बुधवार, 24 जुलाई 2013

एक छोटा सा पैगाम

माता  का एक छोटा सा पैगाम :- बेटे के नाम

1. जिस दिन तुम हमे बूढ़ा देखो तब सब्र करना और हमे समझने की कोशिश करना.

2. जब हम कोई बात भूल जाए तो हम पर गुस्सा ना करना और अपना बचपन याद करना.

3. जब हम बूढ़े होकर चल ना पाए तो हमारा सहारा बनना और अपना पहला कदम याद करना.

4. जब हम बीमार हो जाए तो वो दिन याद करके हम पर अपने पैसे खर्च करना जब हम तुम्हारी ख्वाहिशे पूरी करने के लिए अपनी ख्वाहिशे कुर्बान करते थे.

5. जब हमारे आँखों मे आँसू देखना तो वह दिन याद करना , जब तुम रोते थे , तो सीने से लगाकर चुप कराते थे ।

6. जब हम ठंड से ठिठुर रहें हो तो , और गुहार लगा रहें हों , तो बिना कोई देर किये हमारे ऊपर रजाई और कम्बल डालना ।वह दिन याद करना जब ठंड के दिनों मे पैरों से रजाई नीचे गिरा देते थे और ठंड लगने पर रोते थे , तो अपने कलेजे लगाकर फिर रजाई ओढाते थे ।

इस खूबसूरत संदेश को ,सभी के साथ ,शेयर करनाऔर अपने अभिभावको का सम्मान
करना.
....

सोमवार, 22 जुलाई 2013

दो भाई

किसी शहर  में  दो  भाई  रहते  थे .  उनमे  से  एक  शहर  का  सबसे  बड़ा  बिजनेसमैन था तो दूसरा एक ड्रग -एडिक्ट  था  जो  अक्सर  नशे  की  हालत  में  लोगों  से  मार -पीट  किया  करता  था .  जब  लोग  इनके  बारे  में  जानते  तो  बहुत  आश्चर्य  करते  कि आखिर  दोनों  में  इतना  अंतर  क्यों  है  जबकि  दोनों  एक  ही  माता-पिता  की  संताने  हैं , एक जैसी शिक्षा प्राप्त  हैं  और  बिलकुल  एक  जैसे  माहौल  में पले -बढे  हैं . कुछ  लोगों  ने  इस  बात  का  पता  लगाने  का  निश्चय  किया  और  शाम  को  भाइयों  के  घर  पहुंचे .
अन्दर घुसते ही उन्हें नशे  में  धुत  एक  व्यक्ति  दिखा  , वे  उसके  पास  गए  और  पूछा , “ भाई तुम  ऐसे  क्यों  हो ??..तुम  बेवजह लोगों  से  लड़ाई -झगडा  करते  हो , नशे  में  धुत  अपने  बीवी -बच्चों  को  पीटते  हो …आखिर  ये  सब  करने  की  वजह  क्या  है ?”
“मेरे  पिता ” , भाई  ने  उत्तर  दिया .
 “पिता !! ….वो  कैसे ?” , लोगों  ने  पूछा
भाई  बोल , “ मेरे  पिता  शराबी   थे , वे  अक्सर  मेरी  माँ  और  हम  दोनों भाइयों को  पीटा  करते  थे …भला  तुम  लोग  मुझसे  और  क्या  उम्मीद  कर  सकते  हो  …मैं  भी  वैसा  ही  हूँ ..”
फिर  वे  लोग दूसरे  भाई  के  पास  गए , वो  अपने  काम  में  व्यस्त  था  और  थोड़ी  देर  बाद  उनसे  मिलने  आया ,
“माफ़  कीजियेगा , मुझे  आने  में  थोड़ी  देर  हो  गयी .” भाई  बोल , “ बताइए  मैं  आपकी  क्या  मदद  कर  सकता  हूँ ? ”
लोगों  ने  इस  भाई  से  भी  वही  प्रश्न  किया , “ आप  इतने  सम्मानित  बिजनेसमैन  हैं , आपकी  हर  जगह  पूछ  है , सभी  आपकी  प्रशंसा  करते  हैं , आखिर  आपकी  इन  उपलब्धियों  की  वजह  क्या  है ?”
“ मेरे  पिता  “, उत्तर  आया .
लोगों  ने  आश्चर्य  से पूछा , “ भला  वो  कैसे ?”
“मेरे  पिता  शराबी  थे , नशे  में  वो  हमें मारा- पीटा करते  थे  मैं  ये  सब चुप -चाप  देखा  करता  था , और  तभी  मैंने  निश्चय कर  लिया  था  की  मैं  ऐसा  बिलकुल नहीं  बनना  चाहता  मुझे  तो  एक  सभ्य  , सम्मानित  और  बड़ा  आदमी  बनना  है , और  मैं  वही  बना .” भाई  ने  अपनी  बात  पूरी  की .

