meanings of places in english
.1=Large State
"Maha-Rastra"
. 2=Place of Kings
"Raja-Sthan"
.
3=Mr. City
"Shri-Nagar"
. 4=Rhythm of Eyes
"Nayni-Tal"
.
5=Face-"Surat"
.
6=Unmarried Girl. "Kanya-Kumari"
.
7=No Zip.
"Chen-Nai"
.
8=Come in Evening. "Aa-Sam"
9=Go and Come.
"Go-Aa"
.
10=Answer State.
"Uttar-Pradesh" .
11=Make Juice.
"Bana-Ras"
.
12=Do Drama.
"Kar-Natak" .
13=Green Gate.
"Hari-Dwar"
.
शनिवार, 29 जून 2013
कार्य कुशलता
एक लड़की अपनी माँ के पास अपनी परेशानियों काबखान कर रही थी l
वो परीक्षl में फेल हो गई थी l सहेली से झगड़ा हो गया l मनपसंद ड्रेस प्रैस कर रही थी वो जल गई l
रोते हुए बोली, मम्मी ,देखो ना , मेरी जिन्दगी के साथ सब कुछ उलटा -पुल्टा हो रहा है l
माँ ने मुस्कराते हुए कहा, यह उदासी और रोना छोड़ो, चलो मेरे साथ रसोई में , "तुम्हारा मनपसंद केक बनाकर खिलाती हूँ"l
लड़की का रोना बंद हो गया और हंसते हुये बोली,"केक तो मेरी मनपसंद मिठाई है"l
कितनी देर में बनेगा, कन्या ने चहकते हुए पूछा l
माँ ने सबसे पहले मैदे का डिब्बा उठाया और प्यार से कहा, ले पहले मैदा खा ले l
लड़की मुंह बनाते हुए बोली, इसे कोई खाता है भला l
माँ ने फिर मुस्कराते हुये कहा,"तो ले सौ ग्राम चीनी ही खा ले"l
एसेंस और मिल्कमेड का डिब्बा दिखाया और कहा लो इसका भी स्वाद चख लो
"माँ" आज तुम्हें क्या हो गया है? जो मुझे इस तरह की चीजें खाने को दे रही हो ?
माँ ने बड़े प्यार और शांति से जवाब दिया,"बेटा" केक इन सभी बेस्वादी चीजों से ही बनता है और ये सभी मिलकर ही तो केक को स्वादिष्ट बनाती हैं .
मैं तुम्हें सिखाना चाह रही थी कि"जिंदगी का केक" भी इसी प्रकार की बेस्वाद घटनाओं को मिलाकर बनाया जाता है l
फेल हो गई हो तो इसे चुनौती समझो मेहनत करके पास हो जाओ l
सहेली से झगड़ा हो गया है
तो अपना व्यवहार इतना मीठा बनाओ कि फिर कभी किसी से झगड़ा न होl
यदि मानसिक तनाव के कारण "ड्रेस" जल गई तो आगेसे सदा ध्यान रखो कि मन की स्थिति हर परिस्थिति में अच्छी हो l
बिगड़े मन से काम भी तो बिगड़ेंगेl
कार्यों को कुशलता से करने के लिएमन के चिंतनको कुशल बनाना अनिवार्य है !
वो परीक्षl में फेल हो गई थी l सहेली से झगड़ा हो गया l मनपसंद ड्रेस प्रैस कर रही थी वो जल गई l
रोते हुए बोली, मम्मी ,देखो ना , मेरी जिन्दगी के साथ सब कुछ उलटा -पुल्टा हो रहा है l
माँ ने मुस्कराते हुए कहा, यह उदासी और रोना छोड़ो, चलो मेरे साथ रसोई में , "तुम्हारा मनपसंद केक बनाकर खिलाती हूँ"l
लड़की का रोना बंद हो गया और हंसते हुये बोली,"केक तो मेरी मनपसंद मिठाई है"l
कितनी देर में बनेगा, कन्या ने चहकते हुए पूछा l
माँ ने सबसे पहले मैदे का डिब्बा उठाया और प्यार से कहा, ले पहले मैदा खा ले l
लड़की मुंह बनाते हुए बोली, इसे कोई खाता है भला l
माँ ने फिर मुस्कराते हुये कहा,"तो ले सौ ग्राम चीनी ही खा ले"l
एसेंस और मिल्कमेड का डिब्बा दिखाया और कहा लो इसका भी स्वाद चख लो
"माँ" आज तुम्हें क्या हो गया है? जो मुझे इस तरह की चीजें खाने को दे रही हो ?
