रविवार, 12 अक्टूबर 2014
गुरुवार, 2 अक्टूबर 2014
****Don't Take Parents for Granted****
Once upon a time ,
there was this 20 years old boy called Adam who was his mommy only son,, she was always worried about him and can’t go
to sleep until he goes back home
but he was [always late]!
everyday he hangs out with his friends until
the dawn although his mom calls him to be Reassured but he never answers her
calls,
the next day Adam told his mother that he is
going on a camping trip with his friend for 3 days
“take care of yourself Adam & take your
mobile with you and please answer my calls” she said
“don’t call me that much! My friends make fun
of me because of all your calls I’m not a kid anymore mum” he replied
nervously.. & then he left
when Adam arrived he and his friends said that
they will switch their mobiles off in order to avoid the annoying calls from
their parents and in that way they’ll have so much more fun , 2 days passed
&in the third day one of Adam’s friend called rayan switched on his mobile
to text his girlfriend but he found more than 100 missed calls and over 50 text
message from his father and sister to come back home and one of the texts was
from his mother written on it “please son come back if you can, I want to see
you” , he called his mother to ask her what’s happening but she didn’t answer
then he called his father he answered with a voice filled of sorrow and pain
What happened dad! He asked ,, then Rayan
found out that his mother died,,he was shocked threw his mobile on the ground
& began to cry bitterly ,his mom died without telling her that he loves her
or asking her to forgive him she died from 2 days and he didn’t know! He didn’t
attend her Funeral either ,,and why? just to have fun!!
Adam was shocked and remembered his mother and
what he did to her
he returned home immediately & found his
mother sleeping on the sofa next to the telephone waiting a call from him
he looked at her carefully,, he noticed for
the first time her white hair and the wrinkles in her face then he cried and
hugged her and kissed her hands “forgive me mom I’m sorry I will never leave
you alone again,, I promise ” he said while crying &from that day Adam made a time for his
mom & fulfilled his promise to his mom and never left her alone worried
about him
Adam learned the hard lesson and you when will
you learn this lesson and make time for your parents before its too late??
Remember to love your parents...We are so busy
growing up, we often forget they are also growing old… ♥
सोमवार, 14 जुलाई 2014
ह्र्य्दयस्पर्शी लेख*
ह्र्य्दयस्पर्शी लेख**
जिंदगी प्यार की दो चार घड़ी होती हे
ये मशहूर गण एक हकीकत को बया करता हे
मेने आज ये आर्टिकल पढ़कर अपने मरने के बाद
देहदान सकल्प कर लिए हे ,तो सभी अपनों को
में रहते हुए बताना चाहती हु की मेरे बाद य मेरी दहन
मेरे इच्छा अनुसार की जाये ,ताकि मरने के बाद भी
अपनी देह रख के ढेर बनने से तो अच्छा हे की
किसी के काम आ सके; यदि में कौमा में चली जाऊ तो मेरे सभी अंगो का दान किआ जाये
गुरुवार, 26 जून 2014
क्रोध और गहरे घाव
पेड़ में कील
बहुत समय पहले की बात है, एक
गाँव में एक लड़का रहता था. वह बहुत
ही गुस्सैल था, छोटी-
छोटी बात पर
अपना आपा खो बैठता और लोगों को भला-बुरा कह
देता. उसकी इस आदत से परेशान
होकर एक दिन उसके पिता ने उसे
कीलों से भरा हुआ एक
थैला दिया और कहा कि , ” अब जब
भी तुम्हे गुस्सा आये तो तुम इस थैले
में से एक कील निकालना और घर के
बाहर पेड़ में ठोक देना.”
