रविवार, 24 जुलाई 2022

लौट के आजा मेरे मीत

  जानती हूं, कल से मुझ ही को याद कर रहे हो, करो भी क्यों न, आज, मुझे तुमसे दूर हुए पूरा एक साल जो हो गया, आज पूजा पाठ हो रहा है घर में, ब्राम्हण भोज भी होगा, आज तो दिन भर व्यस्त रहोगे, जब फुरसत मिले तो मुझे याद करना, मैं भागी भागी, चली आऊंगी, तुम्हारे  पास,साथ के लिए जीते जी तरसी हूं, तो मरने के बाद, ये मौका, कैसे छोड़ दूंगी।

    ताना नहीं मार रही हूं, शिकायत कर रही हूं, जब तक साथ थी, अपनी व्यस्तता के चलते, न मुझ पर ध्यान दे पाए, न कभी मेरे मन की सुन पाए, घर के बड़े होने के कारण, सारी जिम्मेदारियां उठाने में लगे रहे, और मैं तुम्हारा, इंतजार ही करती रही।

    याद आ रहा है, जब ब्याह के आई थी, छोटी उमर के थे हम, अंदर से तुम कवि हृदय, पर ऊपर से सदैव, कठोर बने रहे, अकेले में हम, जी भर के बातें करते, पर जैसे ही घर वालों के सामने आते, कभी मुझे, नजर उठा कर भी न देखते, जानती हूं, जानती हूं, बड़ों का लिहाज था। पर सच कहूं, मुझे तुम्हारा, वही रुप पसंद था जो मेरे सामने, रहता, एक पागल प्रेमी का।

    बच्चों के जन्म के बाद, मैं भी तो उनकी परवरिश में उलझकर, रह सी गई थी, घर की बड़ी बहू, होने के कारण जिम्मेदारियां भी, निभानी थीं........... बच्चे बड़े होते गए, खर्च बढ़ते गए, और तुम, हमेशा जोड़ तोड़ और गुणा भाग, में ही लगे रहे, ऑफिस की जिम्मेदारियां, कभी घर की परेशानियां, जीवन सरपट, भागा जा रहा था, और हमें भी साथ दौड़ाए जा रहा था।

बच्चे बड़े हो गए, शुक्र है, दोनों बेटे, पढ़ लिखकर लायक बन गए, अब सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी उनके लिए बहुएं, ढूंढना, पर ये सौभाग्य, बड़े पुत्र ने हमें न दिया, एक दिन अपनी सहपाठी को, हमारे समक्ष खड़ा कर दिया, मम्मी पापा, ये है आपकी होने वाली बहू, तुम, हमेशा नियमों और कायदों से चलने वाले, क्या तुम्हें, बेटे का ये रवैया, पसंद आता, क्रोध में आता हुआ देख, मैंने झट तुम्हारा हाथ उठाकर, बहू के सिर पर रख दिया, और आशीर्वाद दे दिया........ तुम खा जाने वाली नजरों से देखते रहे मुझे, बच्चों के जाने के बाद, मैंने तुम्हें समझाने कि, कितनी कोशिश की, पर तुम कई दिनों तक नाराज़, रहे मुझसे।

   जानती थी, ये नाराजगी, मुझसे नहीं, बेटे से थी, पर नए जमाने के चलन को देखते हुऐ, तमाशा करने के बजाय, उनके निर्णय को स्वीकृति देने केअलावा, मुझे कुछ सूझा नहीं।

    छोटा बेटा, आपका लाड़ला रहा हमेशा, उसने तो साफ कह दिया, जहां पापा कहेंगे, मैं तो आंख मूंद के शादी कर लूंगा, उस दिन, तुम्हारे चेहरे पर, अलग सा सुकून देखा मैने........ तुम्हें अपनी चलाने की आदत भी तो रही है न हमेशा, नाराज क्यों होते हो, मैं तो दिल्लगी कर रही थी।

    खूब देख भाल के,  तुम्हारे अभिन्न मित्र की ही बेटी को, छोटी बहू के रुप में पसंद किया, खूब धूमधाम से, हमने अपनी, आखिरी ज़िम्मेदारी निभा दी।