 हमारे साथ  जो कुछ भी  घटता है  उसके  positive और  negative aspects हो सकते हैं . ज़रुरत  इस  बात  की  है  की  हम  positive aspect  पर  concentrate करें  और  वहीँ  से  अपनी  inspiration draw  करें .

बुरी आदत

एक अमीर आदमी अपने बेटे की किसी बुरी आदत से बहुत परेशान था. वह जब भी बेटे से आदत छोड़ने को कहते तो एक ही जवाब मिलता , ” अभी मैं इतना छोटा हूँ..धीरे-धीरे ये आदत छोड़ दूंगा !” पर वह कभी भी आदत छोड़ने का प्रयास नहीं करता.
उन्ही दिनों एक महात्मा गाँव में पधारे हुए थे, जब आदमी को उनकी ख्याति के बारे में पता चला तो वह तुरंत उनके पास पहुँचा और अपनी समस्या बताने लगा. महात्मा जी ने उसकी बात सुनी और कहा , ” ठीक है , आप अपने बेटे को कल सुबह बागीचे में लेकर आइये, वहीँ मैं आपको उपाय बताऊंगा. “
अगले दिन सुबह पिता-पुत्र बागीचे में पहुंचे.
महात्मा जी बेटे से बोले , ” आइये हम दोनों बागीचे की सैर करते हैं.” , और वो धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे .
चलते-चलते ही महात्मा जी अचानक रुके और बेटे से कहा, ” क्या तुम इस छोटे से पौधे को उखाड़ सकते हो ?”
” जी हाँ, इसमें कौन सी बड़ी बात है .”, और ऐसा कहते हुए बेटे ने आसानी से पौधे को उखाड़ दिया.
फिर वे आगे बढ़ गए और थोड़ी देर बाद महात्मा जी ने थोड़े बड़े पौधे की तरफ इशारा करते हुए कहा, ” क्या तुम इसे भी उखाड़ सकते हो?”
बेटे को तो मानो इन सब में कितना मजा आ रहा हो, वह तुरंत पौधा उखाड़ने में लग गया. इस बार उसे थोड़ी मेहनत लगी पर काफी प्रयत्न के बाद उसने इसे भी उखाड़ दिया .
वे फिर आगे बढ़ गए और कुछ देर बाद पुनः महात्मा जी ने एक गुडहल के पेड़ की तरफ इशारा करते हुए बेटे से इसे उखाड़ने के लिए कहा.
बेटे ने पेड़ का ताना पकड़ा और उसे जोर-जोर से खींचने लगा. पर पेड़ तो हिलने का भी नाम नहीं ले रहा था. जब बहुत प्रयास करने के बाद भी पेड़ टस से मस नहीं हुआ तो बेटा बोला , ” अरे ! ये तो बहुत मजबूत है इसे उखाड़ना असंभव है .”
महात्मा जी ने उसे प्यार से समझाते हुए कहा , ” बेटा, ठीक ऐसा ही बुरी आदतों के साथ होता है , जब वे नयी होती हैं तो उन्हें छोड़ना आसान होता है, पर वे जैसे जैसे  पुरानी होती जाती हैं इन्हें छोड़ना मुशिकल होता जाता है .”
बेटा उनकी बात समझ गया और उसने मन ही मन आज से ही आदत छोड़ने का निश्चय किया.

शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

साक्षात भगवान

साक्षात भगवान

मानव भगवान को प्रसन्न करने के लिए पूजा कर रहा था । पूजा करते-करते वह बोला -
" हे भगवान,मैं न जाने कितने विधि-विधानों से तुम्हारी पूजा करते आया हूँ पर आज तक जान नहीं पाया हूँ कि किस तरह की पूजा से तुम प्रसन्न होते हो । क्योंकि तुम
अदृश्य हो इसलिए कभी बता नहीं पाते। काश कि तुम साक्षात् होते,प्रत्यक्ष होते तो जरुर बोल पाते कि तुम किस तरह से प्रसन्न होते हो।
अब भगवान बिना बोले न रह सके। बोले -
" पुत्र ! भगवान अदृश्य भी होते हैं और प्रत्यक्ष भी । अगर तुम प्रत्यक्ष भगवान को सुख दोगे तो मैं तुरंत प्रसन्न हो जाऊंगा । तुम्हें किसी भी तरह की पूजा की जरुरत ही
न होगी । "
मानव हर्षित हो बोला -
" हे भगवान ! फिर शीघ्र बताइए प्रत्यक्ष भगवान कहाँ हैं ? मैं उन्हें तुरंत सुख देकर तुम्हें प्रसन्न करना चाहता हूँ ।
भगवान शांत मुस्कान के साथ बोले -
" पुत्र ! साक्षात् भगवान तुम्हारे माता-पिता हैं । तुम उन्हें सुखी रखो,मैं अपनेआप प्रसन्न हो जाऊँगा । फिर तुम्हें किसी भी विधि से पूजा करने की जरुरत नहीं रहेगी ।

रविवार, 7 जुलाई 2013

भारत और इंडिया

भारत में गॉंव है, गली है, चौबारा है.
इंडिया में सिटी है, मॉल है, पंचतारा है.

