गुरुवार, 30 मई 2013
बुधवार, 29 मई 2013
प्यार का असर
एक दिन एक चोर किसी महिला के कमरे में घुस गया| महिला अकेली थी, चोर ने छुरा दिखाकर कहा - "अगर तू शोर मचाएगी तो मैं तुझे मार डालूंगा|"
महिला बड़ी भली थी वह बोली - "मैं शोर क्यों मचाऊंगी! तुमको मुझसे ज्यादा चीजों की जरूरत है| आओ, मैं तुम्हारी मदद करूंगी|"
उसके बाद उसने अलमारी का ताला खोल दिया और एक-एक कीमती चीज उसके सामने रखने लगी| चोर हक्का-बक्का होकर उसकी ओर देखने लगा| स्त्री ने कहा - "तुम्हें जो-जो चाहिए खुशी से ले जाओ, ये चीजें तुम्हारे काम आएंगी| मेरे पास तो बेकार पड़ी हैं|"
थोड़ी देर में वह महिला देखती क्या है कि चोर की आंखों से आंसू टपक रहे हैं और वह बिना कुछ लिए चला गया| अगले दिन उस महिला को एक चिट्ठी मिली| उस चिट्ठी में लिखा था --
'मुझे घृणा से डर नहीं लगता| कोई गालियां देता है तो उसका भी मुझ पर कोई असर नहीं होता| उन्हें सहते-सहते मेरा दिल पत्थर-सा हो गया है, पर मेरी प्यारी बहन, प्यार से मेरा दिल मोम हो जाता है| तुमने मुझ पर प्यार बरसाया| मैं उसे कभी नहीं भूल सकूंगा|'
महिला बड़ी भली थी वह बोली - "मैं शोर क्यों मचाऊंगी! तुमको मुझसे ज्यादा चीजों की जरूरत है| आओ, मैं तुम्हारी मदद करूंगी|"
उसके बाद उसने अलमारी का ताला खोल दिया और एक-एक कीमती चीज उसके सामने रखने लगी| चोर हक्का-बक्का होकर उसकी ओर देखने लगा| स्त्री ने कहा - "तुम्हें जो-जो चाहिए खुशी से ले जाओ, ये चीजें तुम्हारे काम आएंगी| मेरे पास तो बेकार पड़ी हैं|"
थोड़ी देर में वह महिला देखती क्या है कि चोर की आंखों से आंसू टपक रहे हैं और वह बिना कुछ लिए चला गया| अगले दिन उस महिला को एक चिट्ठी मिली| उस चिट्ठी में लिखा था --
'मुझे घृणा से डर नहीं लगता| कोई गालियां देता है तो उसका भी मुझ पर कोई असर नहीं होता| उन्हें सहते-सहते मेरा दिल पत्थर-सा हो गया है, पर मेरी प्यारी बहन, प्यार से मेरा दिल मोम हो जाता है| तुमने मुझ पर प्यार बरसाया| मैं उसे कभी नहीं भूल सकूंगा|'
सोमवार, 27 मई 2013
भगवान का अर्थ:
** देवताओं के नाम के आगे लार्ड शब्द (Lord
Word) का प्रयोग बंद करो**
कभी सोचा है लार्ड (अँग्रेज़ी शब्द) और भगवान
(हिन्दी शब्द) में क्या अंतर है?
कभी सोचा है आखिर अग्रेजों ने हिन्दू धर्म के
देवताओं के नाम के आगे भगवान के बाजय लार्ड
अँग्रेज़ी शब्द (Lord English Word)
को प्रयोग क्यों किया ?
