*बीमारियां कैसे आती हैं?*
शरीर हमें बताता है !
अपने आंसुओं को भींच लेने से !
कड़वी बातों को चुपचाप निगल जाने से !
अपनी जुबान को बंद रखने से !
अपने दिल के दरवाज़े पर सांकल लगाने से!
लेकिन शरीर तो बोलता है ,
ओह, शरीर जरूर बोलता है ...
टेबल की सतह को थपथपा कर
उंगलियों की कोरो से बोलता है ,
बिस्तर पर बेचैन पैरों की हरकत से बोलता है ,
गले में रूंध गई आवाज से बोलता है,
दिमाग़ पर माइग्रेन के हमले से बोलता है ,
आंतों में भर गई हवा से बोलता है ,
पेट में भर गई आग से बोलता है ,
माथे पर तनी हुई लकीरों और सलवटों से बोलता है,
अनिद्रा और अतिनिद्रा से बोलता है,
अपनी आवाज पर लगाम लगा सकते हो तुम,
पर भीतर एक संवाद शुरू हो जाता है,
हम बीमार इसलिए होते हैं।
क्योंकि हम न पचने वाले रेशों को,
दिल में समेट कर रख लेते हैं।
दर्द हमेशा हमेशा हमारे साथ रहने के लिए नहीं आया है,
वह तो सिर्फ़ एक अर्ध विराम है,पूर्ण विराम नहीं !
बोलना हमारी आत्मा को सुकून पहुंचाता है
इसलिए
* लिखो*
कुछ भी लिखो ।
एक खत लिखो
डायरी लिखो
अपनी कथा लिखो
अपनी व्यथा लिखो
एक कविता लिखो
एक किताब लिखो
एक *गीत* गाओ
दूसरों को गाने के लिए तैयार करो
*नृत्य*
अपने पैरों को तैयार करो
और नृत्य की मुद्रा में आ जाओ
*कलाकार*
एक कलाकार बन जाओ
एक कैनवास पर मनचाहे रंग उतार दो
*मिलो*
दोस्तों से मिलो - फोन पर ही सही
*दौड़ो*घूमो
पार्क में दौड़ लगाओ घूमने जाओ 🏃♂️
*बात*
अपने लोगों से बात करो
पेड़-पौधों से बात करो..
गली के कुत्ते से बतियाओ
गाय को रोटी खिलाओ
कुछ नहीं तो आसमान की ओर देखकर जोर से चिल्लाओ
बस चुप मत रहो
तुमने जो झेला
अगर उसे निगल लिया
तो डूबने के अलावा कोई चारा नहीं तुम्हारे पास
आखिर तुम्हारा दिल एक गोदाम,
एक कबाड़खाना तो नहीं है न,दोस्त !
और शरीर यह जानता है
इसीलिए बोलता है !!
*मनमौजी बनिये 🤪😋😆*
*हंसिए और हंसाइए....
*स्वस्थ रहिए और मस्त रहिए* 🕺