रविवार, 13 अगस्त 2023

**वो समझदार बहु **

शाम को गरमी थोड़ी थमी तो मैं पड़ोस में जाकर निशा के पास बैठ गई। 

आखिर ,उसकी सासू माँ भी तो कई दिनों से बीमार है..... सोचा ख़बर भी ले आऊँ और निशा के पास बैठ भी आऊँ। मेरे बैठे-बैठे पड़ोस में रहने वाली उसकी तीनों देवरानियाँ भी आ गईं। निशा से पूछा ‘‘अम्मा जी, कैसी हैं?’’ 

और पूछ कर इतमीनान से चाय-पानी पीने लगी।.......फिर एक-एक करके अम्माजी की बातें होने लगी। सिर्फ़ शिकायतें.......... ‘‘जब मैं आई तो अम्माजी ने ऐसा कहा, वैसा कहा, ये किया, वो किया।’’

आधे घंटे तक शिकायते करने के बाद सब ये कहकर चली गईं....... कि उनको शाम का खाना बनाना है....बच्चे इन्तज़ार कर रहे हैं। 

उनके जाने के बाद मैं निशा से पूछ बैठी,

निशा अम्माजी, आज एक साल से बीमार हैं और तेरे ही पास हैं। तेरे मन में नहीं आता कि कोई और भी रखे या इनका काम करे, माँ तो सबकी है।’’

उसका उत्तर सुनकर मैं तो जड़-सी हो गई। 

वह बोली, ‘‘बहनजी, मेरी सास सात बच्चों की माँ है। अपने बच्चो को पालने में उनको अच्छी जिंदगी देने में कभी भी अपने सुख की परवाह नही की.... सबकी अच्छी तरह से परवरिश की ......ये जो आप देख रही हैं न मेरा घर, पति, बेटा....बेटी , शानो-शौकत सब मेरी सासुजी की ही देन है।......

अपनी-अपनी समझ है बहनजी । मैं तो सोचती हूँ इन्हें क्या-क्या खिला-पिला दूँ, कितना सुख दूँ, मेरे दोनों बेटे बेटी अपनी दादी मां के पास सुबह-शाम बैठते हैं..... उन्हे देखकर वो मुस्कराती हैं, अपने कमजोर हाथो से वो उन दोनों का माथा चेहरा ओर शरीर सहलाकर उन्हे जी भरकर दुआएँ देती हैँ।

जब मैं सासु माँ को नहलाती, खिलाती-पिलाती हूँ, ओर इनकी सेवा करती हूँ तो जो संतुष्टि के भाव मेरे पति के चेहरे पर आते है उसे देखकर मैं धन्य हो जाती हूँ၊ मन में ऐसा अहसास होता है जैसे दुनिया का सबसे बड़ा सुख मिल गया हो.......

मेरी सासु माँ तो मेरा तीसरा बच्चा बन चुकी हैं.........

और ये कहकर वो सुबकसुबक कर रो पड़ी।

मैं इस ज़माने में उसकी यह समझदारी देखकर हैरान थी, मैने उसे अपनी छाती से लगाया और मन ही मन उसे नमन किया और उसकी सराहना की .......

कि कैसे कुछ निहित स्वार्थी ओर अपने ही लोग तरह-तरह के बहाने बना लेते है तथा अपनी आज़ादी और ऐशो अय्याशी के लिए,अपनी प्यार एवं ममता की मूरत को ठुकरा देते हैं








बुधवार, 2 अगस्त 2023

*मेरे जाने के बाद*


जिस रात मूँद लूँ आँख अपनी

और न फिर मेरी सुबह हो

होंगीं ज़रूर आँखें नम तुम्हारी 

पर बहुत न तुम दुखी हो



मेरी हँसती तस्वीर टाँग देना 

तुम हर कमरे मे

साथ दिखूँगी तुम्हें मैं 

घर के हर कोने में 



सुबह जाओगे जब बाहर 

हँस के विदा करूँगी तुम्हें 

शाम लौटोगे जब थक कर

इंतजार करती मिलूँगी मैं



मेरी तस्वीर पर न तुम

फूल माला चढ़ाना 

नहीं हूँ मैं साथ तुम्हारे 

खुद को याद न दिलाना



जब मिलकर बैठोगे साथ

इक कुर्सी ख़ाली रख लेना 

मैं भी शामिल हूँ गपशप में

मन में यह यकीन कर लेना



सुनाना चुटकुले मुझे 

बेआवाज साथ हसूँगी मैं भी

पहले सुना है मैंने

यह भी नहीं कहूँगी मैं



जैसे बात करते हो मुझसे आज

कल भी वैसे ही करना

मैं हूँ तुम्हारे आस पास

इस बात का यकीन रखना



मुझसे करते हो गर प्यार 

इक दूजे का रखना खयाल 

अगर दुखा दिल किसी का भी

दुखी होंगीं तुम्हारे साथ मैं भी



मेरी याद को बोझिल न बना लेना

मेरा नाम लेकर ज़रा मुस्करा देना

न दिखूँ तुम्हें तो मूँद लेना आँखें 

अपने भीतर मुझे साथ पा लेना



तुम्हारी हँसी में खिलखिलाऊँगी मैं भी

तुम्हारी खुशी में ख़ुश हो जाऊँगी मैं भी

तुम्हारे साथ साथ के गानों को

गुनगुनाऊंगी में,

गा के मुझे यूं ही सुनाना

में आसपास ही बैठी रहूंगी तुम्हारे

बस महसूस यही करना होगा

जीना जिंदगी को हर घड़ी भरपूर तुम

तुम्हारे साथ जीती जाऊँगी मैं भी


अनिता सुखवाल