हिन्दी शब्द भगवान का अर्थ:
भ - भूमि, ग- गगन, व- वायु, आ- अग्नि, न-
नीर
... मैकाले की संस्कार विहीन शिक्षापद्दती देश
के विकास में बाधक है। शिक्षा व्यवस्था में
संस्कारों का अभाव तथा इतिहासको तोड़-
मरोड़कर पेश करने के कारण ही देश
का युवा अपने राष्ट्रीय स्वाभिमान से विमुख
होकर पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण
को विवश है। अंग्रेज़ चले गये पर उनके
मानसपुत्रों की कमी नहीं है। भारत में, भारतीय
संसद के सभी सदस्यों के लिए, चाहेवे लोक
सभा के सदस्य हों या राज्यसभा के, सांसद
शब्द का प्रयोग किया जाता है।
॥ यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन), हाउस ऑफ़ लार्ड्स
के सदस्य 'लार्ड्स ऑफ़ पार्लियामेंट' कहे जाते
हैं। इंग्लैंड सरकार की ओर से लॉर्ड एक
उपाधि है॥
लॉर्ड की उपाधि प्राप्त भारत के वाइसरॉय एवं
गवर्नर जनरल:
• लॉर्ड विलियम बैन्टिक, भारत के गवर्नर
जनरल(1833–1858)
• लॉर्ड ऑकलैंड
• लॉर्ड ऐलनबरो
• लॉर्ड डलहौज़ी
• लॉर्ड कैनिंग, भारत के वाइसरॉय एवं गवर्नर-
जनरल (1858–1947)
• लॉर्ड कैनिंग
• लॉर्ड मेयो
• लॉर्ड नैपियर
• लॉर्ड नॉर्थब्रूक
• लॉर्ड लिट्टन
• लॉर्ड रिप्पन
• लॉर्ड डफरिन
• लॉर्ड लैंस्डाउन
• लॉर्ड कर्जन
• लॉर्ड ऐम्प्थिल
• लॉर्ड मिंटो
• लॉर्ड हार्डिंग
• लॉर्ड चेम्स्फोर्ड
• लॉर्ड रीडिंग
• लॉर्ड इर्विन
• लॉर्ड विलिंग्डन
• लॉर्ड माउंटबैटन
इनको अभी भी हमारे इतिहास में लॉर्ड नाम से
ही पढ़ाया जाता है औरलॉर्ड शब्द का इस्तेमाल
देवताओंके नाम आगे भी किया जाता है।
• लार्ड कृष्णा(Lord Krishna)
• लार्ड रामा (Lord Rama)
• लार्ड गणेशा (Lord Ganesha)
• लार्ड शिवा (Lord Shiva)
• लार्ड ब्रह्मा (Lord Brahma)
• लार्ड विष्णु (Lord Vishnu)
अब क्या देवताओं के नाम के आगेलॉर्ड
लगाना न्यायोचित है ?
जहाँ एक ओर भारतीय संस्कृति का पूरे विश्व मैं
बोल बाला था और इसके लिए भारत
की पूरी दुनिया मैं एक अलग पहचान है, वहीँ कुछ
गैर ज़िम्मेदार लोग इस संस्कृतिको धूमिल करने
पर तुले हुए हैं।
जागो भारतीय जागो !! जय हिन्द, जय भारत !
वन्दे मातरम !
Word) का प्रयोग बंद करो**
कभी सोचा है लार्ड (अँग्रेज़ी शब्द) और भगवान
(हिन्दी शब्द) में क्या अंतर है?
कभी सोचा है आखिर अग्रेजों ने हिन्दू धर्म के
देवताओं के नाम के आगे भगवान के बाजय लार्ड
अँग्रेज़ी शब्द (Lord English Word)
को प्रयोग क्यों किया ?
हिन्दी शब्द भगवान का अर्थ:
भ - भूमि, ग- गगन, व- वायु, आ- अग्नि, न-
नीर
... मैकाले की संस्कार विहीन शिक्षापद्दती देश
के विकास में बाधक है। शिक्षा व्यवस्था में
संस्कारों का अभाव तथा इतिहासको तोड़-
मरोड़कर पेश करने के कारण ही देश
का युवा अपने राष्ट्रीय स्वाभिमान से विमुख
होकर पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण
को विवश है। अंग्रेज़ चले गये पर उनके
मानसपुत्रों की कमी नहीं है। भारत में, भारतीय
संसद के सभी सदस्यों के लिए, चाहेवे लोक
सभा के सदस्य हों या राज्यसभा के, सांसद
शब्द का प्रयोग किया जाता है।
॥ यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन), हाउस ऑफ़ लार्ड्स
के सदस्य 'लार्ड्स ऑफ़ पार्लियामेंट' कहे जाते
हैं। इंग्लैंड सरकार की ओर से लॉर्ड एक
उपाधि है॥
लॉर्ड की उपाधि प्राप्त भारत के वाइसरॉय एवं
गवर्नर जनरल:
• लॉर्ड विलियम बैन्टिक, भारत के गवर्नर
जनरल(1833–1858)
• लॉर्ड ऑकलैंड
• लॉर्ड ऐलनबरो
• लॉर्ड डलहौज़ी
• लॉर्ड कैनिंग, भारत के वाइसरॉय एवं गवर्नर-
जनरल (1858–1947)
• लॉर्ड कैनिंग
• लॉर्ड मेयो
• लॉर्ड नैपियर
• लॉर्ड नॉर्थब्रूक
• लॉर्ड लिट्टन
• लॉर्ड रिप्पन
• लॉर्ड डफरिन
• लॉर्ड लैंस्डाउन
• लॉर्ड कर्जन
• लॉर्ड ऐम्प्थिल
• लॉर्ड मिंटो
• लॉर्ड हार्डिंग
• लॉर्ड चेम्स्फोर्ड
• लॉर्ड रीडिंग
• लॉर्ड इर्विन
• लॉर्ड विलिंग्डन
• लॉर्ड माउंटबैटन
इनको अभी भी हमारे इतिहास में लॉर्ड नाम से
ही पढ़ाया जाता है औरलॉर्ड शब्द का इस्तेमाल
देवताओंके नाम आगे भी किया जाता है।
• लार्ड कृष्णा(Lord Krishna)
• लार्ड रामा (Lord Rama)
• लार्ड गणेशा (Lord Ganesha)
• लार्ड शिवा (Lord Shiva)
• लार्ड ब्रह्मा (Lord Brahma)
• लार्ड विष्णु (Lord Vishnu)
अब क्या देवताओं के नाम के आगेलॉर्ड
लगाना न्यायोचित है ?