भारत में घर है, चबूतरा है, दालान है.
इंडिया में फ्लैट और मकान है.

भारत में काका है, बाबा है, दादा है, दादी है. इंडिया में अंकल आंटी की आबादी है.

भारत में खजूर है, जामुन है, आम है.
इंडिया में मैगी, पिज्जा, माजा का नकली आम है.

भारत में मटके है, दोने है, पत्तल है.
इंडिया में पोलिथीन, वाटर व वाईन की बोटल है.

भारत में गाय है, गोबर है, कंडे है.
इंडिया में सेहतनाशी चिकन बिरयानी अंडे है.

भारत में दूध है, दही है, लस्सी है.
इंडिया में खतरनाक विस्की, कोक, पेप्सी है.

भारत में रसोई है, आँगन है, तुलसी है.
इंडिया में रूम है, कमोड की कुर्सी है.

भारत में कथडी है, खटिया है, खर्राटे हैं. 
इंडिया में बेड है, डनलप है और करवटें है.

भारत में मंदिर है, मंडप है, पंडाल है.
इंडिया में पब है, डिस्को है, हॉल है.

भारत में गीत है, संगीत है, रिदम है.
इंडिया में डान्स है, पॉप है, आईटम है.

भारत में बुआ है, मौसी है, बहन है.
इंडिया में सब के सब कजन है.

भारत में पीपल है, बरगद है, नीम है.
इंडिया में वाल पर पूरे सीन है.

भारत में आदर है, प्रेम है, सत्कार है.
इंडिया में स्वार्थ, नफरत है, दुत्कार है.

भारत में हजारों भाषा हैं, बोली है.
इंडिया में एक अंग्रेजी एक बडबोली है.

भारत सीधा है, सहज है, सरल है.
इंडिया धूर्त है, चालाक है, कुटिल है.

भारत में संतोष है, सुख है, चैन है.
इंडिया बदहवास, दुखी, बेचैन है.

क्योंकि …
भारत को देवों ने, वीरों ने रचाया है.
इंडिया को लालची, अंग्रेजों ने बसाया है.

शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

सपना और अपना

रात के बारह बजे थे। कमरे में पत्नी बीमार पड़ी थी और वो सोचने में मशग़ूल था कि पत्नी के ऑपरेशन के लिए पाँच लाख कहाँ से लाऊँ।
भगवान से हाथ जोड़कर मन ही मन प्रार्थना करने लगा ..

अचानक कमरे में भगवान प्रकट हुए,वो भौंचक्का रह गया,कहीं भ्रम तो नहीं ? ख़ुद को चिकोटी काटी। लेकिन सपना नहीं था वह।
मुसकुराते हुए भगवान बोले - "बोलो मनुवा ! क्या चाहिए तुम्हें ?"
वो हड़बड़ाया, क्या माँगूँ ?
"ज़ल्दी कर मनुवा !समय निकला जा रहा है " भगवान फिर बोले।
वो घबरा गया। क्या माँगूँ ? महल, पैसे, गाड़ी ? सोचा पैसे ही माँगूँगा।

यही तो चाहिए ऑपरेशन के लिए, सुखी जीवन के लिए। पर कितना माँगूँ ? दश लाख, पचास लाख, एक करोड़ या दश करोड़ ?...सोचने में समय बहुत तेज़ी से निकल रहा था .

"मेरे पास वक़्त नहीं हैं मनुष्य, जल्दी माँगो !" भगवान बोले।
"दश करोड़ रूपए प्रभु !" उसने एक ही साँस में कहा ।
"तथास्तु !" भगवान चले गए। अचानक दश करोड़ के नोट चारों तरफ़ दिखाई देने लगे।

ख़ुशी से पागल हो उसने पत्नी को उठाने की कोशिश की। लेकिन वह तो ठंडी पड़ गई थी। एक तरफ़ पत्नी की लाश और दूसरी तरफ़ दस करोड़ के नोट।
वो जोर से चिल्लाया - "प्रभु ! मेरी पत्नी को ज़िदा कर दो !" लेकिन भगवान वहाँ नहीं थे। चारों ओर सन्नाटे ओर नोटों के सिवा कुछ न था।

गुरुवार, 4 जुलाई 2013

nadan bachpan

chalo phir dhoond lete hain
usi nadan bachpan ko
unhi masoom khushiyon ko
unhi rangeen lamhon ko
jahaan ghum ka pata na tha
jahaan dukh ki samjh na thi
jahaan bus muskrahat thi
baharen hi baharen thi
k jub sawan barasta tha
tu us kagaz ki kashti ko
bana ' na aur dabo dena
bohat acha sa lagta tha
aur is duniya ka har chehra
bohat sacha sa lagta tha
chalo phir dhondh lete hain
usi masoom bachpan ko.