    दोनों बच्चे, अपनी नौकरियों में व्यस्त हो गए, कभी कभार, हम भी उनके पास, चले जाते, पर रिटायरमेंट के बाद, तुम्हें अपना घर ही अच्छा लगता, यार दोस्त ज्यादा बनाना, पसंद था नहीं तुम्हें, अंदर ही रखते थे सारी बातें, खुश हो या दुखी, शक्ल देखकर ही अंदाजा, लगा पाती थी मैं।

    आजकल थोड़ी थकावट होने लगीहै, डॉक्टर को दिखाया है पर, कमजोरी और थकान, बढ़ने लगी है, उमर बढ़ने लगी है, और तुम्हारी चिन्ता भी, तुम इतने संकोची हो कि, मेरे न रहने पर, बहुओं से, अपने मन का कुछ खाने को भी न कह पाओगे, खाने पीने के इतने शौकीन हो, कैसे अपना मन मार पाओगे........ आजकल ज्यादा समझाइश देने लगीं हूं, और बच्चों के साथ रहने पर जोर देने लगी हूं, पर तुम टस से मस नहीं होते, ठेल ठेलकर, मुझे सुबह, घुमाने ले जाने लगे हो, खुली हवा में, पर मुझे तो तुम्हारे अकेलेपन की चिन्ता खा रही है, ज्यादा सोचती हूं न, तुमसे डांट भी तो खाती हूं।

आजकल मेरी चिन्ता, बहुत करने लगे हो, खो देने का, डर सताने लगा है न, कितनी तेज गति से दौड़ी जा रही है जिंदगी, चाहकर भी नहीं रोक पा रहे हैं हम।

    पहले भी समझाती थी, आज भी कह रही हूं, बहुओं को बेटी समझना, उनसे अपने मन की बात कह देना, संकोच न करना, खाने में मनमानी न करना, दादागिरी दिखाकर, अब आंखे क्या दिखा रहे हो, अब मैं डरने वाली नहीं हूं।

    हमारे साथ की, वो आखिरी रात,मैं तुमको देखकर सोई, कभी न जागने के लिए, अरे मैं तो और भी कुछ कहना चाहती थी, सुनना चाहती थी, पर ईश्वर ने मौका ही न दिया, शायद इतना ही साथ था हमारा, पर दुखी न होना, मैं तुम्हारा पीछा छोड़ने वाली नहीं, मरकर भी नहीं........

अब मेरे जाने का वक्त हो गया, अपना ध्यान रखना, मैं यहीं हूं, हमेशा तुम्हारे पास, बिलकुल नजदीक,................

प्रीति सक्सेना
इन्दौर द्वारा रचित ह्रदय स्पर्शी कथा

बुधवार, 20 जुलाई 2022

ख़्वाब

                 
कितने 
ख़ूबसूरत होते हैं ना,
और थोड़े 
सर-फिरे भी.

ये चलना नहीं चाहते 
बस उड़ना चाहते हैं.. 

भरना चाहते हैं 
एक ऐसी उड़ान !
जहाँ ज़मीन की 
हक़ीक़त हो, 
और आसमाँ के 
पार की कल्पना भी. 
जहाँ वक़्त सा 
ठहरना हो 
और ख़ुश्बू सा 
बिखरना भी. 

ये सजना चाहते हैं 
सँवरना चाहते हैं.
ख़ुद में भरते हैं रंग !
ले कर 
तितलियों से उधार. 
चमक उठते हैं 
ख़ुद को 
चाँदनी से सँवार.

टाँकते हैं कुछ 
उजले सितारे भी, 
फिर ताकते हैं 
आएँगे दिन हमारे भी. 

देखते हैं हर नज़र में 
हज़ारों सवाल, 
कहते हैं ख़ुद से 
न डर तू सँभाल. 

दिन में सजते हैं शौक़ से 
ख़्वाहिश के बाज़ारों में, 
रातों में बहते हैं ख़ौफ़ से 
अश्कों के धारों में.

बहुत ख़ुश-नसीब 
होती है वो आँखें !
जिन में ख़्वाब रहते हैं.
हैं मुकम्मल 
वो अश्क भी, 
जिन में ख़्वाब 
बहते हैं.

