देती हूँ
कभी खुद ही जीत जाती हूं
         *इसलिए भी मुस्कुरा दिया करती हूँ* 🙏😊
             सुलझा लिया करती हूँ
फोटो खिंचवाते वक्त मैं अक्सर
            मुस्कुरा दिया करती हूँ.....!

क्यों नुमाइश करूं मैं अपने
            माथे पर शिकन की
मैं अक्सर मुस्कुरा के
           इन्हें मिटा दिया करती हूँ

क्योंकि

जब लड़ना है खुद को खुद ही से......!
तो हार और जीत में कोई फर्क नहीं रखती हूं.....!

हारूँ या जीतूं कोई रंज नहीं है
         कभी खुद को जिता देती हूँ
कभी खुद ही जीत जाती हूं
         *इसलिए भी मुस्कुरा दिया करती हूँ* 🙏😊

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