बुधवार, 3 जुलाई 2013

प्रतिज्ञा

बचपन से ही मुझे अध्यापिका बनने तथा बच्चों को मारने का बड़ा शौक था। अभी मैं पाँच साल की ही थी कि छोटे-छोटे बच्चों का स्कूल लगा कर बैठ जाती। उन्हें लिखाती पढ़ाती और जब उन्हें कुछ न आता तो खूब मारती।
मैं बड़ी हो कर अध्यापिका बन गई। स्कूल जाने लगी। मैं बहुत प्रसन्न थी कि अब मेरी पढ़ाने और बच्चों को मारने की इच्छा पूरी हो जाएगी। जल्दी ही स्कूल में मैं मारने वाली अध्यापिका के नाम से प्रसिद्ध हो गई।
एक दिन श्रेणी में एक नया बच्चा आया। मैंने बच्चों को सुलेख लिखने के लिए दिया था। बच्चे लिख रहे थे। अचानक ही मेरा ध्यान एक बच्चे पर गया जो उल्टे हाथ से बड़ा ही गंदा हस्तलेख लिख रहा था। मैंने आव देखा न ताव, झट उसके एक चाँटा रसीद कर दिया। और कहा, "उल्टे हाथ से लिखना तुम्हें किसने सिखाया है और उस पर इतनी गंदी लिखाई!"

इससे पहले कि बच्चा कुछ जवाब दे, मेरा ध्यान उसके सीधे हाथ की ओर गया, जिसे देख कर मैं वहीं खड़ी की खड़ी रह गयी क्यों कि उस बच्चे का दायाँ हाथ था ही नहीं। किसी दुर्घटना में कट गया था।

यह देख कर मेरी आँखों में बरबस ही आँसू आ गए। मैं उस बच्चे के सामने अपना मुँह न उठा सकी। अपनी इस गलती पर मैंने सारी कक्षा के सामने उस बच्चे से माफ़ी माँगी और यह प्रतिज्ञा की कि कभी भी बच्चों को नहीं मारूँगी।
इस घटना ने मुझे ऐसा सबक सिखाया कि मेरा सारा जीवन ही बदल गया

बाके बिहारी

एक व्यक्ति बहुत नास्तिक था उसको भगवान पर विश्वास नहीं था. एक बार उसके साथ दुर्घटना घटित हुई ,वो रोड पर पड़ा पड़ा सब की ओर कातर निगाहों से मदद के लिए देख रहा था, पर कलियुग का इंसान - किसी इंसान की मदद जल्दी नहीं करता, मालूम नहीं क्यों, वो येही सोच कर थक गया | तभी उसके नास्तिक मन ने अनमनेसे प्रभु को गुहार लगाई उसी समय एक ठेलेवाला वह से गुजरा उसने उसको गोद में उठाया और चिकित्सा हेतु ले गया उसने उनके परिवार वालो को फ़ोन किया और अस्पताल बुलाया सभी आये उस व्यक्ति को बहुत धन्यवाद दिया उसके घर का पता भी लिखवा लिया जब यह ठीक हो जायेगा तो आप से मिलने आयेंगे - वो सज्जन सही हो गए कुछ दिन बाद वो अपने परिवार के साथ उस व्यक्ति से मिलने का इरादा बनाते है और निकल पड़ते है मिलने| वो बाके बिहारी का नाम पूछते हुए उस पते पर जाते है उनको वहा पर प्रभु का मंदिर मिलता है, वो अचंभित से उस भवन को देखते है, और उसके अन्दर चले जाते जातेहै | अभी भी वहा पर पुजारी से नाम लेकर पूछते है की यह बाके बिहारी कहा मिलेगा - पुजारी हाथ जोड़ मूर्ति की ओर इशारा कर के कहता है की यहाँ यही एक बाके बिहारी है | खैर वो मंदिर से लौटने लगतेहै तो उनकी निगाह एक बोर्ड पर पड़ती है उसमे एक वाक्य लिखा दिखता है - कि "इंसान ही इंसान के काम आता है, उस से प्रेम करतेरहो मै तो तुम्हे स्वयं मिल जाऊंगा |