माँ ने बड़े प्यार और शांति से जवाब दिया,"बेटा" केक इन सभी बेस्वादी चीजों से ही बनता है और ये सभी मिलकर ही तो केक को स्वादिष्ट बनाती हैं .
मैं तुम्हें सिखाना चाह रही थी कि"जिंदगी का केक" भी इसी प्रकार की बेस्वाद घटनाओं को मिलाकर बनाया जाता है l
फेल हो गई हो तो इसे चुनौती समझो मेहनत करके पास हो जाओ l
सहेली से झगड़ा हो गया है
तो अपना व्यवहार इतना मीठा बनाओ कि फिर कभी किसी से झगड़ा न होl
यदि मानसिक तनाव के कारण "ड्रेस" जल गई तो आगेसे सदा ध्यान रखो कि मन की स्थिति हर परिस्थिति में अच्छी हो l
बिगड़े मन से काम भी तो बिगड़ेंगेl
कार्यों को कुशलता से करने के लिएमन के चिंतनको कुशल बनाना अनिवार्य है !
अनुभव
एक बार दो मित्र साथ-साथ एक रेगिस्तान में चले जा रहे थे. रास्ते में दोनों में कुछ कहासुनी हो गई. बहसबाजी में बात इतनी बढ़ गई की उनमे से एक मित्र ने दूसरे के गाल पर जोर से झापड़ मार दिया. जिस मित्र को झापड़ पड़ा उसे दुःख तो बहुत हुआ किंतु उसने कुछ नहीं कहा वो बस झुका और उसने वहां पड़े बालू पर लिख दिया
"आज मेरे सबसे निकटतम मित्र ने मुझे झापड़ मारा "
दोनों मित्र आगे चलते रहे और उन्हें एक छोटा सा पानी का तालाब दिखा और उन दोनों ने पानी में उतर कर नहाने का निर्णय कर लिया. जिस मित्र को झापड़ पड़ा था वह दलदल में फँस गया और डूबने लगा किंतु दुसरे मित्र ने उसे बचा लिया. जब वह बच गया तो बाहर आकर उसने एक पत्थर पर लिखा
"आज मेरे निकटतम मित्र ने मेरी जान बचाई "
जिस मित्र ने उसे झापड़ मारा था और फिर उसकी जान बचाई थी वह काफी सोच में पड़ा रहा और जब उससे रहा न गया तो उसने पूछा
"जब मैंने तुम्हे मारा था तो तुमने बालू में लिखा और जब मैंने तुम्हारी जान बचाई तो तुमने पत्थर पर लिखा.ऐसा क्यों ?"
इस पर दूसरे मित्र ने उत्तर दिया
" जब कोई हमारा दिल दुखाये तो हमें उस अनुभव के बारे में बालू में लिखना चाहिए क्योकि उस चीज को भुला देना ही अच्छा है. क्षमा रुपी वायु शीघ्र ही उसे मिटा देगी किंतु जब कोई हमारे साथ कुछ अच्छा करे हम पर उपकार करे तो हमे उस अनुभव को पत्थर पर लिख देना चाहिए जिससे कि कोई भी जल्दी उसको मिटा न सके."
"आज मेरे सबसे निकटतम मित्र ने मुझे झापड़ मारा "
दोनों मित्र आगे चलते रहे और उन्हें एक छोटा सा पानी का तालाब दिखा और उन दोनों ने पानी में उतर कर नहाने का निर्णय कर लिया. जिस मित्र को झापड़ पड़ा था वह दलदल में फँस गया और डूबने लगा किंतु दुसरे मित्र ने उसे बचा लिया. जब वह बच गया तो बाहर आकर उसने एक पत्थर पर लिखा
"आज मेरे निकटतम मित्र ने मेरी जान बचाई "
जिस मित्र ने उसे झापड़ मारा था और फिर उसकी जान बचाई थी वह काफी सोच में पड़ा रहा और जब उससे रहा न गया तो उसने पूछा
"जब मैंने तुम्हे मारा था तो तुमने बालू में लिखा और जब मैंने तुम्हारी जान बचाई तो तुमने पत्थर पर लिखा.ऐसा क्यों ?"