जहाँ एक ओर भारतीय संस्कृति का पूरे विश्व मैं
बोल बाला था और इसके लिए भारत
की पूरी दुनिया मैं एक अलग पहचान है, वहीँ कुछ
गैर ज़िम्मेदार लोग इस संस्कृतिको धूमिल करने
पर तुले हुए हैं।
जागो भारतीय जागो !! जय हिन्द, जय भारत !
वन्दे मातरम !
शनिवार, 25 मई 2013
परमात्मा और किसान
एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया ! कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये! हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाये! एक दिन बड़ा तंग आ कर उसने परमात्मा से कहा ,देखिये प्रभु,आप परमात्मा हैं , लेकिन लगता है आपको खेती बाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है ,एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये , जैसा मै चाहू वैसा मौसम हो,फिर आप देखना मै कैसे अन्न के भण्डार भर दूंगा! परमात्मा मुस्कुराये और कहा ठीक है, जैसा तुम कहोगे वैसा ही मौसम दूंगा, मै दखल नहीं करूँगा!
किसान ने गेहूं की फ़सल बोई ,जब धूप चाही ,तब धूप मिली, जब पानी तब पानी ! तेज धूप, ओले,बाढ़ ,आंधी तो उसने आने ही नहीं दी, समय के साथ फसल बढ़ी और किसान की ख़ुशी भी,क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक नहीं हुई थी ! किसान ने मन ही मन सोचा अब पता चलेगा परमात्मा को, की फ़सल कैसे करते हैं ,बेकार ही इतने बरस हम किसानो को परेशान करते रहे.
फ़सल काटने का समय भी आया ,किसान बड़े गर्व से फ़सल काटने गया, लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा ,एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया! गेहूं की एक भी बाली के अन्दर गेहूं नहीं था ,सारी बालियाँ अन्दर से खाली थी, बड़ा दुखी होकर उसने परमात्मा से कहा ,प्रभु ये क्या हुआ ?
तब परमात्मा बोले,” ये तो होना ही था ,तुमने पौधों को संघर्ष का ज़रा सा भी मौका नहीं दिया . ना तेज धूप में उनको तपने दिया , ना आंधी ओलों से जूझने दिया ,उनको किसी प्रकार की चुनौती का अहसास जरा भी नहीं होने दिया , इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए, जब आंधी आती है, तेज बारिश होती है ओले गिरते हैं तब पोधा अपने बल से ही खड़ा रहता है, वो अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष करता है और इस संघर्ष से जो बल पैदा होता है वोही उसे शक्ति देता है ,उर्जा देता है, उसकी जीवटता को उभारता है.सोने को भी कुंदन बनने के लिए आग में तपने , हथौड़ी से पिटने,गलने जैसी चुनोतियो से गुजरना पड़ता है तभी उसकी स्वर्णिम आभा उभरती है,उसे अनमोल बनाती है !”
उसी तरह जिंदगी में भी अगर संघर्ष ना हो ,चुनौती ना हो तो आदमी खोखला ही रह जाता है, उसके अन्दर कोई गुण नहीं आ पाता ! ये चुनोतियाँ ही हैं जो आदमी रूपी तलवार को धार देती हैं ,उसे सशक्त और प्रखर बनाती हैं, अगर प्रतिभाशाली बनना है तो चुनोतियाँ तो स्वीकार करनी ही पड़ेंगी, अन्यथा हम खोखले ही रह जायेंगे. अगर जिंदगी में प्रखर बनना है,प्रतिभाशाली बनना है ,तो संघर्ष और चुनोतियो का सामना तो करना ही पड़ेगा !
अवसर की पहचान
एक बार एक ग्राहक चित्रो की दुकान पर गया । उसने वहाँ पर अजीब से चित्र देखे । पहले चित्र मे चेहरा पूरी तरह बालो से ढँका हुआ था और पैरोँ मे पंख थे ।एक दूसरे चित्र मे सिर पीछे से गंजा था।
ग्राहक ने पूछा – यह चित्र किसका है?
दुकानदार ने कहा – अवसर का ।
ग्राहक ने पूछा – इसका चेहरा बालो से ढका क्यो है?
दुकानदार ने कहा -क्योंकि अक्सर जब अवसर आता है तो मनुष्य उसे पहचानता नही है ।
ग्राहक ने पूछा – और इसके पैरो मे पंख क्यो है?
दुकानदार ने कहा – वह इसलिये कि यह तुरंत वापस भाग जाता है, यदि इसका उपयोग न हो तो यह तुरंत उड़ जाता है ।
ग्राहक ने पूछा – और यह दूसरे चित्र मे पीछे से गंजा सिर किसका है?
