मंगलवार, 4 जून 2013

chemical locha

ना ये "KEMISTRY" होती ना मै "STUDENT" होता
ना वो "LAB" होती ,ना वो "LOV AKSIDENT" होता
तभी "PRAKTIKAL" के वक्त नजर आयी एक लड़की
खूबसूरत उसकी नाक "TEST TYUB" जैसी
उसकी बातों में "GLUKOJ" की मिठास थी
"ETHYL ALKOHOL" सी ठंडी उसकी सांस थी
अँधेरे में वो "रेडियम" की तरह चमकती थी
अब आँख मिली तो REAKSHAN हुआ, लव का PRODUKSHAN हुआ!
फिर तो लगने लगे उसके घर के चक्कर ऐसे
"NUKLEUS" के चारो ओर "ELEKTRON" जैसे
जिस दिन "TEST" का "PERFEKSHAN" था
उस दिन उसके पिताजी से हमारा"INTRODUKSHAN" था
मानों "IGNISHANN TYUB" से "SODIUM" के पीसेस निकल पड़े
वो बोले होश में आओ,पहचानों अपनी औकात
"IRON" कभी मिल नहीं सकता "GOLD" के साथ !
इस तरह तोड़ दिया उन्होंने हमारे अरमानों का"BEAKER"
हम चुप ही रह गए "BENJALDEHYDE" का घूँट पीकर .
अब उनकी यादों के बिना हमारा काम चलता नहीं है
जिंदगी हो गयी अब "UNSACHURATED KARBON" कीतरह ,
बेकार घूमते अब हम आवारा "HYDROGEN" की तरह...!!

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