शनिवार, 16 नवंबर 2019

*आज औऱ कल*

आज बच्चों को शोर मचाने दो
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
ख़ामोश ज़िंदगी बिताएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे*

गेंदों से तोड़ने दो शीशें
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
दिल तोड़ेंगे या ख़ुद टूट जाएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे*

बोलने दो बेहिसाब इन्हें
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
इनके भी होंठ सिल जाएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे* 

दोस्तों संग छुट्टियों मनाने दो
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
दोस्ती-छुट्टी को तरस जाएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे* 

भरने दो इन्हें सपनों की उड़ान
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
पर इनके भी कट जाएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे* 

बनाने दो इन्हें काग़ज़ की कश्ती
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
ऑफ़िस के काग़ज़ों में खो जाएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे* 

खाने दो जो दिल चाहे इनका
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
हर दाने की कैलोरी गिनाएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे*

रहने दो आज मासूम इन्हें
कल जब ये बड़े हो जाएँगे
ये भी “समझदार” हो जाएँगे

*हम-तुम जैसे बन जाएँगे*

गुरुवार, 7 नवंबर 2019

***कभी सोचती हूं***

कभी सोचती हूं
क्यों न,उम्र को दराज़ में रख दूँ,
उम्रदराज़ ना बनु,
खो जाऊ ज़िन्दगी में अपनी
मौत का इन्तज़ार मैं  क्यू करू.
कभी सोचती हूं
.जिंदगी  है मेरी
जिसको आना है आये
जिसको जाना है जाये
ये तो वक़्त की पहचान है
मे तो जीना जानती हु
ज़िन्दगी में बार बार मिलते हैं कईं लोग
 उसी को पहचान बना लेती हु....
कभी सोचती में हूं ,अपना गुजरा   हुआ जमाना 
सोचकर कभी बचपन को जीती हूँ
कभी जवानी में सपने सँजोती हूँ
बुढापे में भी रहूँगी जवान ही
ऐसा में सोचती हूँ
महफिलों का शौक रखती हूँ
दोस्तों से प्यार भी   करती हूँ
जो रिश्ते मुझे समझ सकें
मैं उनसे जुड़ी रहती हूँ
बँधती नहीं किसी से
ना किसी को जुड़ने पर मजबूर करती हूँ
दिल से जोड़ती हूँ हर रिश्ता सबसे
और उन रिश्तों से दिल से ही, जुड़ी रहना चाहती हूँ...
हँसना मुझे भाता है
पर अपनों के लिये रोने से भी परहेज नहीं करती
कभी सोचती हूं मैं
जो दे देता है ,एक बार दगा
उससे दूर जाने में भी परहेज़ नहीं करती
,उन लोगो के बारे में जो याद आते हैं  कभी,
तो अपनी आँखें भिगो लेती हूँ
पर फिर ज़िन्दगी की हसीन वादियों में खो जाती हूँ
जानती हूँ कि मेरी ,ज़िन्दगी के पास अब 
समय कुछ थोड़ा है
शिकवे शिकायतों में व्यर्थ समय ,क्यों गँवाऊँ
क्यों न अब  शिद्दत से ज़िन्दगी जी लूँ 
 और प्रेम की गंगा हर तरफ बहाऊँ
कभी सोचती हूं कि
मैं रहूँ न रहूँ,कोई गम नहीँ
पर  किसी के तो दिल मे ,
मेरी छवि, मेरे बाद भी ज़िन्दा रहेगी,
मुझे दिल से जो भी याद करेगा
मैं उसे,  शायद महसूस कर सकूंगी...
ऐसा कभी मैं सोचती हूं ।