दुकानदार ने कहा – यह भी अवसर का है । यदि अवसर को सामने से ही बालो से पकड़ लेँगे तो वह आपका है ।अगर आपने उसे थोड़ी देरी से पकड़ने की कोशिश की तो पीछे का गंजा सिर हाथ आयेगा और वो फिसलकर निकल जायेगा । वह ग्राहक इन चित्रो का रहस्य जानकर हैरान था पर अब वह बात समझ चुका था ।
आपने कई बार दूसरो को ये कहते हुए सुना होगा या खुद भी कहा होगा कि ’हमे अवसर ही नही मिला’ लेकिन ये अपनी जिम्मेदारी से भागने और अपनी गलती को छुपाने का बस एक बहाना है । Real मे भगवान ने हमे ढेरो अवसरो के बीच जन्म दिया है । अवसर हमेशा हमारे सामने से आते जाते रहते है पर हम उसे पहचान नही पाते या पहचानने मे देर कर देते है । और कई बार हम सिर्फ इसलिये चूक जाते है क्योकि हम बड़े अवसर के ताक मे रहते हैं । पर अवसर बड़ा या छोटा नही होता है । हमे हर अवसर का भरपूर उपयोग करना चाहिये ।
विवेक का सहारा
एक बार एक आदमी अपने छोटे से बालक के साथ एक घने जंगल से जा रहा था! तभी रास्ते मे उस बालक को प्यास लगी , और उसे पानी पिलाने उसका पिता उसे एक नदी पर ले गया , नदी पर पानी पीते पीते अचानक वो बालक पानी मे गिर गया , और डूबने से उसके प्राण निकल गए! वो आदमी बड़ा दुखी हुआ, और उसने सोचा की इस घने जंगल मे इस बालक की अंतिम क्रिया किस प्रकार करूँ ! तभी उसका रोना सुनकर एक गिद्ध , सियार और नदी से एक कछुआ वहा आ गए , और उस आदमी से सहानुभूति व्यक्त करने लगे , आदमी की परेशानी जान कर सब अपनी अपनी सलाह देने लगे!
सियार ने लार टपकाते हुए कहा , ऐसा करो इस बालक के शरीर को इस जंगल मे ही किसी चट्टान के ऊपर छोड़ जाओ, धरती माता इसका उद्धार कर देगी! तभी गिद्ध अपनी ख़ुशी छुपाते हुए बोला, नहीं धरती पर तो इसको जानवर खा जाएँगे, ऐसा करो इसे किसी वृक्ष के ऊपर डाल दो ,ताकि सूरज की गर्मी से इसकी अंतिम गति अच्छी होजाएगी! उन दोनों की बाते सुनकर कछुआ भी अपनी भूख को छुपाते हुआ बोला ,नहीं आप इन दोनों की बातो मे मत आओ, इस बालक की जान पानी मे गई है, इसलिए आप इसे नदी मे ही बहा दो !
और इसके बाद तीनो अपने अपने कहे अनुसार उस आदमी पर जोर डालने लगे ! तब उस आदमी ने अपने विवेक का सहारा लिया और उन तीनो से कहा , तुम तीनो की सहानुभूति भरी सलाह मे मुझे तुम्हारे स्वार्थ की गंध आ रही है, सियार चाहता है की मैं इस बालक के शरीर को ऐसे ही जमीन पर छोड़ दूँ ताकि ये उसे आराम से खा सके, और गिद्ध तुम किसी पेड़ पर इस बालक के शरीर को इसलिए रखने की सलाह दे रहे हो ताकि इस सियार और कछुआ से बच कर आराम से तुम दावत उड़ा सको , और कछुआ तुम नदी के अन्दर रहते हो इसलिए नदी मे अपनी दावत का इंतजाम कर रहे हो ! तुम्हे सलाह देने के लिए धन्यवाद , लेकिन मै इस बालक के शरीर को अग्नि को समर्पित करूँगा , ना की तुम्हारा भोजन बनने दूंगा! यह सुन कर वो तीनो अपना सा मुह लेकर वहा से चले गए!
सबसे कीमती चीज
एक जाने-माने स्पीकर ने हाथ में पांच सौ का नोट लहराते हुए अपनी सेमीनार शुरू की. हाल में बैठे सैकड़ों लोगों से उसने पूछा ,” ये पांच सौ का नोट कौन लेना चाहता है?” हाथ उठना शुरू हो गए.
फिर उसने कहा ,” मैं इस नोट को आपमें से किसी एक को दूंगा पर उससे पहले मुझे ये कर लेने दीजिये .” और उसने नोट को अपनी मुट्ठी में चिमोड़ना शुरू कर दिया. और फिर उसने पूछा,” कौन है जो अब भी यह नोट लेना चाहता है?” अभी भी लोगों के हाथ उठने शुरू हो गए.
“अच्छा” उसने कहा,” अगर मैं ये कर दूं ? “ और उसने नोट को नीचे गिराकर पैरों से कुचलना शुरू कर दिया. उसने नोट उठाई , वह बिल्कुल चिमुड़ी और गन्दी हो गयी थी.