इस पर दूसरे मित्र ने उत्तर दिया
" जब कोई हमारा दिल दुखाये तो हमें उस अनुभव के बारे में बालू में लिखना चाहिए क्योकि उस चीज को भुला देना ही अच्छा है. क्षमा रुपी वायु शीघ्र ही उसे मिटा देगी किंतु जब कोई हमारे साथ कुछ अच्छा करे हम पर उपकार करे तो हमे उस अनुभव को पत्थर पर लिख देना चाहिए जिससे कि कोई भी जल्दी उसको मिटा न सके."
गुरुवार, 27 जून 2013
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है ,
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है ,
ना मा, बाप, बहन , ना यहा कोई भाई है .
हर लडकी का है Boy Friend, हर लडके ने Girl Friend पायी है ,
चंद दिनो के है ये रिश्ते , फिर वही रुसवायी है .
घर जाना Home Sickness कहलाता है ,
पर Girl Friend से मिलने को टाईम रोज मिल जाता है .
दो दिन से नही पुछा मां की तबीयत का हाल ,
Girl Friend से पल – पल की खबर पायी है,
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है …..
कभी खुली हवा मे घुमते थे ,
अब AC की आदत लगायी है .
धुप हमसे सहन नही होती ,
हर कोई देता यही दुहाई है .
मेहनत के काम हम करते नही ,
इसीलिये Gym जाने की नौबत आयी है .
McDonalds, PizaaHut जाने लगे,
दाल- रोटी तो मुश्कील से खायी है .
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है …..
Work Relation हमने बडाये ,
पर दोस्तो की संख्या घटायी है .
Professional ने की है तरक्की ,
Social ने मुंह की खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है ….
ना मा, बाप, बहन , ना यहा कोई भाई है .
हर लडकी का है Boy Friend, हर लडके ने Girl Friend पायी है ,
चंद दिनो के है ये रिश्ते , फिर वही रुसवायी है .
घर जाना Home Sickness कहलाता है ,
पर Girl Friend से मिलने को टाईम रोज मिल जाता है .
दो दिन से नही पुछा मां की तबीयत का हाल ,
Girl Friend से पल – पल की खबर पायी है,
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है …..
कभी खुली हवा मे घुमते थे ,
अब AC की आदत लगायी है .
धुप हमसे सहन नही होती ,
हर कोई देता यही दुहाई है .
मेहनत के काम हम करते नही ,
इसीलिये Gym जाने की नौबत आयी है .
McDonalds, PizaaHut जाने लगे,
दाल- रोटी तो मुश्कील से खायी है .
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है …..
Work Relation हमने बडाये ,
पर दोस्तो की संख्या घटायी है .
Professional ने की है तरक्की ,
Social ने मुंह की खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है ….
बुधवार, 26 जून 2013
संसार की रीति
एक नगर में एकमशहूर चित्रकार रहता था ।
चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे मे लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को, जहाँ भी इसमें कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे ।जब उसने शाम को तस्वीर देखी उसकी पूरी तस्वीर पर
निशानों से ख़राब हो चुकी थी । यह देख वह बहुत दुखी हुआ। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था । तभी उसका एक मित्र
वहाँ से गुजरा उसने उसके दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई । उसने कहा एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उस मे लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे सही कर दे ।उसने अगले दिन यही किया ।शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा की तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया ।वह संसार की रीति समझ गया।
"कमी निकालना,निंदा करना, बुराई करना आसान, लेकिन उन कमियों को दूर
करना अत्यंत कठिन होता है"
चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे मे लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को, जहाँ भी इसमें कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे ।जब उसने शाम को तस्वीर देखी उसकी पूरी तस्वीर पर
निशानों से ख़राब हो चुकी थी । यह देख वह बहुत दुखी हुआ। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था । तभी उसका एक मित्र
वहाँ से गुजरा उसने उसके दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई । उसने कहा एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उस मे लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे सही कर दे ।उसने अगले दिन यही किया ।शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा की तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया ।वह संसार की रीति समझ गया।
"कमी निकालना,निंदा करना, बुराई करना आसान, लेकिन उन कमियों को दूर
करना अत्यंत कठिन होता है"
मंगलवार, 4 जून 2013
चार पत्नियाँ
एक व्यापारी था, उसकी चार पत्नियाँ थी . वह
अपनी चौथी पत्नी से बहुत प्रेम करता, उसकी हर
जरूरत
को पूरा करता था और हर काम में उसकी मदद
करता था .