 

रविवार, 17 जुलाई 2022

*हुनर अपनाअपना*

एक बडी कंपनी के गेट के सामने एक प्रसिद्ध समोसे की दुकान थी, लंच टाइम मे अक्सर कंपनी के कर्मचारी वहाँ आकर समोसे खाया करते थे।
एक दिन कंपनी के एक मैनेजर समोसे खाते खाते समोसेवाले से मजाक के मूड मे आ गये।
मैनेजर साहब ने समोसेवाले से कहा, "यार गोपाल, तुम्हारी दुकान तुमने बहुत अच्छे से maintain की है, लेकीन क्या तुम्हे नही लगता के तुम अपना समय और टैलेंट समोसे बेचकर बर्बाद कर रहे हो.? सोचो अगर तुम मेरी तरह इस कंपनी मे काम कर रहे होते तो आज कहा होते.. हो सकता है शायद तुम भी आज मैंनेजर होते मेरी तरह.."
इस बात पर समोसेवाले गोपाल ने बडा सोचा, और बोला, " सर ये मेरा काम अापके काम से कही बेहतर है, 10 साल पहले जब मै टोकरी मे समोसे बेचता था तभी आपकी जाॅब लगी थी, तब मै महीना हजार रुपये कमाता था और आपकी पगार थी 10 हजार।
इन 10 सालो मे हम दोनो ने खूब मेहनत की..
आप सुपरवाइजर से मॅनेजर बन गये.
और मै टोकरी से इस प्रसिद्ध दुकान तक पहुँच गया.
आज आप महीना 50000/- कमाते है
और मै महीना 200000/-
लेकिन इस बात के लिए मै मेरे काम को आपके काम से बेहतर नही कह रहा हूँ।
ये तो मै बच्चों के कारण कह रहा हूँ।
जरा सोचिए सर मैने तो बहुत कम कमाई पर धंधा शुरू किया था, मगर मेरे बेटे को यह सब नही झेलना पडेगा।
मेरी दुकान मेरे बेटे को मिलेगी, मैने जिंदगी मे जो मेहनत की है, वो उसका लाभ मेरे बच्चे उठाएंगे। जबकी आपकी जिंदगी भर की मेहनत का लाभ आपके मालिक के बच्चे उठाएंगे।
अब आपके बेटे को आप डाइरेक्टली अपनी पोस्ट पर तो नही बिठा सकते ना.. उसे भी आपकी ही तरह जीरो से शुरूआत करनी पडेगी.. और अपने कार्यकाल के अंत मे वही पहुच जाएगा जहाँ अभी आप हो।
जबकी मेरा बेटा बिजनेस को यहा से और आगे ले जाएगा..
और अपने कार्यकाल मे हम सबसे बहुत आगे निकल जाएगा..
अब आप ही बताइये किसका समय और टैलेंट बर्बाद हो रहा है ?"
मैनेजर साहब ने समोसेवाले को 2 समोसे के 20 रुपये दिये और बिना कुछ बोले वहाँ से खिसक लिये.......!!!🙏🙏🌹

शनिवार, 16 जुलाई 2022

What is BF?

एक नन्हें लड़के ने, नन्ही लड़की से कहा!
- I'm your BF! मैं तुम्हारा BF हूँ
-लड़की ने पूछा 
- - What is BF?
लड़का हंसा और बोला...
- यानी Best Friend.😊 बेहद अच्छा दोस्त।

कुछ समय बीता, एक प्यारे नवजवान ने सुंदर लड़की से कहा:
- I am your BF!
-लड़की शर्माती सी उसके कंधे पर झुकी और आहिस्ता से पूछा:
- - What is BF?
लड़का बोला:
- यानी पुरुष मित्र Boy Friend!😊

कुछ वर्ष बीते उन्होंने ने शादी कर ली, उनको प्यारे प्यारे बच्चे हुए, पति मुस्कराया और अपनी पत्नी से बोला:
- I am your BF!
- पत्नी मुस्कराकर पति से बोली:
- - What is BF? अब  BF यानी क्या
पति पुनः मुस्कराया और बच्चों के और निहारकर बोल पड़ा:
- आपके बच्चों का पिता Baby's father!😊