“ क्या अभी भी कोई है जो इसे लेना चाहता है?”. और एक बार फिर हाथ उठने शुरू हो गए.
“ दोस्तों , आप लोगों ने आज एक बहुत महत्त्वपूर्ण पाठ सीखा है. मैंने इस नोट के साथ इतना कुछ किया पर फिर भी आप इसे लेना चाहते थे क्योंकि ये सब होने के बावजूद नोट की कीमत घटी नहीं,उसका मूल्य अभी भी 500 था.
जीवन में कई बार हम गिरते हैं, हारते हैं, हमारे लिए हुए निर्णय हमें मिटटी में मिला देते हैं. हमें ऐसा लगने लगता है कि हमारी कोई कीमत नहीं है. लेकिन आपके साथ चाहे जो हुआ हो या भविष्य में जो हो जाए , आपका मूल्य कम नहीं होता. आप स्पेशल हैं, इस बात को कभी मत भूलिए.
कभी भी बीते हुए कल की निराशा को आने वाले कल के सपनो को बर्बाद मत करने दीजिये. याद रखिये आपके पास जो सबसे कीमती चीज है, वो है आपका जीवन.”
शुक्रवार, 24 मई 2013
पचास का नोट
एक व्यक्ति office में देर रात तक काम करने के बाद थका -हारा घर पहुंचा . दरवाजा खोलते ही उसने देखा कि उसका पांच वर्षीय बेटा सोने की बजाये उसका इंतज़ार कर रहा है .अन्दर घुसते ही बेटे ने पूछा —“ पापा , क्या मैं आपसे एक question पूछ सकता हूँ ?”“ हाँ -हाँ पूछो , क्या पूछना है ?” पिता ने कहा .बेटा - “ पापा , आप एक घंटे में कितना कमा लेते हैं ?”“ इससे तुम्हारा क्या लेना देना …तुम ऐसे बेकार के सवाल क्यों कर रहे हो ?” पिता ने झुंझलाते हुए उत्तर दिया .बेटा - “ मैं बस यूँही जानना चाहता हूँ . Please बताइए कि आप एक घंटे में कितना कमाते हैं ?”पिता ने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा , “ 100 रुपये .”अच्छा ”, बेटे ने मासूमियत से सर झुकाते हुए कहा -, “ पापा क्या आप मुझे 50 रूपये उधार दे सकते हैं ?”इतना सुनते ही वह व्यक्ति आग बबूला हो उठा , “ तो तुम इसीलिए ये फ़ालतू का सवाल कर रहे थे ताकि मुझसे पैसे लेकर तुम कोई बेकार का खिलौना या उटपटांग चीज खरीद सको ….चुप –चाप अपने कमरे में जाओ और सो जाओ ….सोचो तुम कितने selfish हो …मैं दिन रात मेहनत करके पैसे कमाता हूँ और तुम उसे बेकार की चीजों में बर्वाद करना चाहते हो ”यह सुन बेटे की आँखों में आंसू आ गए …और वह अपने कमरे में चला गया .व्यक्ति अभी भी गुस्से में था और सोच रहा था कि आखिर उसके बेटे कि ऐसा करने कि हिम्मत कैसे हुई ……पर एक -आध घंटा बीतने के बाद वह थोडा शांत हुआ , और सोचने लगा कि हो सकता है कि उसके बेटे ने सच -में किसी ज़रूरी काम के लिए पैसे मांगे हों , क्योंकि आज से पहले उसने कभी इस तरह से पैसे नहीं मांगे थे .फिर वह उठ कर बेटे के कमरे में गया और बोला , “ क्या तुम सो रहे हो ?”, “नहीं ” जवाब आया .“ मैं सोच रहा था कि शायद मैंने बेकार में ही तुम्हे डांट दिया , दरअसल दिन भर के काम से मैं बहुतथक गया था .” व्यक्ति ने कहा .“I am sorry….ये लो अपने पचास रूपये .” ऐसा कहते हुए उसने अपने बेटे के हाथ में पचास की नोट रख दी .“Thank You पापा ” बेटा ख़ुशी से पैसे लेते हुए कहा , और फिर वह तेजी से उठकर अपनी आलमारी की तरफ गया , वहां से उसने ढेर सारे सिक्के निकाले और धीरे -धीरे उन्हें गिनने लगा .यह देख व्यक्ति फिर से क्रोधित होने लगा , “ जब तुम्हारे पास पहले से ही पैसे थे तो तुमने मुझसे और पैसे क्यों मांगे ?”“ क्योंकि मेरे पास पैसे कम थे , पर अब पूरे हैं ” बेटे ने कहा .“ पापा अब मेरे पास 100 रूपये हैं . क्या मैं आपका एक घंटा खरीद सकता हूँ ? आप ये पैसे ले लोजिये और कल घर जल्दी आ जाइये , मैं आपके साथ बैठकर खाना खाना चाहता हूँ . इस तेज रफ़्तार जीवन में हम कई बार खुद को इतना busy कर लेते हैं कि उन लोगो के लिए ही समय नहीं निकाल पाते जो हमारे जीवन में सबसे ज्यादा importance रखते हैं. इसलिए हमें ध्यान रखना होगा कि इस आपा-धापी में भी हम अपने माँ-बाप, जीवन साथी, बच्चों और अभिन्न मित्रों के लिए समय निकालें, वरना एक दिन हमें भी अहसास होगा कि हमने छोटी-मोटी चीजें पाने के लिए कुछ बहुत बड़ा खो दिया.
