सोमवार, 1 जनवरी 2018

हिसाब क्या रखें ..

*समय की* ..
*इस अनवरत बहती धारा में* ..
अपने चंद सालों का ..
हिसाब क्या रखें .. !!
*जिंदगी ने* ..
*दिया है जब इतना* ..
*बेशुमार यहाँ* ..
तो फिर ..
जो नहीं मिला उसका
हिसाब क्या रखें .. !!
*दोस्तों ने .. दिया है* ..
*इतना प्यार यहाँ* ..
तो दुश्मनी ..
की बातों का ..
हिसाब क्या रखें .. !!
*दिन हैं .. उजालों से* ..
*इतने भरपूर यहाँ* ..
तो रात के अँधेरों का ..
हिसाब क्या रखे .. !!
*खुशी के दो पल* ..
*काफी हैं .. खिलने के लिये* ..
तो फिर .. उदासियों का ..
हिसाब क्या रखें .. !!
*हसीन यादों के मंजर* ..
*इतने हैं जिंदगानी में* ..
तो चंद दुख की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !!
*मिले हैं फूल यहाँ* ..
*इतने किन्हीं अपनों से* ..
फिर काँटों की .. चुभन का हिसाब क्या रखें .. !!
*चाँद की चाँदनी* ..
*जब इतनी दिलकश है* ..
तो उसमें भी दाग है ..
ये हिसाब क्या रखें .. !!
*जब खयालों से .. ही पुलक* ..
*भर जाती हो दिल में ..*
तो फिर मिलने .. ना मिलने का .. हिसाब क्या रखें .. !!
*कुछ तो जरूर .. बहुत अच्छा है .. सभी में*  ..
फिर जरा सी .. बुराइयों का .. हिसाब क्या रखें .. !
🙏🏻🙏🏻💐💐

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