समय गुज़रे दोनों बुड्ढे हो गए, वो साथ बैठे, डूबते सूरज की और देख रहे थे, आंगन में , और बुज़र्ग ने फिर दोहराया:
- मेरे प्रिय I am your BF!
- बुज़र्ग महला हंस पड़ी, अपने ज़ूररियों वाले चहरे के साथ:
- - What is BF? अब BF यानी क्या?
बुड्ढा ख़ुशी से हँसा और रहस्यमयी आवाज़ में बोल पड़ा:
- Be Forever!😊 सदा एक दूजे के लिये।

जब बुज़र्ग गुज़र रहा था तब भी बोला:
- I am your BF.
- बुढ़िया गम से भरी बोली:
- - What is BF ??
आंखें बंद करते बुज़र्ग बोला :
- यानी Bye Forever!😊 अलविदा सदा के लिए

कुछ दिनों में बुज़र्ग महिला भी रुखसत हो गई,
दफन होते उसने पास की कब्र से एक पहचानी सदा सुनाई दी:

- Besides Forever तुम्हारे पास हूँ सदा के लिये।।
❤️❤️❤️

बुधवार, 13 जुलाई 2022

😃काश! 😞


व्यतीत करना चाहती हूँ ...
सिर्फ एक दिन...
खुद के लिये...
जिसमें न जिम्मेदारियों का दायित्व हो
न कर्त्तव्यों का परायण
न कार्य क्षेत्र का अवलोकन हो
न मजबूरियोँ का समायन
बस मैं ,
मेरे पल ..
मेरी चाहतें और 
मेरा संबल
एक कप काफी से
हो मेरे दिन की शुरुआत
भीगकर अतीत के लम्हों में
खोजू अपने जज्बात
भूल गई जो जिंदगी जीना
उसे फिर से याद करु..
सबकी खातिर छोङ चुकी जो
उन ख्वाईशों की बात करु..
उलझी रहू बस स्वयं में ही
न कोई हो आस पास...
जी लू जी भर उन लम्हों को
जो मेरे हो सिर्फ खास..
मस्त मगन होकर में नाचूँ
अल्हङपन सी मस्ती में
जैसे चिङिया चहक रही हो
खुले आसमान सी बस्ती में..
मन का पहनू,
मन का खाऊं
न हो और किसी का ख्याल...
भूल गई हू जो जीना मैं
फिर से न हो मलाल..
शाम पङे सखियों से गपशप
और पानीपूरी खाऊं
डाक्टर के सारे निर्देशों को
बस एक दिन भूल जाऊँ..
मस्त हवा संग बाते करु
खुली सङक पर यूंही चलू..
बेफिक्री की राह पकङकर
अपनी बातों की धौंस धरु..
रात नशीली मेरे आंगन
इठलाती सी आये
लेकर अपनी आगोश में
चांद पूनम का दिखलायें...
सोऊं जब सपने में मुझे
वो राजकुमार आये
परियों की दुनियां से होकर
जो मेरे रंग में रंग जाये..
एकसाथ में बचपन ,
यौवन
फिर से जीना चाहती हूं..
काश! मिले वो लम्हेँ मुझको
 एक दिन अगर जो पाती हू...

