पूछा मेने आइनेसे, बता कैसी लगती हु?
निहार कर कूछ देर बोला......
मस्तिष्क पर रेखाएं नजर आ रही है,
पर इनमें फ़िक्र अपनो की है।
आखो में काजल सजी नही, नीचे डार्क सर्कल है,
अपनो के लिये तू ठीक से सोई नहीं है।
कानो में पहनी बाली नहीं,
पर तूने अनकहा सुनने का हुनर आगया है।
होठोपे सजी लाली नही,
पर तेरे बोल मे प्यार झलकता है।
नाखून टूटे बेरंग है,पर हाथों मे स्वाद आगया है।
तोंद थोड़ीसी बाहर आगई है,
यह खुद को समय ना देने का नतीजा है।
कमर तेरी कमसीन ना सही,
तूने झुकना सिख लिया है।
घुटनों में थोड़ा दर्द है,
पर घरमे, दौड़ तेरी मेराथन वाली है।
तू कल भी खूबसूरत थी, आजभी है....
कल तू चंचल राधा थी, आज लक्ष्मी हो गई है।
निहार कर कूछ देर बोला......
मस्तिष्क पर रेखाएं नजर आ रही है,
पर इनमें फ़िक्र अपनो की है।
आखो में काजल सजी नही, नीचे डार्क सर्कल है,
अपनो के लिये तू ठीक से सोई नहीं है।
कानो में पहनी बाली नहीं,
पर तूने अनकहा सुनने का हुनर आगया है।
होठोपे सजी लाली नही,
पर तेरे बोल मे प्यार झलकता है।
नाखून टूटे बेरंग है,पर हाथों मे स्वाद आगया है।
तोंद थोड़ीसी बाहर आगई है,
यह खुद को समय ना देने का नतीजा है।
कमर तेरी कमसीन ना सही,
तूने झुकना सिख लिया है।
घुटनों में थोड़ा दर्द है,
पर घरमे, दौड़ तेरी मेराथन वाली है।
तू कल भी खूबसूरत थी, आजभी है....
कल तू चंचल राधा थी, आज लक्ष्मी हो गई है।