रविवार, 28 अप्रैल 2013

*** Self Appraisal ***

एक छोटा बच्चा एक बड़ी दूकान पर लगे टेलीफोनबूथ पर जाता हैं 

और मालिक से छुट्टे पैसे लेकर एक नंबर डायल करता हैं| दूकान 

का मालिक उस लड़के को ध्यान से देखते हुए उसकी बातचीत पर

 ध्यान देता हैं 

लड़का- मैडम क्या आप मुझे अपने बगीचे की साफ़ सफाई का काम

 देंगी?

औरत- (दूसरी तरफ से) नहीं, मैंने एक दुसरे लड़के को अपने बगीचे


 का काम देखने के लिए रखलिया हैं|

लड़का- मैडम मैं आपके बगीचे का काम उस लड़के से आधे वेतन में


 करने को तैयार हूँ!

औरत- मगर जो लड़का मेरे बगीचे का काम कर रहा हैं उससे मैं पूरी 


तरह संतुष्ट हूँ|

लड़का- ( और ज्यादा विनती करते हुए) मैडम मैं आपके घर की 


सफाई भी फ्री में करदिया करूँगा!!

औरत- माफ़ करना मुझे फिर भी जरुरत नहीं हैं धन्यवाद|

लड़के के चेहरे पर एक मुस्कान उभरी और उसने फोन का रिसीवर 


रख दिया| दूकान का मालिक जो छोटे लड़के की बात बहुत ध्यान से

 सुन रहा था वह लड़के के पास आया और बोला- " बेटा मैं तुम्हारी

 लगन और व्यवहार से बहुत खुश हूँ, मैं तुम्हे अपने स्टोर में नौकरी

 दे सकता हूँ"

लड़का- नहीं सर मुझे जॉब की जरुरत नहीं हैं आपका धन्यवाद|

दुकानमालिक- (आश्चर्य से) अरे अभी तो तुमउस लेडी से जॉब के 


लिए इतनी विनती कर रहे थे !!

लड़का- नहीं सर, मैं अपना काम ठीक से कर रहा हूँ की नहीं बस मैं ये 


चेक कर रहा था, मैं जिससे बात कर रहा था, उन्ही के यहाँ पर जॉब 

करता हूँ|

*"This is called Self Appraisal" "आप अपना बेहतर दीजिये,


 फिर देखिये

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013

"संतान सुख " -

"संतान" - 

मैं तकरीबन २० साल के बाद विदेश से अपने शहर लौटा था ! बाज़ार में घुमते हुए सहसा मेरी नज़रें सब्जी का ठेला लगाये एक बूढे पर जा टिकीं, बहुत कोशिश के बावजूद भी मैं उसको पहचान नहीं पा रहा था ! लेकिन न जाने बार बार ऐसा क्यों लग रहा था की मैं उसे बड़ी अच्छी तरह से जनता हूँ ! मेरी उत्सुकता उस बूढ़ेसे भी छुपी न रही , उसके चेहरे पर आई अचानक मुस्कान से मैं समझ गया था कि उसने मुझे पहचान लिया था !
काफी देर की जेहनी कशमकश के बाद जब मैंने उसे पहचाना तो मेरे पाँव के नीचे से मानो ज़मीन खिसक गई ! जब मैं विदेश गया था तो इसकी एक बहुत बड़ी आटा मिल हुआ करती थी नौकर चाकर आगे पीछे घूमा करते थे ! धर्म कर्म, दान पुण्य में सब से अग्रणी इस दानवीर पुरुष को मैं ताऊजी कह कर बुलाया करता था !
वही आटा मिल का मालिक और आज सब्जी का ठेला लगाने पर मजबूर? मुझ से रहा नहीं गया और मैं उसके पास जा पहुँचा और बहुत मुश्किल से रुंधे गले से पूछा :
"ताऊ जी, ये सब कैसे हो गया ?"
भरी ऑंखें लिए मेरे कंधे पर हाथ रख उसने उत्तर दिया:
"बच्चे बड़े हो गए हैं बेटा !"


**** दोस्ती ****


खुदा से क्या मांगू तेरे वास्ते
सदा खुशियों से भरे हों तेरे रास्ते
हंसी तेरे चेहरे पे रहे इस तरह
खुशबू फूल का साथ निभाती है जिस तरह
सुख इतना मिले की तू दुःख को तरसे
पैसा शोहरत इज्ज़त रात दिन बरसे
आसमा हों या ज़मीन हर तरफ तेरा नाम हों
महकती हुई सुबह और लहलहाती शाम हो
तेरी कोशिश को कामयाबी की आदत हो जाये
सारा जग थम जाये तू जब भी गए
कभी कोई परेशानी तुझे न सताए
रात के अँधेरे में भी तू सदा चमचमाए
दुआ ये मेरी कुबूल हो जाये
खुशियाँ तेरे दर से न जाये
इक छोटी सी अर्जी है मान लेना
हम भी तेरे दोस्त हैं ये जान लेना
खुशियों में चाहे हम याद आए न आए
पर जब भी ज़रूरत पड़े हमारा नाम लेना
इस जहाँ में होंगे तो ज़रूर आएंगे
दोस्ती मरते दम तक निभाएंगे 

मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

resp.shalini mamiji told this oem
on the wedding occassion of abhimanyu sukhwal
i m thankfull to her by heart; its wonderfull n heartouching