सोमवार, 11 जुलाई 2022

*अंजाना रिश्ता*


*मैं बिस्तर पर से उठा, अचानक छाती में दर्द होने लगा मुझे हार्ट की तकलीफ तो नहीं है? ऐसे विचारों के साथ मैं आगे वाली बैठक के कमरे में गया मैंने देखा कि मेरा पूरा परिवार मोबाइल में व्यस्त था
*मैंने पत्नी को देखकर कहा- "मेरी छाती में आज रोज से कुछ ज़्यादा दर्द हो रहा है, डाॅक्टर को दिखा कर आता हूँ* 
*हाँ मगर सँभलकर जाना, काम हो तो फोन करना"   मोबाइल में देखते-देखते ही पत्नी बोलीं*
*मैं एक्टिवा की चाबी लेकर पार्किंग में पहुँचा, पसीना मुझे बहुत आ रहा था, ऐक्टिवा स्टार्ट नहीं हो रही थी*
*ऐसे वक्त्त हमारे घर का काम करने वाला ध्रुव साईकिल लेकर आया, साईकिल को ताला लगाते ही, उसने मुझे सामने खड़ा देखा*
*क्यों सा'ब ऐक्टिवा चालू नहीं हो रही है?*
*मैंने कहा- "नहीं..!!*
*आपकी तबीयत ठीक नहीं लगती सा'ब,*
*इतना पसीना क्यों आ रहा है?* *सा'ब इस हालत में स्कूटी को किक नहीं मारते,* *मैं किक मार कर चालू कर देता हूँ ध्रुव ने एक ही किक मारकर ऐक्टिवा चालू कर दिया, साथ ही पूछा-* 
*साब अकेले जा रहे हो?*
*मैंने कहा- "हाँ*
*उसने कहा- ऐसी हालत में अकेले नहीं जाते,* 
*चलिए मेरे पीछे बैठ जाइये मैंने कहा- तुम्हें एक्टिवा चलानी आती है?*
*सा'ब गाड़ी का भी लाइसेंस है, चिंता  छोड़कर बैठ जाओ पास ही एक अस्पताल में हम पहुँचे ध्रुव दौड़कर अंदर गया और व्हील चेयर लेकर बाहर आया*
*"सा'ब अब चलना नहीं, इस कुर्सी पर बैठ जाओ"*
*ध्रुव के मोबाइल पर लगातार घंटियां बजती रहीं, मैं समझ गया था। फ्लैट में से सबके फोन आते होंगे कि अब तक क्यों नहीं आया? ध्रुव ने आखिर थक कर किसी को कह दिया कि* *#आज_नहीं_आ_सकता*
*ध्रुव डाॅक्टर के जैसे ही व्यवहार कर रहा था, उसे बगैर बताये ही मालूम हो गया था कि सा'ब को हार्ट की तकलीफ है* *लिफ्ट में से व्हील चेयर ICU की तरफ लेकर गया*
*डाॅक्टरों की टीम तो तैयार ही थी, मेरी तकलीफ सुनकर। सब टेस्ट शीघ्र ही किये*
*डाॅक्टर ने कहा- "आप समय पर पहुँच गये हो, इसमें भी आपने व्हील चेयर का उपयोग किया, वह आपके लिए बहुत फायदेमन्द रहा"*
*अब किसी की राह देखना आपके लिए बहुत ही हानिकारक है इसलिए बिना देर किए हमें हार्ट का ऑपरेशन करके आपके ब्लोकेज जल्द ही दूर करने होंगे इस फार्म पर आप के स्वजन के हस्ताक्षर की ज़रूरत है डाॅक्टर ने ध्रुव की ओर देखा* 
*मैंने कहा- "बेटे, दस्तखत करने आते हैं?"*
*उसने कहा-* 
*"सा'ब इतनी बड़ी जिम्मेदारी मुझ पर न डालो"* 
*"बेटे तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं है तुम्हारे साथ भले ही लहू का सम्बन्ध नहीं है,* *फिर भी बगैर कहे तुमने अपनी जिम्मेदारी पूरी की वह जिम्मेदारी हकीकत में मेरे परिवार की थी एक और जिम्मेदारी पूरी कर दो बेटा* *मैं नीचे सही करके लिख दूँगा कि मुझे कुछ भी होगा तो जिम्मेदारी मेरी है ध्रुव ने सिर्फ मेरे कहने पर ही हस्ताक्षर  किये हैं", बस अब... ."#और_हाँ_घर_फोन_लगा_कर_खबर_कर_दो"* 