वह अपनी तीसरी पत्नी से भी बहुत प्यार
करता था . और
वह अपनी दूसरी पत्नी की भी हर मांग
को पूरी करता था और उसकी दूसरी पत्नी भी उसके
काम
और कारोबार में उसकी मदद करती थी . वह
अपनी पहली पत्नी से बिल्कुल भी प्रेम
नहीं करता था .
परन्तु उसकी पहली पत्नी उससे बहुत प्रेम
करती थी . एक
दिन व्यापारी बीमार हो गया और वह मरणासन्न
में
पड़ा था . उसने चारों पत्नियों को बुलाया . उसने
अपनी चौथी पत्नी से पूछा –‘क्या तुम मेरी मदद
करोगी और मेरे शरीर को मुक्ति दोगी ?’’तो वह
बोली –
नहीं . मैं दूसरी शादी कर लूँगी, परन्तु
तुम्हारी मदद
नहीं करुँगी . वह बहुत नाराज हो जाता है और
इसी प्रकार अपनी तीनों पत्नियों से
पूछता है .
तीसरी पत्नी भी उसकी मदद करने से इंकार कर
देती है .
दूसरी पत्नी भी यही कहकर वहां से
चली जाती है . फिर
वह व्यापारी अपनी पहली पत्नी से पूछने के
योग्य
नहीं रहता वहीं अपने और वहीं अपने कमरे में
लेट जाता है .
कुछ देर बाद उसकी पत्नी वहां आती है और
कहती है –“मैं
तुम्हारी सहायता करूंगी .’’ ऐसा कहकर
वो भी वहां से
चली जाती है . वास्तव में हम्हारे जीवन में
चार
पत्नियों है–चौथी पत्नी है
हमारा शरीर ,क्योंकि जब
हम मर जाते हैं तो हमारा शरीर मिट्टी बन
जाता है .
तीसरी पत्नी है हमारा धन ,शोहरत वो भी हमारे
पास
से चला जाता है जब हम मर जाते है तो वह भी हमसे
छीन
जाती है . दूसरी पत्नी है
हमारी रिश्तेदारी ,घर के लोग ,हमारे
मित्र ,जो हमारा अंतिम संस्कार करने के लिए
हमारा साथ शमशान घाट तक जाते हैं परन्तु
वहां से वापस
आ जाते हैं . पहली पत्नी हमारी आत्मा है
जो हमारे साथ
सदा रहती है . हमारी सदा मदद करती है . परन्तु
हम
कभी भी उसकी मदद नहीं करते . कभी भी उससे
प्रेम
नहीं करते हैं .इसलिए मैं
यही कहना चाहूंगी की बाकी तीन
पत्नियों तो सिर्फ
एक खेल के रूप में है परन्तु
पहली पत्नी हमारी आत्मा है ,
जो सदा हमारे साथ रहती . इसलिए हमें सदा उससे
प्रेम
करना चहिये |
अपनी चौथी पत्नी से बहुत प्रेम करता, उसकी हर
जरूरत
को पूरा करता था और हर काम में उसकी मदद
करता था .
वह अपनी तीसरी पत्नी से भी बहुत प्यार
करता था . और
वह अपनी दूसरी पत्नी की भी हर मांग
को पूरी करता था और उसकी दूसरी पत्नी भी उसके
काम
और कारोबार में उसकी मदद करती थी . वह
अपनी पहली पत्नी से बिल्कुल भी प्रेम
नहीं करता था .
