शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

*काश*




व्यतीत करना चाहती हूँ ...

सिर्फ एक दिन...

खुद के लिये...

जिसमें न जिम्मेदारियों का दायित्व हो

न कर्त्तव्यों का परायण

न कार्य क्षेत्र का अवलोकन हो

न मजबूरियोँ का समायन

बस मैं ,

मेरे पल ..

मेरी चाहतें और 

मेरा संबल

एक कप काफी से

हो मेरे दिन की शुरुआत

भीगकर अतीत के लम्हों में

खोजू अपने जज्बात

भूल गई जो जिंदगी जीना

उसे फिर से याद करु..

सबकी खातिर छोङ चुकी जो

उन ख्वाईशों की बात करु..

उलझी रहू बस स्वयं में ही

न कोई हो आस पास...

जी लू जी भर उन लम्हों को

जो मेरे हो सिर्फ खास..

मस्त मगन होकर में नाचूँ

अल्हङपन सी मस्ती में

जैसे चिङिया चहक रही हो

खुले आसमान सी बस्ती में..

मन का पहनू,

मन का खाऊं

न हो और किसी का ख्याल...

भूल गई हू जो जीना मैं

फिर से न हो मलाल..

शाम पङे सखियों से गपशप

और पानीपूरी खाऊं

डाक्टर के सारे निर्देशों को

बस एक दिन भूल जाऊँ..

मस्त हवा संग बाते करु

खुली सङक पर यूंही चलू..

बेफिक्री की राह पकङकर

अपनी बातों की धौंस धरु..

रात नशीली मेरे आंगन

इठलाती सी आये

लेकर अपनी आगोश में

चांद पूनम का दिखलायें...

सोऊं जब सपने में मुझे

वो राजकुमार आये

परियों की दुनियां से होकर

जो मेरे रंग में रंग जाये..

एकसाथ में बचपन ,

यौवन

फिर से जीना चाहती हूं..

काश! मिले वो लम्हेँ मुझको

 एक दिन अगर जो पाती हू...

मंगलवार, 2 जुलाई 2024

मेरे पापाजी

 "ऐसा भी होता था"

    "सर..मुख्य मंत्री जी फॉरेस्ट रेस्ट में ठहरे है..और रिजर्व फॉरेस्ट में शिकार कर  ..रहे. है..।"रेंजर ने आकर रिपोर्ट दी।

   याने आप भी चक्कर में होगें...किस मुख्य मंत्री की बात हो रही है?

   माफ किजीऐ..यह बात किस तरह का धमाका करने वाली बात है..यह आपको आगे मालुम होगा..

  बात करीब सन् 1963-64 की है...तब मध्य प्रदेश में मुख्य मंत्री संविद सरकार के गोविंद नारायण सिंह थे..

   उनकी आदत "अज्ञात वास "पर जाने की थी..आम  लोगों को पता न था..अज्ञातवास में माननीय करते क्या है..क्योकि उस जमाने न TVथा..मध्य प्रदेश में न ..न इतनी चैनल के 

पत्रकार..सब गोपनीय चलता था..जब मर्जी जाते..जब मर्जी जनता के बीच आ जाते..

  अब यह बात गुना जिले की है ..जहां DFOश्री एम.एम.त्रिपाठी थे..जिनके गुस्से से विभाग के  सारे कर्मचारी कांपते थे..याने वे लड्या-ततैय्या टाइप के न थे..अपितु  अत्यन्त ईमानदार थे ..सभी अधीनस्थों को मालुम था कि बेईमानी की किसी भी बात पर माफी नहीं मिलती..इसीलिए  सभी अधीनस्थ समय पूर्व हर घटना की सूचना देते थे..इसीलिए रेंजर ने मुख्य मंत्री के शिकार की रिपोर्ट की..क्योकि..गुना में वह इलाका रिजर्व फॉरेस्ट के अन्तर्गत आता था..जहां किसी को शिकार करने की अनुमति भी न थी..न कोई भी अधिकारी दे सकता था ..जो अत्यन्त दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता था..

  अब ऐसी रिपोर्ट सुन..जो.

था तो अवैध कृत्य..क्या हुआ चाहे मुख्य मंत्री ही संलिप्त हो..वे तुरन्त SPके पास पहुंचे.और कहा-SPसाहब आप.हमारे साथCMके पास चलिए..और समझाईये कि वे ऐसा न करे..वर्ना आप जानके  है..हम उनके अपराध के खिलाफ कानूनी कार्रवाई...करेगे...!!"

   SPत्रिपाठी जी की ईमानदारी के बारे में  सब जानते थे..लेकिन वे CMके विरुद्ध भी कार्रवाई का  जिगर रखते है..सुनकर हत -प्रभ रह गये..

  तुरन्त  उनके साथ फॉरेस्ट रेस्ट हाउस मे गोविंद नारायण सिंहCM के पास..पहले अकेले जाकर धीरे से निवेदन कर ..उनकी शिकार करने  परDFOसा. की आपत्ति बताई...

  यह सुन CMभी आश्चर्य चकित रह गये..क्योकि वह जमाना और था..

   CMने DFO त्रिपाठी जी को बुलाकर पुछा..".कहिए DFOसाहब..क्या  आपत्ति है?"DFOत्रिपाठी ने कहा -"सर मुझे कोई आपत्ति नहीं है..लेकिन हाल फिलहाल वन मंत्री भी आप है..और कानून यहां Reserve  Forestमें शिकार करना जुर्म है..और कोई भी  शिकार की Permission..किसी भी हालात में नहीं दे सकता..कल को विधान सभा में सवाल उठेगा तो हम वही कहेगे जो सत्य है..और माफ करना हम कार्रवाई भी करेगे..तब आप  पुछेगे..पहले क्यो नही बताया"

  "बहुत बढिया..आप जैसे ईमानदार अफसरों की हम कदर करते है..हम फौरन यहां से अपने शिकार आदि का प्लान निरस्त कर जाते है,,देश आप जैसे बहादुर चौकीदारों से के कारण महफूज रहेगा..वर्ना आमतौर पर तो हमारी हां में हां मिलाते हुए ..किसी भी गलत बात का समर्थन करने लगते है..वे भूल जाते है ..हम राजा नहीं..जनता के चुने हुए प्रतिनिधि है"

  और वास्तव में उन्होने तत्क्षण रवानगी डाल दी।

   एस.सी.त्रिपाठी.....मुम्बई