पहले दिन उस लड़के को चालीस बार
गुस्सा आया और
इतनी ही कीलें
पेड़ में ठोंक दी. पर धीरे-
धीरे
कीलों की संख्या घटने
लगी, उसे लगने
लगा कि कीलें ठोंकने में
इतनी मेहनत करने से अच्छा है
कि अपने क्रोध पर काबू किया जाए और अगले कुछ
हफ्तों में उसने अपने गुस्से पर बहुत हद तक
काबू करना सीख लिया. फिर एक दिन
ऐसा आया कि उस लड़के ने पूरे दिन में एक बार
भी अपना आपा नहीं खोया और
एक भी कील
नहीं ठोंकनी पड़ी .
जब उसने अपने पिता को यह बात बताई
तो उन्होंने फिर उसे एक काम दे दिया ! उन्होंने
कहा कि ,” अब हर उस दिन, जिस दिन तुम्हे
एक बार भी गुस्सा ना आये, इस पेड़
में से एक कील निकाल देना.”
लड़के ने ऐसा ही किया, और बहुत
समय बाद वो दिन भी आ गया जब
लड़के ने पेड़ में
लगी आखिरी कील
भी निकाल दी और जाकर
अपने पिता को ख़ुशी से ये बात
बतायी.
तब पिताजी उसका हाथ पकड़कर उसे
उस पेड़ के पास ले गए और बोले, ” बेटे तुमने
बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन क्या तुम पेड़
में हुए छेदों को देख पा रहे हो. अब वो पेड़
कभी भी वैसा नहीं बन
सकता जैसा वो पहले था. ये कीलों के
निशान कभी नही मिटेंगे.
जब तुम क्रोध में किसी को कुछ
कहते हो तो वे शब्द
भी इसी तरह सामने वाले
व्यक्ति पर सदा के लिए गहरे घाव छोड़ जाते हैं.”
इसलिए अगली बार अपना temper
loose करने से पहले सोचिये कि क्या आप
भी उस पेड़ में और
कीलें ठोकना चाहते हैं !!!
बहुत समय पहले की बात है, एक
गाँव में एक लड़का रहता था. वह बहुत
ही गुस्सैल था, छोटी-
छोटी बात पर
अपना आपा खो बैठता और लोगों को भला-बुरा कह
देता. उसकी इस आदत से परेशान
होकर एक दिन उसके पिता ने उसे
कीलों से भरा हुआ एक
थैला दिया और कहा कि , ” अब जब
भी तुम्हे गुस्सा आये तो तुम इस थैले
में से एक कील निकालना और घर के
बाहर पेड़ में ठोक देना.”
पहले दिन उस लड़के को चालीस बार
गुस्सा आया और
इतनी ही कीलें
पेड़ में ठोंक दी. पर धीरे-
धीरे
कीलों की संख्या घटने
लगी, उसे लगने
लगा कि कीलें ठोंकने में
इतनी मेहनत करने से अच्छा है
कि अपने क्रोध पर काबू किया जाए और अगले कुछ
हफ्तों में उसने अपने गुस्से पर बहुत हद तक
काबू करना सीख लिया. फिर एक दिन
ऐसा आया कि उस लड़के ने पूरे दिन में एक बार
भी अपना आपा नहीं खोया और
एक भी कील
नहीं ठोंकनी पड़ी .
जब उसने अपने पिता को यह बात बताई
तो उन्होंने फिर उसे एक काम दे दिया ! उन्होंने
कहा कि ,” अब हर उस दिन, जिस दिन तुम्हे
एक बार भी गुस्सा ना आये, इस पेड़
में से एक कील निकाल देना.”
लड़के ने ऐसा ही किया, और बहुत
समय बाद वो दिन भी आ गया जब
लड़के ने पेड़ में
लगी आखिरी कील
भी निकाल दी और जाकर
अपने पिता को ख़ुशी से ये बात
बतायी.
तब पिताजी उसका हाथ पकड़कर उसे
उस पेड़ के पास ले गए और बोले, ” बेटे तुमने
बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन क्या तुम पेड़
में हुए छेदों को देख पा रहे हो. अब वो पेड़
कभी भी वैसा नहीं बन
सकता जैसा वो पहले था. ये कीलों के
निशान कभी नही मिटेंगे.