परन्तु उसकी पहली पत्नी उससे बहुत प्रेम
करती थी . एक
दिन व्यापारी बीमार हो गया और वह मरणासन्न
में
पड़ा था . उसने चारों पत्नियों को बुलाया . उसने
अपनी चौथी पत्नी से पूछा –‘क्या तुम मेरी मदद
करोगी और मेरे शरीर को मुक्ति दोगी ?’’तो वह
बोली –
नहीं . मैं दूसरी शादी कर लूँगी, परन्तु
तुम्हारी मदद
नहीं करुँगी . वह बहुत नाराज हो जाता है और
इसी प्रकार अपनी तीनों पत्नियों से
पूछता है .
तीसरी पत्नी भी उसकी मदद करने से इंकार कर
देती है .
दूसरी पत्नी भी यही कहकर वहां से
चली जाती है . फिर
वह व्यापारी अपनी पहली पत्नी से पूछने के
योग्य
नहीं रहता वहीं अपने और वहीं अपने कमरे में
लेट जाता है .
कुछ देर बाद उसकी पत्नी वहां आती है और
कहती है –“मैं
तुम्हारी सहायता करूंगी .’’ ऐसा कहकर
वो भी वहां से
चली जाती है . वास्तव में हम्हारे जीवन में
चार
पत्नियों है–चौथी पत्नी है
हमारा शरीर ,क्योंकि जब
हम मर जाते हैं तो हमारा शरीर मिट्टी बन
जाता है .
तीसरी पत्नी है हमारा धन ,शोहरत वो भी हमारे
पास
से चला जाता है जब हम मर जाते है तो वह भी हमसे
छीन
जाती है . दूसरी पत्नी है
हमारी रिश्तेदारी ,घर के लोग ,हमारे
मित्र ,जो हमारा अंतिम संस्कार करने के लिए
हमारा साथ शमशान घाट तक जाते हैं परन्तु
वहां से वापस
आ जाते हैं . पहली पत्नी हमारी आत्मा है
जो हमारे साथ
सदा रहती है . हमारी सदा मदद करती है . परन्तु
हम
कभी भी उसकी मदद नहीं करते . कभी भी उससे
प्रेम
नहीं करते हैं .इसलिए मैं
यही कहना चाहूंगी की बाकी तीन
पत्नियों तो सिर्फ
एक खेल के रूप में है परन्तु
पहली पत्नी हमारी आत्मा है ,
जो सदा हमारे साथ रहती . इसलिए हमें सदा उससे
प्रेम
करना चहिये |
‘भगवद् गीता’
एक बार एक युवक अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने वाला था। उसकी बहुत दिनों से एक शोरूम में रखी स्पोर्टस कार लेने की इच्छा थी। उसनेअपने पिता से कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने पर उपहारस्वरूप वह कार लेने की बात कही क्योंकि वह जानता था कि उसके पिता उसकी इच्छा पूरी करने में समर्थ हैं।
कॉलेज के आखिरी दिन उसके पिता ने उसे अपने कमरे में बुलाया और कहा कि वे उसे बहुत प्यार करते हैं तथा उन्हें उस पर गर्व है। फिर उन्होंने उसे एक सुंदर कागज़ में लिपटा उपहार दिया । उत्सुकतापूर्वक जब युवक ने उस कागज़ को खोला तो उसे उसमें एक आकर्षक जिल्द वाली ‘भगवद् गीता’ मिली जिसपर उसका नाम भी सुनहरे अक्षरों में लिखा था।
यह देखकर वह युवक आगबबूला हो उठा और अपने पिता से बोला कि इतना पैसा होने पर भी उन्होंने उसे केवल एक ‘भगवद् गीता’ दी। यह कहकर वह गुस्से से गीता वहीं पटककर घर छोड़कर निकल गया।
बहुत वर्ष बीत गए और वह युवक एक सफल व्यवसायी बन गया। उसके पास बहुत धन-दौलत और भरापूरा परिवार था। एक दिन उसने सोचा कि उसके पिता तो अब काफी वृद्ध हो गए होंगे। उसने अपने पिता से मिलने जाने का निश्चय किया क्योंकि उस दिनके बाद से वह उनसे मिलने कभी नहीं गया था। अभीवह अपने पिता से मिलने जाने की तैयारी कर ही रहा था कि अचानक उसे एक तार मिला जिसमें लिखा था कि उसके पिता की मृत्यु हो गई है और वे अपनी सारी संपत्ति उसके नाम कर गए हैं। उसे तुरंत वहाँ बुलाया गया था जिससे वह सारी संपत्ति संभाल सके।