गुरुवार, 23 मई 2013
"बेटे की आँखे"
"मम्मी! आप दिन भर स्कुल में सर खपाने, और
स्कुल से घर आने में रेल व बस के सफर की
धक्कामुक्की के बाद भी तरोताजा ही लग रही है?"
हा! बेटे! आज स्थानांतर से प्रतिबन्ध जो हट गया!
और मेने तत्काल ही स्थानांतर आवेदन बगी सबमिट
कर दिया! "
"वह! बल्ले! बल्ले! ------
पर मम्मी आवेदन में स्थानांतर चाहने का कारण भी
तो लिखना होता है न!
आपने भला ----- क्या कारण लिखा होगा?"
"कारण ------- इट्स वेरी इजी ------ मेने लिखा --- वर्थ
सास ससुर की देखभाल और सेवा"
"पर मम्मी ------ दादा दादी को तो हम ---- पहले ही
--- छोड़ आये न अनाथाश्रम ----"
"चुप पगले! इस बात को कोंन जानेगा? और फिर
कारण लिखना आजकल कोरी कागजी खानापूर्ति ---
- इच्छित स्थानांतर जा इज कारण से नही 'सेटिंग' से
होते है
तू चिंता न कर, इस बार मेरी सेटिंग की भी पूरी
तेयारी मन से धन से ----------- तन से "
आत्म विश्वास के दर्प से, मम्मी का चेहरा छिलमिला
रहा था पर न जाने क्यू बेटे की आँखे झलक कर झुक
गई थी /
बुधवार, 22 मई 2013
माँ ईश्वर का अवतार
तू धरती पर ख़ुदा है माँ !
तू सवेरा ज़ुदा है माँ !
पंछी को छाया देते पेड़ों की डालीहै तू
सूरज से रौशन होते चेहरे की लाली है तू
पौधों को जीवन देती मिट्टी की क्यारी है तू
सबसे अलग सबसे ज़ुदा माँ सबसे न्यारी है तू.
तू रौशनी का ख़ुदा है माँ !
तू सवेरा ज़ुदा है माँ !
सूरज से तपते आँगन में बारिश की बौछार है तू
जीवन के सूने उपवन में कलियों की बहार है तू
खतरों से रक्षा करती सदा खड़ी दीवार है तू
ईश्वर का सबसे प्यारा और सुन्दर अवतार है तू.
तू फरिश्तों की दुआ है माँ !
तू सवेरा ज़ुदा है माँ !
शनिवार, 18 मई 2013
जीवन की सचाई
एक थका माँदा शिल्पकार लंबी यात्रा के बाद किसी छायादार वृक्ष के नीचे विश्राम के लिये बैठ गया। अचानक उसे सामने एक पत्थर का टुकड़ा पड़ा दिखाई दिया। उसने उस सुंदर पत्थर के टुकड़े को उठा लिया, सामने रखा और औजारों के थैले से छेनी-हथौड़ी निकालकर उसे तराशने के लिए जैसे ही पहली चोट की, पत्थर जोर से चिल्ला पड़ा, "उफ मुझे मत मारो।" दूसरी बार वह रोने लगा, "मत मारो मुझे, मत मारो... मत मारो।
शिल्पकार ने उस पत्थर को छोड़ दिया, अपनी पसंद का एक अन्य टुकड़ा उठाया और उसे हथौड़ी से तराशने लगा। वह टुकड़ा चुपचाप वार सहता गया और देखते ही देखते उसमे से एक एक देवी की मूर्ती उभर आई। मूर्ती वहीं पेड़ के नीचे रख वह अपनी राह पकड़ आगे चला गया।
कुछ वर्षों बाद उस शिल्पकार को फिर से उसी पुराने रास्ते से गुजरना पड़ा, जहाँ पिछली बार विश्राम किया था। उस स्थान पर पहुँचा तो देखा कि वहाँ उस मूर्ती की पूजा अर्चना हो रही है, जो उसने बनाई थी। भीड़ है, भजन आरती हो रही है, भक्तों की पंक्तियाँ लगीं हैं, जब उसके दर्शन का समय आया, तो पास आकर देखा कि उसकी बनाई मूर्ती का कितना सत्कार हो रहा है! जो पत्थर का पहला टुकड़ा उसने,उसके रोने चिल्लाने पर फेंक दिया था वह भी एक ओर में पड़ा है और लोग उसके सिर पर नारियल फोड़ फोड़ कर मूर्ती पर चढ़ा रहे है।
शिल्पकार ने मन ही मन सोचा कि जीवन में कुछ बनपाने के लिए शुरू में अपने शिल्पकार को पहचानकर, उनका सत्कारकर कुछ कष्ट झेल लेने से जीवन बन जाता हैं।बाद में सारा विश्व उनका सत्कार करता है। जो डर जाते हैं और बचकर भागना चाहते हैं वे बाद में जीवन भर कष्ट झेलते हैं, उनका सत्कार कोई नहीं करता ।
शुक्रवार, 17 मई 2013
अलग-अलग दृष्टिकोण
जरूर पढेँ....