जब तुम क्रोध में किसी को कुछ
कहते हो तो वे शब्द
भी इसी तरह सामने वाले
व्यक्ति पर सदा के लिए गहरे घाव छोड़ जाते हैं.”
इसलिए अगली बार अपना temper
loose करने से पहले सोचिये कि क्या आप
भी उस पेड़ में और
कीलें ठोकना चाहते हैं !!!
*********** विवशता***************
उस दिन ट्रेन लेट होकर रात्रि 12 बजे पहुँची।
बाहर एक वृद्ध रिक्शावाला ही दिखा जिसे कई यात्री जान बूझकर
छोड़ गए थे। एक बार मेरे मन में भी आया, इससे चलना पाप
होगा,फिर मजबूरी में उसी को बुलाया, वह भी बिना कुछ पूछे
चल दिया।
कुछ दूर चलने के बाद ओवरब्रिज की चढ़ाई थी, तब
जाकर पता चला, उसका एक ही हाथ था। मैंने सहानुभूतिवश पूछा, ‘‘एक
हाथ से रिक्शा चलाने में बहुत ही परेशानी होती होगी?’’
‘‘बिल्कुल नहीं बाबूजी, शुरू में कुछ दिन हुई थी।’’
रात के सन्नाटे में वह एक ही हाथ से
रिक्शा खींचते हुए पसीने–
पसीने हो रहा था । मैंने पूछा, ‘एक हाथ
की क्या कहानी है?’’
थोड़ी देर की चुप्पी के बाद वह बोला, ‘‘गाँव में
खेत के बँटवारे में रंजिश हो गई, वे लोग दबंग और
अपराधी स्वभाव के थे,
मुकदमा उठाने के लिए दबाव डालने लगे।’’
वह कुछ गम्भीर हो गया और आगे की बात बताने से
कतराने लगा, किन्तु मेरी उत्सुकता के आगे वह विवश
हो गया और बताया, ‘‘एक रात जब मैं खलिहान में सो रहा था,
जान मारने की नीयत से मुझ पर वार किया गया। संयोग से
वह गड़ासा गर्दन पर गिरने के बजाए हाथ पर
गिरा और वह कट गया।’’
‘‘क्या दिन की मजदूरी से काम नहीं चलता जो इस उम्र में रात
में रिक्शा चला रहे हो?’’ मुझे उस पर दया आई।
‘‘रात्रि में भीड़ कम होती है जिससे रिक्शा चलाने में
आसानी होती है।’’ उसने धीरे से कहा।
उसकी विवशता समझकर घर पर मैंने पाँच रूपए के
बजाए दस रुपए दिए। सीढि़याँ चढ़कर
दरवाजा खुलवा ही रहा था कि वह भी हाँफते हुए पहुँचा और पाँच रुपए का नोट वापस करते हुए बोला, ‘‘आपने ज्यादा दे दिया था।’’
‘‘आपकी अवस्था देखकर और रात की मेहनत सोचकर
कोई अधिक नहीं है, मैं खुशी से दे रहा हूँ।’’ उसने जवाब
दिया, ‘‘मेरी प्रतिज्ञा है एक हाथ के रहते हुए भी दया की भीख नहीं लूँगा, तन ही बूढ़ा हुआ है मन नहीं।’’
मुझे लगा पाँच रुपए अधिक देकर मैंने उसका अपमान कर
दिया है।
बाहर एक वृद्ध रिक्शावाला ही दिखा जिसे कई यात्री जान बूझकर
छोड़ गए थे। एक बार मेरे मन में भी आया, इससे चलना पाप
होगा,फिर मजबूरी में उसी को बुलाया, वह भी बिना कुछ पूछे
चल दिया।
कुछ दूर चलने के बाद ओवरब्रिज की चढ़ाई थी, तब
जाकर पता चला, उसका एक ही हाथ था। मैंने सहानुभूतिवश पूछा, ‘‘एक
हाथ से रिक्शा चलाने में बहुत ही परेशानी होती होगी?’’