वह उदासी और पश्चाताप की भावना से भरकर अपने पिता के घर पहुँचा। उसे अपने पिता की महत्वपूर्ण फाइलों में वह ‘भगवद् गीता’ भी मिली जिसे वह वर्षों पहले छोड़कर गया था। उसने भरी आँखों से उसके पन्ने पलटने शुरू किए। तभी उसमें से एक कार की चाबी नीचे गिरी जिसके साथ एक बिल भी था। उस बिल पर उसी शोरूम का नाम लिखा था जिसमें उसने वह स्पोर्टस कार पसंद की थी तथा उस पर उसके घर छोड़कर जाने से पिछले दिन की तिथि भी लिखी थी। उस बिल में लिखा था कि पूरा भुगतान कर दिया गया है।
कई बार हम भगवान की आशीषों और अपनी प्रार्थनाओं के उत्तरों को अनदेखा कर जाते हैं क्योंकि वे उस रूप में हमें प्राप्त नहींहोते जिस रूप में हम उनकी आशा करते हैं।
कॉलेज के आखिरी दिन उसके पिता ने उसे अपने कमरे में बुलाया और कहा कि वे उसे बहुत प्यार करते हैं तथा उन्हें उस पर गर्व है। फिर उन्होंने उसे एक सुंदर कागज़ में लिपटा उपहार दिया । उत्सुकतापूर्वक जब युवक ने उस कागज़ को खोला तो उसे उसमें एक आकर्षक जिल्द वाली ‘भगवद् गीता’ मिली जिसपर उसका नाम भी सुनहरे अक्षरों में लिखा था।
यह देखकर वह युवक आगबबूला हो उठा और अपने पिता से बोला कि इतना पैसा होने पर भी उन्होंने उसे केवल एक ‘भगवद् गीता’ दी। यह कहकर वह गुस्से से गीता वहीं पटककर घर छोड़कर निकल गया।
बहुत वर्ष बीत गए और वह युवक एक सफल व्यवसायी बन गया। उसके पास बहुत धन-दौलत और भरापूरा परिवार था। एक दिन उसने सोचा कि उसके पिता तो अब काफी वृद्ध हो गए होंगे। उसने अपने पिता से मिलने जाने का निश्चय किया क्योंकि उस दिनके बाद से वह उनसे मिलने कभी नहीं गया था। अभीवह अपने पिता से मिलने जाने की तैयारी कर ही रहा था कि अचानक उसे एक तार मिला जिसमें लिखा था कि उसके पिता की मृत्यु हो गई है और वे अपनी सारी संपत्ति उसके नाम कर गए हैं। उसे तुरंत वहाँ बुलाया गया था जिससे वह सारी संपत्ति संभाल सके।
वह उदासी और पश्चाताप की भावना से भरकर अपने पिता के घर पहुँचा। उसे अपने पिता की महत्वपूर्ण फाइलों में वह ‘भगवद् गीता’ भी मिली जिसे वह वर्षों पहले छोड़कर गया था। उसने भरी आँखों से उसके पन्ने पलटने शुरू किए। तभी उसमें से एक कार की चाबी नीचे गिरी जिसके साथ एक बिल भी था। उस बिल पर उसी शोरूम का नाम लिखा था जिसमें उसने वह स्पोर्टस कार पसंद की थी तथा उस पर उसके घर छोड़कर जाने से पिछले दिन की तिथि भी लिखी थी। उस बिल में लिखा था कि पूरा भुगतान कर दिया गया है।
कई बार हम भगवान की आशीषों और अपनी प्रार्थनाओं के उत्तरों को अनदेखा कर जाते हैं क्योंकि वे उस रूप में हमें प्राप्त नहींहोते जिस रूप में हम उनकी आशा करते हैं।
chemical locha
ना ये "KEMISTRY" होती ना मै "STUDENT" होता
ना वो "LAB" होती ,ना वो "LOV AKSIDENT" होता
तभी "PRAKTIKAL" के वक्त नजर आयी एक लड़की
खूबसूरत उसकी नाक "TEST TYUB" जैसी
उसकी बातों में "GLUKOJ" की मिठास थी
"ETHYL ALKOHOL" सी ठंडी उसकी सांस थी
अँधेरे में वो "रेडियम" की तरह चमकती थी
अब आँख मिली तो REAKSHAN हुआ, लव का PRODUKSHAN हुआ!
