बुधवार, 8 मई 2019

**सोचती हूँ फिर से**

सोचती हूँ फिर से प्यार कर लूँ.
बेरंग सी हो गई है जिंदगी, रंग उसमें चाहत का भर लूं
सोचती हूँ फिर से प्यार कर लूँ..
वो चटक लाल रंग का कुर्ता जो फबता था बेहद मुझपर,
क्यों ना फिर से बक्से से निकाल अलमारी में ऊपर उसको धर लूँ
सोचती हूँ फिर से प्यार कर लूँ.
सजना- संवरना जो मुझको बेहद भाता था, वो आँखों का काजल कितना लुभाता था
क्यों ना आज फिर से थोड़ा सज-संवर लूँ
सोचती हूँ फिर से प्यार कर लूँ.
वो जो मेरी हँसी पूरे घर में गूंज जाती थी और मुझे हंसता देख दादी-बुआ बड़ी बड़ी आंखें दिखाती थी
आज भूल के सारे बंधन फिर दिल खोल कर के हँस लूँ
सोचती हूँ फिर से प्यार कर लूँ.
वो जो मैं अल्हड़ बेपरवाह हुआ करती थी, जो सिर्फ जिंदगी में उम्मीदों के रंग भरती थी
क्यों ना फिर से अपने अंदर उस लड़की को जिंदा कर लूँ
सोचती हूँ फिर से प्यार कर लूँ.
अपनी सारी जिम्मेदारियाँ बेशक निभाऊंगी लेकिन संग ही खुद में वो बचपना भी फिर जगाऊंगी
ये वादा खुद से आज कर लूँ
सोचती हूँ फिर से खुद से प्यार कर लूँ।  😊😊😊😊

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