‘‘बिल्कुल नहीं बाबूजी, शुरू में कुछ दिन हुई थी।’’
रात के सन्नाटे में वह एक ही हाथ से
रिक्शा खींचते हुए पसीने–
पसीने हो रहा था । मैंने पूछा, ‘एक हाथ
की क्या कहानी है?’’
थोड़ी देर की चुप्पी के बाद वह बोला, ‘‘गाँव में
खेत के बँटवारे में रंजिश हो गई, वे लोग दबंग और
अपराधी स्वभाव के थे,
मुकदमा उठाने के लिए दबाव डालने लगे।’’
वह कुछ गम्भीर हो गया और आगे की बात बताने से
कतराने लगा, किन्तु मेरी उत्सुकता के आगे वह विवश
हो गया और बताया, ‘‘एक रात जब मैं खलिहान में सो रहा था,
जान मारने की नीयत से मुझ पर वार किया गया। संयोग से
वह गड़ासा गर्दन पर गिरने के बजाए हाथ पर
गिरा और वह कट गया।’’
‘‘क्या दिन की मजदूरी से काम नहीं चलता जो इस उम्र में रात
में रिक्शा चला रहे हो?’’ मुझे उस पर दया आई।
‘‘रात्रि में भीड़ कम होती है जिससे रिक्शा चलाने में
आसानी होती है।’’ उसने धीरे से कहा।
उसकी विवशता समझकर घर पर मैंने पाँच रूपए के
बजाए दस रुपए दिए। सीढि़याँ चढ़कर
दरवाजा खुलवा ही रहा था कि वह भी हाँफते हुए पहुँचा और पाँच रुपए का नोट वापस करते हुए बोला, ‘‘आपने ज्यादा दे दिया था।’’
‘‘आपकी अवस्था देखकर और रात की मेहनत सोचकर
कोई अधिक नहीं है, मैं खुशी से दे रहा हूँ।’’ उसने जवाब
दिया, ‘‘मेरी प्रतिज्ञा है एक हाथ के रहते हुए भी दया की भीख नहीं लूँगा, तन ही बूढ़ा हुआ है मन नहीं।’’
मुझे लगा पाँच रुपए अधिक देकर मैंने उसका अपमान कर
दिया है।
मंगलवार, 24 जून 2014
**बिखरे सपने **
रेनू ऍम ऍस करने लंदन जा रही थी वो बहुत खुश थी क्योकि यही तो उसका सपना था जो अब अब हकीकत बनने जा रहा था ,,सारी तैयारियाँ हो चुकी थी ,जाने के चंद दिन ही बचे थे ,आज उसकी प्रिय सहेली उससे मिलने आयी ,ढेर सारी बधाई देते हुए अचानक उसने जब पासपोर्ट देखा तो वो चौक उठी. रेनू के पासपोर्ट जारी किये जाने की तारीख तो कब की खत्म हो चुकी थी ,समय रहते रेनू ने , उसे रीन्यू नही करवाया था ;अब उसका माथा ठनका ,परन्तु अब इस कार्यवाही के पूरा होने मे समय लगेगा और तब तक एडमिशन की तारीख हाथ से निकल जाएगी ,
ऐसे वाकये कई घरो में होते है; अपने ड्राइविंग लाइसेंस और अन्य जरूरी डॉक्युमेंट्स समय समय पर चेक करते रहे ; कही रेनू की तरह आपके सपने नही बिखर जाये
madhav niwas
बुधवार, 26 फ़रवरी 2014
मातृत्व की भावना
एक विदेशी महिला स्वामी विवेकानंद के समीप आकर बोली: "
मैं आपस शादी करना चाहती हूँ "
विवेकानंद बोले: " क्यों?