फिर तो लगने लगे उसके घर के चक्कर ऐसे
"NUKLEUS" के चारो ओर "ELEKTRON" जैसे
जिस दिन "TEST" का "PERFEKSHAN" था
उस दिन उसके पिताजी से हमारा"INTRODUKSHAN" था
मानों "IGNISHANN TYUB" से "SODIUM" के पीसेस निकल पड़े
वो बोले होश में आओ,पहचानों अपनी औकात
"IRON" कभी मिल नहीं सकता "GOLD" के साथ !
इस तरह तोड़ दिया उन्होंने हमारे अरमानों का"BEAKER"
हम चुप ही रह गए "BENJALDEHYDE" का घूँट पीकर .
अब उनकी यादों के बिना हमारा काम चलता नहीं है
जिंदगी हो गयी अब "UNSACHURATED KARBON" कीतरह ,
बेकार घूमते अब हम आवारा "HYDROGEN" की तरह...!!
ना वो "LAB" होती ,ना वो "LOV AKSIDENT" होता
तभी "PRAKTIKAL" के वक्त नजर आयी एक लड़की
खूबसूरत उसकी नाक "TEST TYUB" जैसी
उसकी बातों में "GLUKOJ" की मिठास थी
"ETHYL ALKOHOL" सी ठंडी उसकी सांस थी
अँधेरे में वो "रेडियम" की तरह चमकती थी
अब आँख मिली तो REAKSHAN हुआ, लव का PRODUKSHAN हुआ!
फिर तो लगने लगे उसके घर के चक्कर ऐसे
"NUKLEUS" के चारो ओर "ELEKTRON" जैसे
जिस दिन "TEST" का "PERFEKSHAN" था
उस दिन उसके पिताजी से हमारा"INTRODUKSHAN" था
मानों "IGNISHANN TYUB" से "SODIUM" के पीसेस निकल पड़े
वो बोले होश में आओ,पहचानों अपनी औकात
"IRON" कभी मिल नहीं सकता "GOLD" के साथ !
इस तरह तोड़ दिया उन्होंने हमारे अरमानों का"BEAKER"
हम चुप ही रह गए "BENJALDEHYDE" का घूँट पीकर .
अब उनकी यादों के बिना हमारा काम चलता नहीं है
जिंदगी हो गयी अब "UNSACHURATED KARBON" कीतरह ,
बेकार घूमते अब हम आवारा "HYDROGEN" की तरह...!!
सोमवार, 3 जून 2013
कडवा सच;;
पति : फोन आया था ।
कल सुबह मां आ रही है।
उनकी ट्रेन सुबह 4 बजे पहुंच जाएगी ।
पत्नी : अभी 4 माह पहले ही तो तुम्हारी मां यहां से गई हैं।
फिर अचानक कैसे आ रही हैं ? कल रविवार है, मैंने सोचा था,
कल थोड़ा आराम से उठूंगी, लेकिन तुम्हारी मां को रविवार को ही आना है
और वह भी सुबह 4 बजे। इतनी सुबह taxi कहां से ..... ?
.
.पति : मेरी... नहीं तुम्हारी मां आ रही है।
पत्नी : अरे वाह... मम्मी ......? ..... 2 माह हो गये उनसे
मिले हुए।
सुनो ना मेरे पास taxi वाले का नंबर भी है उसे फोन कर लेते हैं
कल सुबह ठीक टाईम पर आ जाएगा। चलो अच्छा है कल सण्डे है
बच्चों का स्कूल भी नहीं है वे भी नानी को लेने स्टेशन जा सकेंगे...!
