आज चाय के साथ पकोड़े खाने का मन हुआ, फिर सोचा घर मे किसी को पसंद ही नही पकोड़े खाना, तो अपने लिए क्या बनाऊ.... चाय ली और दो बिस्कुट लेकर बैठ गई.... सुबह से शाम तक का सोचने लगी.... घर मे जो भी बनता है बच्चो या फिर पतिदेव की पसंद का बनता है.... अपनी पसंद का कभी नही बनाया.... खाना मै ही परोसती हूँ.... पर सभी को खिलाने के बाद में खाती हूं, अगर कभी सलाद खत्म हो जाए तो अपने लिए सलाद दोबारा नहीं काटती....सभी की चीजों का मुझे ही ख्याल रखना होता है.... पर अपनी ही दवाई भूल जाती हूँ.... रात को सारा काम निपटा कर जैसे ही सोने की तैयारी करो तो आवाज़ आती है एक ग्लास पानी तो दे दो... पर अपने लिए पानी लेने खुद ही उठना पड़ता है..... जब सभी का ख्याल रख सकती हूँ.... तो खुद के लिए कुछ क्यों नही कर सकती....
रोज़ सब के लिए फलों का प्लेट सजाते सजाते एक-आध टुकड़ा मुँह में डाल ली तो डाल ली.....खुद की प्लेट भी बनाई होगी, याद हीं नहीं...
इतनी लीन हुई ये दुनियादारी में, की दुनियाँ ने इसको सबने टेक इट ग्रांटेड ले लिया....काम से सबने जेसे लक्षण रेखा सी खीच ली.......जकड़ डाला मेने खुद को एक रिवाज में.......इसकी दोषी में खुद ही हूं.....
वर्ना कहाँ लिखा है... किसने कहा है, कि सब की सेहत का खयाल रखो, लेकिन खुद की नहीं?
*कुछ शब्द अपने लिए*
सजाओ सब की थाली,
वही प्यार वाली।
पर एक और बढ़ा दो,
खुद के नाम की थाली।
काटो तरबूज़, डालो अँगूर,
अपनी प्लेट भी सजाना ज़रूर।
दवाइयाँ देखो है ना सब की,
देखो फिर से एक बार,
अपनी दवाई भूली तो नहीं इस बार।
शाम हुई है,कोई है नहीं पास,
फिर भी बनाओ चाय,
देखो ना, तुम भी हो अपने आप में ख़ास ही हो
कोई कहेगा तब हीं रखोगी,क्या अपना ख्याल
सेहत है तुम्हारी कई बार कहूँ,
कब अपने हिस्से की ज़िन्दगी चखोगी।
दौड़ते भागते, थोड़ी ठहरा करो,
रखो सब का खयाल तुम...
और अपने ख़ातिर भी खुशियों का पहरा धरो।😊😊
सोचा कभी अपने लिए भी लिखें भीकरो अब अपने भी शौक पूरे,
खुद को भी अपने लिए वक्त दो,
अपना खयाल रखोगी तभी तो
अपनों से जुड़े लोगों का भी रख पाओगी
सोचो सबके लिए पर अपना भी
@ *मी टाइम *का ख्याल करो
*खुद को समर्पित* ☺️☺️😊😊👍👍👌💐💐💐
आपने एक गृहणी की जिम्मेदारियों और उसकी मानसिक पीड़ा का गहराई से वर्णन किया है।
जवाब देंहटाएंजो जागृति लाने वाली कविता रूपी बातें आपने लिखी हैं, बहुत सारानीय हैं।
आप बधाई के पात्र हैं। बहुत अच्छा लिखा।
आपको शत् शत् नमन।
आपका Virender