मुझसे क्यों ?
क्या आप जानती नहीं की मैं एक सन्यासी हूँ?
"
औरत बोली: "मैं आपके जैसा ही गौरवशाली, सुशील और तेजोमयी पुत्र
चाहती हूँ और वो वह तब ही संभव होगा जब आप मुझसे विवाह करेंगे"
विवेकानंद बोले: "हमारी शादी तो संभव नहीं है, परन्तु हाँ एक उपाय है"
औरत: क्या?
विवेकानंद बोले "आज से मैं ही आपका पुत्र बन जाता हूँ,
आज से आप मेरी माँ बन जाओ...
आपको मेरे रूप में मेरे जैसा बेटा मिल जायेगा ।
औरत विवेकानंद के चरणों में गिर गयी और
बोली की आप साक्षात् ईश्वर के रूप है ।
इसे कहते है पुरुष और ये होता है पुरुषार्थ...
एक सच्चा पुरुष सच्चा मर्द
वो ही होता है जो हर नारी के प्रति अपने अन्दर मातृत्व की भावना
उत्पन्न कर सके ..
मैं आपस शादी करना चाहती हूँ "
विवेकानंद बोले: " क्यों?
मुझसे क्यों ?
क्या आप जानती नहीं की मैं एक सन्यासी हूँ?
"
औरत बोली: "मैं आपके जैसा ही गौरवशाली, सुशील और तेजोमयी पुत्र
चाहती हूँ और वो वह तब ही संभव होगा जब आप मुझसे विवाह करेंगे"
विवेकानंद बोले: "हमारी शादी तो संभव नहीं है, परन्तु हाँ एक उपाय है"
औरत: क्या?
विवेकानंद बोले "आज से मैं ही आपका पुत्र बन जाता हूँ,
आज से आप मेरी माँ बन जाओ...
आपको मेरे रूप में मेरे जैसा बेटा मिल जायेगा ।
औरत विवेकानंद के चरणों में गिर गयी और
बोली की आप साक्षात् ईश्वर के रूप है ।
इसे कहते है पुरुष और ये होता है पुरुषार्थ...
एक सच्चा पुरुष सच्चा मर्द
वो ही होता है जो हर नारी के प्रति अपने अन्दर मातृत्व की भावना
उत्पन्न कर सके ..
बुधवार, 5 फ़रवरी 2014
एक सत्य
एक आदमी मर गया. जब उसे महसूस हुआ तो उसने देखा कि भगवान उसके पास आ रहे हैं और उनके हाथ में एक सूट केस है.
भगवान ने कहा --पुत्र चलो अब समय हो गया.
आश्चर्यचकित होकर आदमी ने जबाव दिया -- अभी इतनी जल्दी? अभी तो मुझे बहुत काम करने हैं. मैं क्षमा चाहता हूँ किन्तु अभी चलने का समय नहीं है. आपके इस सूट केस में क्या है?
भगवान ने कहा -- तुम्हारा सामान.
मेरा सामान? आपका मतलब है कि मेरी वस्तुएं, मेरे कपडे, मेरा धन?
भगवान ने प्रत्युत्तर में कहा -- ये वस्तुएं तुम्हारी नहीं हैं. ये तो पृथ्वी से सम्बंधित हैं.
आदमी ने पूछा -- मेरी यादें?
भगवान ने जबाव दिया -- वे तो कभी भी तुम्हारी नहीं थीं. वे तो समय की थीं.
फिर तो ये मेरी बुद्धिमत्ता होंगी?
भगवान ने फिर कहा -- वह तो तुम्हारी कभी भी नहीं थीं. वे तो परिस्थिति जन्य थीं.
तो ये मेरा परिवार और मित्र हैं?
भगवान ने जबाव दिया -- क्षमा करो वे तो कभी भी तुम्हारे नहीं थे. वे तो राह में मिलने वाले पथिक थे.
फिर तो निश्चित ही यह मेरा शरीर होगा?