* सच्चा हिरा *
सायंकाल का समय था | सभी पक्षी अपने अपने घोसले में जा रहे थे | तभी गाव कि चार ओरते कुए पर पानी भरने आई
और अपना अपना मटका भरकर बतयाने बैठ गई |
इस पर पहली ओरत बोली अरे ! भगवान मेरे जैसा लड़का सबको दे |
उसका कंठ इतना सुरीला हें कि सब उसकी आवाज सुनकर मुग्ध हो जाते हें |
इसपर दूसरी ओरत बोली कि मेरा लड़का इतना बलवान हें कि सब उसे आज के युग
का भीम कहते हें |
इस पर तीसरी ओरत कहाँ चुप रहती वह बोली अरे !
मेरा लड़का एक बार जो पढ़ लेता हें वह उसको उसी समय कंठस्थ हो जाता हें |
यह सब बात सुनकर चोथी ओरत कुछ नहीं बोली
तो इतने में दूसरी ओरत ने
कहाँ “ अरे ! बहन आपका भी तो एक लड़का हें ना आप उसके बारे में कुछ
नहीं बोलना चाहती हो” |
इस पर से उसने कहाँ मै क्या कहू वह ना तो बलवान हें और ना ही अच्छा गाता हें |
यह सुनकर चारो स्त्रियों ने
मटके उठाए और अपने गाव कि और चल दी |
तभी कानो में कुछ सुरीला सा स्वर सुनाई दिया | पहली स्त्री ने कहाँ “देखा ! मेरा पुत्र आ रहा हें | वह कितना सुरीला गान गा रहा हें |” पर उसने अपनी माँ को नही देखा और उनके सामने से निकल गया |
अब दूर जाने पर एक
बलवान लड़का वहाँ से गुजरा उस पर दूसरी ओरत ने कहाँ | “देखो ! मेरा बलिष्ट पुत्र आ रहा हें |” पर उसने भी अपनी माँ को नही देखा और सामने से निकल गया |
तभी दूर जाकर मंत्रो कि ध्वनि उनके कानो में पड़ी तभी तीसरी ओरत ने कहाँ “देखो ! मेरा बुद्धिमान पुत्र आ रहा हें |” पर वह भी श्लोक कहते हुए वहाँ से उन दोनों कि भाति निकल गया |
तभी वहाँ से एक और लड़का निकला वह उस चोथी स्त्री का पूत्र
था |
वह अपनी माता के पास आया और माता के सर पर से पानी का घड़ा ले लिया और गाव कि और गाव कि और निकल पढ़ा |
यह देख तीनों स्त्रीयां चकित रह गई | मानो उनको साप सुंघ गया हो | वे तीनों उसको आश्चर्य से देखने लगी तभी वहाँ पर बैठी एक वृद्ध महिला ने कहाँ “देखो इसको कहते हें सच्चा हिरा”
“ सबसे पहला और सबसे बड़ा ज्ञान संस्कार का होता हें जो किसे और से नहीं बल्कि स्वयं हमारे माता-पिता से प्राप्त होता हें | फिर भले ही हमारे माता-पिता शिक्षित हो या ना हो यह ज्ञान उनके अलावा दुनिया का कोई भी व्यक्ति नहीं दे सकता हें
रविवार, 2 जून 2013
जगह
एक दिन किसी कारण से स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण, एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान
पर चला गया ।वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा । उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग सेदबा कर रख देते हैं। फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सु ई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं । जब उसनेइसी क्रिया को चार-पाँच बार देखातो उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ? पापा नेकहा- बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ? बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं , आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ? इसका जो उत्तर पापा ने दिया- उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया ।
उत्तर था- ” बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है । यही कारण है कि मैं सुईको टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं ।”
पर चला गया ।वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा । उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग सेदबा कर रख देते हैं। फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सु ई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं । जब उसनेइसी क्रिया को चार-पाँच बार देखातो उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ? पापा नेकहा- बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ? बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं , आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ? इसका जो उत्तर पापा ने दिया- उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया ।
उत्तर था- ” बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है । यही कारण है कि मैं सुईको टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं ।”
सदस्यता लें
संदेश (Atom)