शुक्रवार, 29 जून 2018

बाकी सब ठीक है


थोड़ी तकलीफ़ , थोड़ा गम, थोड़ी परेशानियाँ है
बाकी सब ठीक है ....

चंद मुश्किलें , थोड़ी उलझन ,  थोड़ी बेचैनियाँ है
बाकी सब ठीक है .....

कभी रुक सी जाती है धड़कन , ये साँसें अटक जाती हैं
कुछ उम्र की थकावट ,  कुछ बीमारियाँ है
बाकी सब ठीक है ......

जी रहे हैं हम ,  या यूँ की ,  रस्म अदायगी समझो
कुछ अड़चने , थोड़ी कठिनाइयाँ हैं
बाकी सब ठीक है ....

कहने को ,  यूँ तो ,  बहुत कुछ है लेकिन
कुछ बेबसी ,  कुछ मजबूरियाँ हैं
बाकी सब ठीक है .....

हों अपने ,  या की गैर ,  सब एक से हैं
यहाँ धोखे ,  वहाँ रुसवाईयाँ हैं
बाकी सब ठीक है ....

कभी लड़ पड़ते हैं मुझसे ,  कभी ,  एक ओर बिठा देते हैं
मेरे बच्चों में ! थोड़ा बचपना है , थोड़ी नादानियाँ हैं
बाकी सब ठीक है ......

समय की चोट से ,  दो हिस्सों में ...बँट गया है मन
एक तरफ शोर बहुत ,  एक तरफ खामोशियां है
बाकी सब ठीक है .......

मुद्दतों बाद मिला ,  तो ,  हँस के आईना बोला
शिकन है ,  दर्द है ,  चेहरे पे चंद ,  झाइयां हैं
बाकी सब ठीक है ......

गुरुवार, 28 जून 2018

तजुर्बा 🤔

"मैंने .. हर रोज .. जमाने को .. रंग बदलते देखा है,
उम्र के साथ .. जिंदगी को .. ढंग बदलते देखा है  !!

वो .. जो चलते थे .. तो शेर के चलने का .. होता था गुमान,
उनको भी .. पाँव उठाने के लिए .. सहारे को तरसते देखा है !!

जिनकी .. नजरों की .. चमक देख .. सहम जाते थे लोग,
उन्ही .. नजरों को .. बरसात .. की तरह ~~ रोते देखा है .. !!

जिनके .. हाथों के .. जरा से .. इशारे से .. टूट जाते थे ..पत्थर,
उन्ही .. हाथों को .. पत्तों की तरह .. थर थर काँपते देखा है .. !!

जिनकी आवाज़ से कभी .. बिजली के कड़कने का .. होता था भरम,
उनके .. होठों पर भी .. जबरन .. चुप्पी का ताला .. लगा देखा है .. !!

ये जवानी .. ये ताकत .. ये दौलत ~~ सब कुदरत की .. इनायत है,
इनके .. रहते हुए भी .. इंसान को ~~ बेजान हुआ देखा है ... !!

अपने .. आज पर .. इतना ना .. इतराना ~~ मेरे .. यारों,
वक्त की धारा में .. अच्छे अच्छों को ~~ मजबूर हुआ देखा है .. !!!

कर सको...तो किसी को खुश करो,
दुःख देते ...तो हजारों को देखा है.."