भगवान ने मुस्कुरा कर कहा -- वह तो कभी भी तुम्हारा नहीं हो सकता क्योंकि वह तो राख है.
तो क्या यह मेरी आत्मा है?
नहीं वह तो मेरी है --- भगवान ने कहा.
भयभीत होकर आदमी ने भगवान के हाथ से सूट केस ले लिया और उसे खोल दिया यह देखने के लिए कि सूट केस में क्या है. वह सूट केस खाली था.
आदमी की आँखों में आंसू आ गए और उसने कहा -- मेरे पास कभी भी कुछ नहीं था.
भगवान ने जबाव दिया -- यही सत्य है. प्रत्येक क्षण जो तुमने जिया, वही तुम्हारा था. जिंदगी क्षणिक है और वे ही क्षण तुम्हारे हैं.
इस कारण जो भी समय आपके पास है, उसे भरपूर जियें. आज में जियें. अपनी जिंदगी जिए.
खुश होना कभी न भूलें, यही एक बात महत्त्व रखती है.
भौतिक वस्तुएं और जिस भी चीज के लिए आप यहाँ लड़ते हैं, मेहनत करते हैं...आप यहाँ से कुछ भी नहीं ले जा सकते हैं.
भगवान ने कहा --पुत्र चलो अब समय हो गया.
आश्चर्यचकित होकर आदमी ने जबाव दिया -- अभी इतनी जल्दी? अभी तो मुझे बहुत काम करने हैं. मैं क्षमा चाहता हूँ किन्तु अभी चलने का समय नहीं है. आपके इस सूट केस में क्या है?
भगवान ने कहा -- तुम्हारा सामान.
मेरा सामान? आपका मतलब है कि मेरी वस्तुएं, मेरे कपडे, मेरा धन?
भगवान ने प्रत्युत्तर में कहा -- ये वस्तुएं तुम्हारी नहीं हैं. ये तो पृथ्वी से सम्बंधित हैं.
आदमी ने पूछा -- मेरी यादें?
भगवान ने जबाव दिया -- वे तो कभी भी तुम्हारी नहीं थीं. वे तो समय की थीं.
फिर तो ये मेरी बुद्धिमत्ता होंगी?
भगवान ने फिर कहा -- वह तो तुम्हारी कभी भी नहीं थीं. वे तो परिस्थिति जन्य थीं.
तो ये मेरा परिवार और मित्र हैं?
भगवान ने जबाव दिया -- क्षमा करो वे तो कभी भी तुम्हारे नहीं थे. वे तो राह में मिलने वाले पथिक थे.
फिर तो निश्चित ही यह मेरा शरीर होगा?
भगवान ने मुस्कुरा कर कहा -- वह तो कभी भी तुम्हारा नहीं हो सकता क्योंकि वह तो राख है.
तो क्या यह मेरी आत्मा है?
नहीं वह तो मेरी है --- भगवान ने कहा.
भयभीत होकर आदमी ने भगवान के हाथ से सूट केस ले लिया और उसे खोल दिया यह देखने के लिए कि सूट केस में क्या है. वह सूट केस खाली था.
आदमी की आँखों में आंसू आ गए और उसने कहा -- मेरे पास कभी भी कुछ नहीं था.
भगवान ने जबाव दिया -- यही सत्य है. प्रत्येक क्षण जो तुमने जिया, वही तुम्हारा था. जिंदगी क्षणिक है और वे ही क्षण तुम्हारे हैं.
इस कारण जो भी समय आपके पास है, उसे भरपूर जियें. आज में जियें. अपनी जिंदगी जिए.
खुश होना कभी न भूलें, यही एक बात महत्त्व रखती है.
भौतिक वस्तुएं और जिस भी चीज के लिए आप यहाँ लड़ते हैं, मेहनत करते हैं...आप यहाँ से कुछ भी नहीं ले जा सकते हैं.
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