गुरुवार, 17 अक्टूबर 2013

धर्म भ्रष्ट

माँ 6 साल के बच्चे को पीटते हुये
नालायक तूने भँगी के घर की रोटी खायी तू भँगी हो गया,
तूने अपना धर्म भ्रष्ट कर लिया अब क्या होगा ?
बच्चे का मासूम सवाल>>
माँ मैने एक बार उनके घर की रोटी खा ली तो मैं भँगी हो गया
लेकिन वो लोग तो हमारे घर की रात की बची रोटी बर्षो से खा रहे हैं,
तो वो ब्राह्राण क्यों नही हो पाये??????
जो इंसान जाति और जातिवाद को मानता है
वह इंसान कहलाने के लायक नहीं है !

ज्ञान दौलत और इज्ज़त

ज्ञान दौलत और इज्ज़त …य़े तीनो दोस्त एक जगह जमा हुए , जब बिछड़ने का वक़्त आया तो उन तीनो के बीच कुछ इस तरह से बात हुई :-
ज्ञान …. मै जा रहा हूँ अगर मुझे मिलना हो तो विद्वानों की सोहबत और उनकी किताबों में मिलूँगा ।
दौलत …. मै भी जा रही हूँ अगर मुझे मिलना हो तो अमीरों के महलों में मिलना । 
इज्ज़त ने कुछ नही कहा तो ज्ञान और दौलत ने पूछा , तुम खामोश क्यों हो ? अब तुम दोबारा कहाँ मिलोगी ।
इज्ज़त …. अफ़सोस है कि जब मैं एक बार चली जाती हूँ तो दोबारा कहीं नही मिलती ।

स्त्री हूँ मैं !



व्यर्थ नहीं हूँ मैं!
जो तुम सिद्ध करने में लगे हो
बल्कि मेरे कारण ही हो तुम अर्थवान
अन्यथा अनर्थ का पर्यायवाची होकर रह जाते तुम।
मैं स्त्री हूँ!
सहती हूँ
तभी तो तुम कर पाते हो गर्व अपने पुरूष होने परमैं झुकती हूँ!
तभी तो ऊँचा उठ पाता है
तुम्हारे अंहकार का आकाश।
मैं सिसकती हूँ!
तभी तुम कर पाते हो खुलकर अट्टहास
हूँ व्यवस्थित मैं
इसलिए तुम रहते हो अस्त व्यस्त।
मैं मर्यादित हूँ
इसीलिए तुम लाँघ जाते हो सारी सीमायें।
स्त्री हूँ मैं!
हो सकती हूँ पुरूष
पर नहीं होती
रहती हूँ स्त्री इसलिए
ताकि जीवित रहे तुम्हारा पुरूष
मेरी नम्रता, से ही पलता है तुम्हारा पौरुष
मैं समर्पित हूँ!
इसीलिए हूँ उपेक्षित, तिरस्कृत।
त्यागती हूँ अपना स्वाभिमान
ताकि आहत न हो तुम्हारा अभिमान
जीती हूँ असुरक्षा में
ताकि सुरक्षित रह सके
तुम्हारा दंभ।
सुनो!
व्यर्थ नहीं हूँ मैं!
जो तुम सिद्ध करने में लगे हो
बल्कि मेरे कारण ही हो तुम अर्थवान
अन्यथा अनर्थ का पर्यायवाची होकर रह जाते तुम।

मंगलवार, 8 अक्टूबर 2013

*एक गरीब बेटी की दास्तान*




 *एक गरीब बेटी की दास्तान*



चौदह साल की मुनिया पड़ोस के घर से झाड़ू- पोंछा करके


 
अपने घर आई।


 
चारपाई पे लेटा उसका बाप गुस्से से आग- बबूला होके बोलाः


 
"रे करमजली! कहाँ मुँह काला करवा रही थी। एक घंटा देर से आ




रही है।"


.
"बापू! वो उनके घर कूछ मेहमान आने वाले थे, तो पोंछा लगाने




का काम आज




ज्यादा करना पड़ा। इसलिये देर हो गई।"


.
.
"अबे! भाग करमजली जाकर घर के काम अपने निपटा"


.
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अभी मुनिया रूम मेँ ही आई की छोटे भाई ने नाश्ता माँगा।





मुनिया के बताने पे कि नाश्ता नहीँ बना


,
भाई ने उसकी पीठ पे एक मुक्का तान के मार दिया।





"कमीनी मुझे खेलने जाना है भूख लगी है, जल्दी रोटी बना।"


.
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दोपहर मेँ जब कोई नहीँ था तो मुनिया अकेले मेँ





रो रही थी,



पालतू कुत्ता शेरू उसके समीप आके जीभ से दुलार करने लगा।



मुनिया शेरू से लिपट के रो पड़ी और बोलीः




"भगवान! किसी भी जन्म मेँ मुझे गरीब घर की बेटी मत बनाना,



अगर गरीब की बेटी बनाना तो माँ के साथ ही मुझे भी ऊपर बुलाना !"