पिताजी कोई किताब पढने में व्यस्त थे , पर उनका बेटा बार-बार आता और उल्टे-सीधे सवाल पूछ कर उन्हें डिस्टर्ब कर देता
पिता के समझाने और डांटने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ता.
तब उन्होंने सोचा कि अगर बच्चे को किसी और काम में उलझा दिया जाए तो बात बन सकती है.
उन्होंने पास ही पड़ी एक पुरानी किताब उठाई और उसके पन्ने पलटने लगे. तभी उन्हें विश्व मानचित्र छपा दिखा , उन्होंने तेजी से वो पेज फाड़ा और बच्चे को बुलाया – ” देखो ये वर्ल्ड मैप है , अब मैं इसे कई पार्ट्स में कट कर देता हूँ , तुम्हे इन टुकड़ों को फिर से जोड़कर वर्ल्ड मैप तैयार करना होगा.”
और ऐसा कहते हुए उन्होंने ये काम बेटे को दे दिया.
बेटा तुरंत मैप बनाने में लग गया और पिता यह सोच कर खुश होने लगे की अब वो आराम से दो-तीन घंटे किताब पढ़ सकेंगे . लेकिन ये क्या, अभी पांच मिनट ही बीते थे कि बेटा दौड़ता हुआ आया और बोला , ” ये देखिये पिताजी मैंने मैप तैयार कर लिया है .”
पिता ने आश्चर्य से देखा , मैप बिलकुल
सही था, –
” तुमने इतनी जल्दी मैप कैसे जोड़ दिया , ये तो बहुत मुश्किल काम था ?”
” कहाँ पापा, ये तो बिलकुल आसान था, आपने जो पेज दिया था उसके पिछले हिस्से में एक कार्टून बना था ,
मैंने बस वो कार्टून कम्प्लीट कर दिया और मैप अपने आप ही तैयार हो गया.”, और ऐसा कहते हुए वो बाहर खेलने के लिए भाग गया और पिताजी सोचते रह गए .
दोस्तों , कई बार life की problems
भी ऐसी ही होती हैं, सामने से देखने पर
वो बड़ी भारी-भरकम लगती हैं , मानो उनसे पार पान असंभव ही हो , लेकिन जब हम उनका दूसरा पहलु देखते हैं तो वही problems आसान बन जाती हैं
, इसलिए जब कभी आपके सामने कोई समस्या आये तो उसे सिर्फ एक नजरिये से देखने की बजाये अलग-अलग दृष्टिकोण से देखिये , क्या पता वो बिलकुल आसान बन जाएं !
पिताजी कोई किताब पढने में व्यस्त थे , पर उनका बेटा बार-बार आता और उल्टे-सीधे सवाल पूछ कर उन्हें डिस्टर्ब कर देता
पिता के समझाने और डांटने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ता.
तब उन्होंने सोचा कि अगर बच्चे को किसी और काम में उलझा दिया जाए तो बात बन सकती है.
उन्होंने पास ही पड़ी एक पुरानी किताब उठाई और उसके पन्ने पलटने लगे. तभी उन्हें विश्व मानचित्र छपा दिखा , उन्होंने तेजी से वो पेज फाड़ा और बच्चे को बुलाया – ” देखो ये वर्ल्ड मैप है , अब मैं इसे कई पार्ट्स में कट कर देता हूँ , तुम्हे इन टुकड़ों को फिर से जोड़कर वर्ल्ड मैप तैयार करना होगा.”
और ऐसा कहते हुए उन्होंने ये काम बेटे को दे दिया.
बेटा तुरंत मैप बनाने में लग गया और पिता यह सोच कर खुश होने लगे की अब वो आराम से दो-तीन घंटे किताब पढ़ सकेंगे . लेकिन ये क्या, अभी पांच मिनट ही बीते थे कि बेटा दौड़ता हुआ आया और बोला , ” ये देखिये पिताजी मैंने मैप तैयार कर लिया है .”
पिता ने आश्चर्य से देखा , मैप बिलकुल
सही था, –
” तुमने इतनी जल्दी मैप कैसे जोड़ दिया , ये तो बहुत मुश्किल काम था ?”
