रविवार, 28 अगस्त 2011

"होनहार बालक"



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     "होनहार बालक"
पूना क दर्शन होटल कि हमने बहुत तारीफ सुन रखी थी
एक बार में अपने दोनों बच्चो के साथ वहा गयी,वास्तव में बहुत साफ सुथरा माहौल था,  वहा क वेटर बड़े स्मार्ट ,चुस्त,और फुर्तीले दिखे
.हमने वहा डटकर नाश्ता किया और बिल के आने पर पेमेंट किया और आदतन  "टिप"के रूप में , बिल बुक में कुछ पैसे रख दिए;
जिसे उस वेटर ने लेने से साफ इंकार कर दिया;उसने शालीनता पूर्वक कहा,मेडम , आपने शायद मेनू कार्ड की आखरी लाइन नही पढ़ी हें''
मेने  उससे कार्ड मंगवाया जिसके आखरी में लिखा था "यहा काम करने वाले सभी बहुत सभ्रांत परिवार से ताल्लुक रखते हें,जो यहा अपना भविष्य बनाने के लिए आये हें,कोई  डॉक्टर हें कोई इनजीनीअर  हें,जो पार्ट टाइम हमारे यहा काम करके. अपनी पॉकेट मोनी खुद बनाते हें,क्रप्या इन्हे भैया कहकर सम्भोदित  करे और टिप नही देवे"इसको पढ़ते ही मुझे काफी शर्मिन्दगी महसूस हुयी ;मेने अपनी दी हुयी टिप कि राशी वापस ले ली
साथ ही मुझे उन होनहार बालको पर गर्व हुआ ;अगली बार से जब भी मेरे यहा कोई  मेहमान आता  तो में उन्हें एक बार वहा जरुर लेकर जाने लगी
ऐसा करने से मेरे  मन को एक तरह का  सकून सा मिलने लगा '''
अनीता सुखवाल 
5A,अम्बा माता स्कीम 
माधव निवास 
उदैपुर 
राजस्थान 
भारत

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