शर्म नहीं आती आप दोनों को ....कम से कम अपनी उम्र का तो लिहाज रखो .....
ये संभ्रांत लोगों की कालोनी है यहां बच्चे बडे सभी आते है पार्क में वाक करने.... टहलने.....
लेकिन आए दिन आप दोनों यूं साथ बैठे रहते है... दोनों को देखकर आपको तो शर्म आती नहीं ,हमें ही आँखें नीचे करनी पड़ती है....वह वाकिग सूट पहने मॉर्डन सा दिखने वाला व्यक्ति गुस्से से उन दोनो से बोला...
तभी एक दूसरे दोस्त ने भी इसी का साथ देते हुए कहा....बिल्कुल सही कहा आपने भाईसाहब...... अब ये हरकतें बच्चे करें ,तो समझ आता है ,कह सकते हैं के नासमझ है, मगर ये दोनों तो बूढे है ....मे भी पिछले कुछ दिनों से बराबर देख रहा हूं इन दोनों को
शर्म नही आती आप दोनों यू घुल मिलकर बेंच पर साथ साथ रोजाना घंटे ऐसे गुजारते हैं
पार्क मे इकठ्ठी भीड ने भी दोनो बुजुर्गो को घेर रखा था ,और कुछ ऐसी ही बातें कहते हुए उन दोनों बुजुर्गों पर सभी गुस्सा हो रहे थे
तभी उन बुजुर्ग ने चुप्पी तोडी हुए कहा... हम कोई छिछोरे जवान नहीं है ....
ये मजबूरी है हम दोनों की.आप सभी जानते हैं की मे आपकी ही कालोनी का हूं और मेरी पत्नी गुजर चुकी है, बच्चे विदेश मे अपने सेंटल है, उन्हें अपने बाप की कोई चिंता नही है अकेला बीमारी मे मैं रहता हूं....मेरे बनाए उस घर मे जिसे मे मंदिर कहता हूं,पर मुझे लगता था वो मेरे बच्चे मेरे बुढापे का सहारा बनेंगे मगर, ...वो भी सब छोड गए,
और ये है गीता जी, इनकी भी कहानी ऐसी ही है, बच्चों ने इनकी संपत्ति ,पिता की मृत्यु के बाद हड़प ली और इन्हें वृद्ध आश्रम मे छोड कर सब चल दिये .....
ये अपना मन बहलाने यहां पार्क में आती है ,यहां हमारी मुलाकात हुई एक,दूसरे का गम बांटते बांटते जान पहचान हुई है..
बेटा इन्हें कम सुनाई देता है वही मुझे कम दिखाई देता है हम दोनों सत्तर पार है आज हम दोनों एक दूसरे का सहारा है कुछ गम बांट लेते है पास बैठकर .... सकून महसूस करते हैं..
इस उम्र मे हम दोनों को शारारिक जरुरतें नही, बल्कि एक दूसरे से बातचीत कर,, कहने सुनने वाला साथी बने हुए हैं
और अब हम दोनों ने शादी करने का फैसला भी किया है ,जल्द ही आश्रम मे हमारी शादी होने वाली है आप भी आना अपने बुजुर्गों को शुभकामनाएं देना.....कहकर वह दोनों बुजुर्ग एक दूसरे का हाथ थामे चलने लगे ....
वहीं इकट्ठा हुई भीड शर्मिंदगी से छंटने लगी थी निशब्द सी होते हुए.....