” कहाँ पापा, ये तो बिलकुल आसान था, आपने जो पेज दिया था उसके पिछले हिस्से में एक कार्टून बना था ,
मैंने बस वो कार्टून कम्प्लीट कर दिया और मैप अपने आप ही तैयार हो गया.”, और ऐसा कहते हुए वो बाहर खेलने के लिए भाग गया और पिताजी सोचते रह गए .
दोस्तों , कई बार life की problems
भी ऐसी ही होती हैं, सामने से देखने पर
वो बड़ी भारी-भरकम लगती हैं , मानो उनसे पार पान असंभव ही हो , लेकिन जब हम उनका दूसरा पहलु देखते हैं तो वही problems आसान बन जाती हैं
, इसलिए जब कभी आपके सामने कोई समस्या आये तो उसे सिर्फ एक नजरिये से देखने की बजाये अलग-अलग दृष्टिकोण से देखिये , क्या पता वो बिलकुल आसान बन जाएं !
गुरुवार, 16 मई 2013
Don't Take Parents for Granted
Don't Take Parents for Granted
Once upon a time ,
there was this 20 years old boy called Adam who was his mommy only son,, she was always worried about him and can’t go
to sleep until he goes back home
but he was [always late]!
everyday he hangs out with his friends until
the dawn although his mom calls him to be Reassured but he never answers her
calls,
the next day Adam told his mother that he is
going on a camping trip with his friend for 3 days
“take care of yourself Adam & take your
mobile with you and please answer my calls” she said
“don’t call me that much! My friends make fun
of me because of all your calls I’m not a kid anymore mum” he replied
nervously.. & then he left
when Adam arrived he and his friends said that
they will switch their mobiles off in order to avoid the annoying calls from
their parents and in that way they’ll have so much more fun , 2 days passed
&in the third day one of Adam’s friend called rayan switched on his mobile
to text his girlfriend but he found more than 100 missed calls and over 50 text
message from his father and sister to come back home and one of the texts was
from his mother written on it “please son come back if you can, I want to see
you” , he called his mother to ask her what’s happening but she didn’t answer
then he called his father he answered with a voice filled of sorrow and pain
What happened dad! He asked ,, then Rayan
found out that his mother died,,he was shocked threw his mobile on the ground
& began to cry bitterly ,his mom died without telling her that he loves her
or asking her to forgive him she died from 2 days and he didn’t know! He didn’t
attend her Funeral either ,,and why? just to have fun!!
Adam was shocked and remembered his mother and
what he did to her
he returned home immediately & found his
mother sleeping on the sofa next to the telephone waiting a call from him
he looked at her carefully,, he noticed for
the first time her white hair and the wrinkles in her face then he cried and
hugged her and kissed her hands “forgive me mom I’m sorry I will never leave
you alone again,, I promise ” he said while crying &from that day Adam made a time for his
mom & fulfilled his promise to his mom and never left her alone worried
about him
Adam learned the hard lesson and you when will
you learn this lesson and make time for your parents before its too late??
Remember to love your parents...We are so busy
growing up, we often forget they are also growing old… ♥
मंगलवार, 14 मई 2013
MODERN VERSION OF GURU DUTT'S FILM'' KAAGAZ KE PHOOL''
Modern 'Kaagaz ke Phool' in google hindi
MODERN VERSION OF GURU DUTT'S FILM'' KAAGAZ KE PHOOL''
Try these songs really hum in th original tunes
Guru Dutt is reborn and makes a film, called 'Softwarke phoole****Sahir Ludhianvi Sahab revises his old song for the new venture.
It goes like this:
yeh document, yeh meetings, yeh features ki duniya,
yeh insaan ke dushman, cursors ki duniya,
yeh deadlines ke bhooke, management ki duniya;
yeh Product agar ban bhi jaaye to kya hai?
yahaan ek khilona hai programmer ki hasti,
yeh basti hai murda bug-fixers ki basti,
yahaan par to raises hai, inflation se sasti,
yeh Review agar ho bhi jaaye to kya hai?
har ek keyboard ghayal, har ek login pyaasi
excel mein uljhan, winword mein udaasi,
yeh office hai ya aalame microsoft ki,
yeh Release agar ho bhi jaaye to kya hai?jalaa do ise, phoonk daalo yeh monitor, mere saamne se hataa daalo yeh modem, tumhaara hai tumhi sambhaalo yeh computer, yeh Product agar chal bhi jaaye to kya hai?
Try actually hum these lyrics in th original tune
sung by Mod.Rafi, it fits so well. What a composition.Google's Hindi Translation .... Google programGoogle google Hindi translation program ....This document, the meetings, the world of these features,
The enemy of man, the world of the cursor,
The deadline bhooke, the world of management;
These products are the restrictions for what?
IK toy figure of the programmer,
Murda bug fixers to the township township,
Even if this review is for what?
Keyboard injured every ik, ik login every pyaasi
Confused excel, winword mein udaasi,
The office of the aalame Microsoft,
Even if it is released for what?
What jalaa be, phoonk daalo the monitor,
Hataa daalo modem from the front only,
is tumhaara tumhi sambhaalo this computer
If these products should also go for what's going on?
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