*बस, उसी समय मेरे सामने मेरी पत्नी का फोन ध्रुव के मोबाइल पर आया। वह शांति से फोन सुनने लगा*
*थोड़ी देर के बाद ध्रुव बोला-* *"मैडम, आपको पगार काटने का हो तो काटना, निकालने का हो तो निकाल देना मगर अभी अस्पताल में ऑपरेशन शुरु होने के पहले पहुँच जाओ हाँ मैडम, मैं सा'ब को अस्पताल लेकर आया हूँ,* *डाक्टर ने ऑपरेशन की तैयारी कर ली है और राह देखने की कोई जरूरत नहीं है"*
*मैंने कहा- "बेटा घर से फोन था?"*
*"हाँ सा'ब"* 
*मैंने मन में पत्नी के बारे में सोचा, तुम किसकी पगार काटने की बात कर रही हो और किसको निकालने की बात कर रही हो?* *आँखों में आँसू के साथ ध्रुव के कन्धे पर हाथ रखकर मैं बोला- "बेटा चिंता नहीं करते"*
*"मैं एक संस्था में सेवायें देता हूँ, वे बुज़ुर्ग लोगों को सहारा देते हैं, वहां तुम जैसे ही व्यक्तियों की ज़रूरत है"*
*"तुम्हारा काम बरतन कपड़े धोने का नहीं है, तुम्हारा काम तो समाज सेवा का है, बेटा पगार मिलेगा*
*#इसलिए_चिंता_बिल्कुल_भी_मत_करना"*ऑपरेशन के बाद मैं होश में आया, मेरे सामने मेरा पूरा परिवार नतमस्तक खड़ा था। मैं आँखों में आँसू लिये बोला- "ध्रुव कहाँ है?"*
*पत्नी बोली- "वो अभी ही छुट्टी लेकर गाँव चला गया कह रहा था कि उसके पिताजी हार्ट अटैक से गुज़र गये है,* 
*15 दिन के बाद फिर आयेगा"*
*अब मुझे समझ में आया कि उसको मेरे अन्दर उसका बाप दिख रहा होगा*
*हे प्रभु, मुझे बचाकर आपने उसके बाप को उठा लिया?*
*पूरा परिवार हाथ जोड़कर, मूक, नतमस्तक माफी माँग रहा था*
*एक मोबाइल की लत (व्यसन) एक व्यक्ति को अपने दिल से कितना दूर लेकर जाती है, वह परिवार देख रहा था* 
 *यही नहीं मोबाइल आज घर-घर कलह का कारण भी बन गया है बहू छोटी-छोटी बातें तत्काल अपने माँ-बाप को बताती है और माँ की सलाह पर ससुराल पक्ष के लोगों से व्यवहार करती है, जिसके परिणाम स्वरूप  वह बीस-बीस साल में भी ससुराल पक्ष के लोगों से अपनत्व नहीं जोड़ पाती.* *डाॅक्टर ने आकर कहा- "सबसे पहले यह बताइये ध्रुव भाई आप के क्या लगते हैं?"*
*मैंने कहा- "डाॅक्टर साहब,  कुछ सम्बन्धों के नाम या गहराई तक न जायें तो ही बेहतर होगा, उससे सम्बन्ध की गरिमा बनी रहेगी, बस मैं इतना ही कहूँगा कि वो आपात स्थिति में मेरे लिए फरिश्ता बन कर आया था"*
*पिन्टू बोला- "हमको माफ़ कर दो पापा, जो फर्ज़ हमारा था, वह ध्रुव ने पूरा किया, यह हमारे लिए शर्मनाक है। अब से ऐसी भूल भविष्य में कभी भी नहीं होगी पापा"*
*"बेटा,#जवाबदारी_और_नसीहत (सलाह) लोगों को देने के लिये ही होती है*
*जब लेने की घड़ी आये, तब लोग  बग़लें झाँकते हैं या ऊपर नीचे हो जाते हैं*
*अब रही मोबाइल की बात...*
*बेटे, एक निर्जीव खिलौने ने जीवित खिलौने को गुलाम बनाकर रख दिया है अब समय आ गया है कि उसका मर्यादित उपयोग करना है*
*नहीं तो....*
*#परिवार_समाज_और_राष्ट्र को उसके गम्भीर परिणाम भुगतने पडेंगे और उसकी कीमत चुकाने के लिये तैयार रहना पड़ेगा"*
*अतः बेटे और बेटियों को बड़ा #अधिकारी या #व्यापारी बनाने की जगह एक #अच्छा_इन्सान बनायें*